home page

ग्वार फसल लेने से जमीन की उर्वरा शक्ति में कर सकते हैं इजाफा: डॉ. यादव

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार के एचएयू से सेवानिवृत वरिष्ठ शस्य वैज्ञानिक डॉ. आरएस ढुकिया की अध्यक्षता में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव के सहयोग से ग्वार की पैदावार बढ़ानें पर गांव बुरे में किसान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में डॉ. यादव ने बताया कि ग्वार खरीफ की एक मुख्य फसल है जो सूखे
 | 
ग्वार फसल लेने से जमीन की उर्वरा शक्ति में कर सकते हैं इजाफा: डॉ. यादव

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार के एचएयू से सेवानिवृत वरिष्ठ शस्य वैज्ञानिक डॉ. आरएस ढुकिया की अध्यक्षता में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव के सहयोग से ग्वार की पैदावार बढ़ानें पर गांव बुरे में किसान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में डॉ. यादव ने बताया कि ग्वार खरीफ  की एक मुख्य फसल है जो सूखे को सहन करने में काफी क्षमता रखती है। यह फसल कम खर्च करके अधिक आमदनी देती है, इसके साथ-साथ यह भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती है, जो आगामी सरसों और गेहूं की फसल के लिए बहुत फायदेमंद है। ग्वार फसल लेने के बाद आगामी फसल के लिए 20 से 25 प्रतिशत नत्रजन की बचत करती है और गेहूं व सरसों की पैदावार भी अधिक मिलती है।

सरकार और किसानों ने बीच नहीं बनी सहमति, प्रशासन को दिया 24 जुलाई तक का अल्टीमेटम


ट्रेनिंग के दौरान किसानों से रूबरू होने पर किसान इस बात से पूरी तरह सहमत थे कि ग्वार को नरमा के फसल चक्र में रखना जरूरी है। डॉ. यादव ने कहा कि ग्वार की फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिर जाते हैं, जो जैविक खाद का काम करते है। अब मानसून बारिश हिसार क्षेत्र के कई गांवों में हुई है और इस बारिश पर किसानों को सलाह दी जाती है कि ग्वार की बची हुई पिछेती बिजाई पूरी कर लें। ग्वार की पिछेती बिजाई के लिए  एचजी 365 व एचजी 563 किस्म की ही बिजाई करें। बिजाई से पहले जडग़लन रोग के लिए 2-3 ग्राम कार्बान्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रति किलो बीज की दर सूखा उपचारित करके ही बिजाई करें। सूखा बीज उपचार करना बहुत ही फायदेमंद, सस्ता व सरल उपाय है। किसानों को बीज उपचार करने व उसकी विधि के बारे में मौके पर करके दिखाया।
खाद की मात्रा पर बोलते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ. जगदेव सिंह ने कहा कि बिजाई के समय 100 किलो सुपर फास्फेट तथा 15 किलो यूरिया या 35 किलो डीएपी प्रति एकड़ हिसाब से ड्रिल करें। अगर जमीन में जिंक की कमी हो उस अवस्था में 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बिजाई समय डालें। ग्वार विषेषज्ञ डॉ. यादव ने कहा जिन किसानों नें पहले ही ग्वार की समय पर बिजाई की हुई है, उन किसानों को सचेत किया कि ग्वार की खड़ी फसल में चौड़ें पत्ते वाले खरपतवार के नियंत्रण के लिए कोई भी खरपतवारनाषक दवा का प्रयोग न करें। इससे ग्वार फसल के पत्ते पीले हो जाते हैं तथा ग्वार फसल की बढ़वार 12-15 दिन तक रूक जाती है। इसका दुष्प्रभाव आगामी सरसों की फसल के जमाव, बढ़वार व पैदावार काफी पड़ता है। डॉ. ढुकिया ने गेहूं के अवशेषों को न जलाने का अनुरोध किया इससे जमीन की उर्वरक शक्ति कम होती है तथा वातावरण भी दूषित होता है। इस शिविर में 35 किसानों ने भाग लिया तथा सभी किसानों एक जोड़ी दस्ताने व मास्क निशुल्क दिये और ट्रेनिंग से पहले सभी किसानों के हाथों को सैनिटाइज किया गया। इस मौके पर गांव के प्रगतिशील किसान सुभाष चन्द्र, उमीर सिंह, राम भगत, संदीप, अतरसिंह, बलराज, रामफल, अनिल कुमार तथा कृष्ण पंघाल आदि मौजूद थे।