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फतेहाबाद पहुंचे राकेश टिकैत, बोले आंदोलन रहेगा जारी, सरकार के साथ हुआ केवल डिजिटल समझौता

फतेहाबाद में राकेश टिकैत ने कहा कि जल्द ही एक कमेटी का गठन किया जाएगा और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह जनता है जनता सरकार से नाराज है और उसकी नाराजगी का रिजल्ट जरूर मिलेगा।
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rakesh tikait

HR Breaking News, फतेहाबाद, किसानों के साथ सरकार ने केवल डिजिटल समझौता किया है। ऐसे में जब तक हमें कोई लिखित में नहीं मिलता जब तक किसानों को आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा। जल्द ही एक कमेटी का गठन किया जाएगा और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। यह बात किसान नेता राकेश टिकैत ने जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बात करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह जनता है, जनता उनसे नाराज है और उसकी नाराजगी का रिजल्ट जरूर मिलेगा। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। राकेश टिकैत किसान महापंचायत में किसानों को संबोधित करने के लिए आए थे।

 

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किसान सभा द्वारा जाट धर्मशाला में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि अब जनता जाग गई है। ऐसे में 10 मार्च को नतीजे आएंगे वो सबकुछ दिखा देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को एमएसपी देने के लिए कमेटी गठन करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कमेटी का गठन नहीं किया

। उन्होंने कहा कि बिहार से आने वाले मजदूरों के पास हरियाणा व पंजाब के किसानों से कहीं अधिक जमीने हैं, लेकिन वहां पर किसानों के लिए नीति व नियत नहीं। ऐसे में परेशानी आ रही है। किसान खेती छोड़कर दिहाड़ी करने पर मजबूर कर दिए गए। सरकार अब यही हालत हरियाणा पंजाब में बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि एक तरफ यूक्रेन में हमारे बच्चे फंसे हुए है। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री चुनाव को लेकर रैली कर रहे है। राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसे में प्रधानमंत्री को पोलैंड में जाकर बैठ जाना चाहिए था और भारतीय बच्चों को अपने देश लेकर आना चाहिए था।

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राकेश टिकैत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पंजाब में कुछ किसान चुनाव लड़ रहे है। उनका अनुभव भी अच्छा रहेगा। गुरनाम चढूनी द्वारा किसान सभा से चंदे का हिसाब मांगने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि जिसने चंदा दिया है उसे हिसाब मांगने का पूरा अधिकार है। ऐसे में अगर कोई चंदा का हिसाब नहीं देता तो शक के दायरे में जरूर आएंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि गांव का धन गांव से बाहर नहीं जाना चाहिए। अगर धन गांव में रहेगा तो गांव मजबूत होगा। किसान संगठन आपस में जुड़े हुए है। अगर जब भी किसी बड़े आंदोलन की जरूरत होगी तो वह भी होगा।

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