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हरियाणा की लोक संस्कृति स्वांग के संवर्धन में जुटा एचएयू

एचआर ब्रेकिेंग न्यूज। हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय दिनों-दिन लुप्त होती जा रही देश की प्राचीनतम लोकधर्मी नाट्य परम्परा स्वांग के संवर्धन में जुटा हुआ है। विश्ववविद्यालय से सहायक प्रोफेसर डॉ. संध्या शर्मा इसी परम्परा को आगे बढ़ाने वाली ऐसी महिला सांगी हैं जो स्वांग मंडली का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके लिए
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हरियाणा की लोक संस्कृति स्वांग के संवर्धन में जुटा एचएयू

एचआर ब्रेकिेंग न्यूज। हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय दिनों-दिन लुप्त होती जा रही देश की प्राचीनतम लोकधर्मी नाट्य परम्परा स्वांग के संवर्धन में जुटा हुआ है। विश्ववविद्यालय से सहायक प्रोफेसर डॉ. संध्या शर्मा इसी परम्परा को आगे बढ़ाने वाली ऐसी महिला सांगी हैं जो स्वांग मंडली का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके लिए उन्हें हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल एवं कला संस्कृति मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान उन्हें प्रशंसा पत्र व नकद राशि प्रदान की गई। कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने डॉ. संध्या शर्मा बधाई दी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि विलुप्त होती स्वांग परम्परा को बचाने के लिए डॉ. संध्या शर्मा द्वारा किए जा रहे प्रयास की प्रशंसा करते हुए शुभकामनाएं दी। विश्वविद्यालय न केवल अनुसंधान, शिक्षा एवं खेलों में बल्कि हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ रहा है और निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर है।

प्रत्येक कर्मचारी व उसके परिजनों का टीकाकरण हमारा लक्ष्य : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचएयू एकमात्र संस्थान जहां लोक-संस्कृति पाठ्यक्रम का हिस्सा

छात्र कल्याण निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह दहिया ने बताया कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एकमात्र ऐसा संस्थान हैं जहां लोकसंस्कृति को पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि निदेशालय का हरियाणा फोक लोर एवम् कल्चर विभाग लोककला एवं लोक-संस्कृति को संवर्धित करने में लगातार प्रयासरत है। विश्वविद्यालय में समय-समय पर सेमिनार, वर्कशॉप, उत्सव आदि का आयोजन एवं युवा पीढ़ी की सहभागिता लोकसंस्कृति को निरंतर आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। एचएयू के विद्यार्थी न केवल लोक-साहित्य व संस्कृति को समझ रहे हैं बल्कि समय-समय पर ऑल इंडिया एग्री यूनिफेस्ट के माध्यम से लोककला का प्रस्तुतीकरण भी करते हैं। ज्ञात रहे कि डॉ. सतीश कश्यप ने भी सांग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. संध्या शर्मा के अनुसार उनका मकसद दिनों-दिन लुप्त हो रही प्रदेश की लोक कला व संस्कृति को पुन: जीवित करना है। इसके लिए विश्वविद्यालय की तरफ से भी उन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है।