सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र ने जारी किए मृत्यु दस्तावेज़ के लिए दिशानिर्देश
एचआर ब्रेकिंग न्यूज़। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई सख्ती से केंद्र सरकार ने कोरोना से हुई मृत्यु दस्तावेजों के लिए दिशानिर्देश जारी किए है। केन्द्र के जारी दिशानिर्देशों के तहत, सिर्फ कोविड-19 के उन मामलों को गिना जाएगा, जिनका आरटी-पीसीआर जांच से, मॉलीक्यूलर जांच से, रैपिड-एंटीजन जांच से या किसी अस्पताल में क्लीनिकल तरीके से पता किया गया है।
कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोविड से संबंधित मृत्यु के मामलों में ‘आधिकारिक दस्तावेज’ के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। केंद्र ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में यह बात कही थी कि भारत के महापंजीयक कार्यालय ने 3 सितंबर को मृतकों के परिजनों को मृत्यु के कारण का चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए परिपत्र जारी किया था। इसके अलावा रीपक कंसल बनाम भारत संघ और अन्य मामलों में 30 जून, 2021 की तारीख के फैसले का पालान करते हुए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
आदेश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि, कोरोना संबंधी मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। ये फैसला वकील रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल के द्वारा दायर की गई दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया था, जिसमें कोरोनो वायरस पीड़ितों के परिवारों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग भी की गई थी।
सरकार का कहना है कि, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद अगर 30 दिन के अंदर किसी मरीज की मौत होती है तब उसे कोविड मृत्यु माना जाएगा, भले ही वो मौत अस्पताल में हुई हो या घर पर। केंद्र ने यह भी कहना है कि, अगर किसी मरीज की मौत 30 दिन बाद होती है तो उसे भी दिशानिर्देशों के अंतर्गत कोरोना से हुई मौत ही माना जाएगा।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि, ऐसी स्थिति में जब मृत्यु के कारणों का चिकित्सा प्रमाण पत्र (एमसीसीडी) उपलब्ध नहीं है या मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं, तब राज्य और केंद्रशासित प्रदेश द्वारा जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया जायेगा, जो मामले का समाधान करेगी। गठन की गयी इस समिति में एक अतिरिक्त जिला कलेक्टर, एक मुख्य चिकित्सा अधिकारी, एक अतिरिक्त सीएमओएच/प्रिंसिपल या मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विभाग के प्रमुख और एक विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे।
