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ऑपरेशन खुकरी एक ऐसा मिशन जिसके बारे में भारत की जनता नहीं जानती: मेजर जनरल राजपाल

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार। अफ्रीका के घने जंगल। जंगलों के बीच में 100 गुणा 100 मीटर की जगह में घिरे 222 सैनिक व अलग-अलग देशों के 11 सैन्य सुपरवाइजर, जिनके पास खाने के लिए दो वक्त का पूरा खाना भी नहीं। बिना बिजली पानी के जंगलों के बीच इन सैनिकों घेरे हुए हजारों आतंकवादी। ऐसे
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ऑपरेशन खुकरी एक ऐसा मिशन जिसके बारे में भारत की जनता नहीं जानती: मेजर जनरल राजपाल

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार। अफ्रीका के घने जंगल। जंगलों के बीच में 100 गुणा 100 मीटर की जगह में घिरे 222 सैनिक व अलग-अलग देशों के 11 सैन्य सुपरवाइजर, जिनके पास खाने के लिए दो वक्त का पूरा खाना भी नहीं। बिना बिजली पानी के जंगलों के बीच इन सैनिकों घेरे हुए हजारों आतंकवादी। ऐसे भयानक मौत के मुहाने पर खड़ी 233 जिंदगियों को आतंकियों के चुंगल से बचाकर लाना। ये सब बातें किसी फिल्मी कहानी सी लगती हैं लेकिन ये सच्चाई है और साहस से भरी इस सच्चाई के हीरों हैं भारत देश के जाबांज सैनिक, जिन्होंने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर अफ्रीकी देश सिएरा लियोन की। यहां यूनाइटेड नेशन की शांति सेना के रूप में भारतीय सैनिकों की टुकड़ी मेजर राजपाल पूनिया के नेतृत्व में गयी थी। यहां मेजर राजपाल पूनिया ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर आतंकियों (रेवोलुशनरी यूनाइटेड फ्रंट) से लड़कर न सिर्फ अपनी सैन्य टुकड़ी को सफलतापूर्वक बाहर निकाला बल्कि उनका ये ऑपरेशन सिएरा लियोन देश में शांति स्थापना करवाने में भी सफल रहा। इस ऑप्रेशन का नाम था ऑप्रेशन खुकरी। इस आप्रेशन खुकरी के बारे में जानकारी देने के लिए हिसार में मेजर जनरल (युद्ध सेवा मेडल) राजपाल पूनिया ने पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। इस पत्रकार वार्ता में मेजर जनरल पूनिया ने खुद के द्वारा व अपनी बेटी दामिनी पूनिया द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गयी पुस्तक आप्रेशन खुकरी भी पेश की।

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मेजर जनरल पूनिया ने बताया कि 19वीं सदी के आखिर में और 20वीं सदी की शुरुआत में सिएरा लियोन अपने देश के अंदर ही देश विरोधी ताकतों से लड़ रहा था और गृहयुद्ध की स्थिति थी। ऐसे में यूएन ने दिसम्बर 1999 में देशों की सैनिक टुकडिय़ां इस देश में शांति स्थापना के लिए भेजी लेकिन आतंकियों के आगे 15 देशों की सैन्य टुकडिय़ों ने हथियार डाल दिये। मगर, भारत की सेना ने हथियार नहीं डाले। उनके पास दो वक्त का पूरा खाना भी नहीं था। ऐसे में दिन में एक बार खाना खाकर पूरी सैन्य टुकड़ी जीवत रही। आतंकियों के साथ बार-बार बैठक हो रही थी और वो हथियार डालने की बात कर रहे थे मगर भारत के सैनिक हथियार डालना नहीं चाहते थे। वो सिएरा लियोन छोडऩे को तैयार थे मगर हथियार डालने को नहीं। ऐसे में वो आतंकियों से घिरे हुए थे। 60 दिन बात जब सेना का खाना खत्म हो गया तो उनके पास युद्ध के अलावा कोई चारा नहीं बचा। 15 जुलाई 2000 को ब्रिटेन के सैन्य सुपरवाइजर को बचाने के लिए ब्रिटेन के दो चिनूक हैलिकॉप्टर सिएरा लियोन के जंगलों में आये और ब्रिटेन के सैन्य सुपरवाइजर सहित कुछ पैदल नहीं चलने लायक सैनिकों को साथ ले गये। इसके बाद उनकी सैन्य टुकड़ी ने एक असंभव नजर आने वाले ऑप्रेशन की शुरुआत की और केवल एक सैनिक की शहादत के साथ सैकड़ों आतंकियों को मारते हुए जंगलों से बाहर निकल आये। 5/8 गोरखा यूनिट के ये सभी सैनिक सिएरा के दारू नामक स्थान पर 70 किलोमीटर पैदल चलते हुए पहुंचे। बीच रास्ते में सैनिकों ने आतंकियों से लोहा लिया और उनको हराते हुए आप्रेशन को सफल बनाया। इसके बाद सिएरा लियोन में आतंकियों की इस हार के बाद शांति की स्थापना हुई।

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मेजर जनरल पूनिया ने बताया कि ऑप्रेशन सफल होने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस भी सैनिकों से मिलने सिएरा लियोन पहुंचे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उस देश में फंसे भारतीय सैनिकों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किये और ऑप्रेशन खुकरी को अंजाम देने की इजाजत दी। उन्होंने बताया कि इस ऑप्रेशन में हिमाचल प्रदेश का एक सैनिक कृष्ण कुमार शहीद हुआ था। उन्होंने बताया कि ऑप्रेशन खुकरी पुस्तक का प्रथम विमोचन 15 जुलाई को राजभवन, पटना में हुआ था। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शहीद हवलदार कृष्ण के बेटे विशाल परमार आया था। विशाल ने उन्हें बताया था कि उनके पिता के शहीद होने के बाद तत्कालीन हिमाचल प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर एक स्कूल बनाने की घोषणा की थी लेकिन वो स्कूल अब तक बना नहीं है।
उन्होंने बताया कि ये एक ऐसा खतरनाक व सफल सैन्य मिशन था, जिसके बारे में देश की जनता को अधिक नहीं पता है। अब उन्होंने इस मिशन पर अपनी बेटी दामिनी पूनिया के साथ मिलकर ऑप्रेशन खुकरी किताब लिखी है। जल्द ही इस किताब का हिन्दी वर्जन भी बाजार में मिलने लगेगा। इस अभियान पर बॉलीवुड फिल्म के बारे में उन्होंने बताया कि एक्टर शाखरुख खान इस पूरी कहानी पर फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन उनके पास जो जानकारी थी वो अधूरी थी। अब अगर वो फिल्म बनाना चाहते हैं तो उनकी लिखी किताब के आधार पर बना सकते हैं ताकि देश की जनता को इस अभियान की पूरी जानकारी मिल सके।
इस मौके पर मेजर जनरल राजपाल पूनिया वाईएसएम की पत्नी अनीता पूनिया ने बताया कि जिस वक्त ये ऑप्रेशन हुआ था तब तीन महीने उनकी अपने पति से बात नहीं हुयी थी। बल्कि उनको ये बताया जा रहा था कि उनके पति अन्य सैनिकों के साथ अफ्रीका के जंगलों में फंसे हैं और वहां उनका बचना मुश्किल है। ये वक्त बहुत मुश्किल से गुजरा लेकिन उन्हें अपने भगवान पर विश्वास था कि वो उनके पति और अन्य सैनिकों को सुरक्षित रखेंगे।
मेजर जनरल पूनिया की पुत्री व ऑप्रेशन खुकरी की सह लेखिका दामिनी पूनिया ने बताया कि इस ऑप्रेशन के दौरान वह 4 साल की थी लेकिन उन्हें इतना याद है कि सब कुछ सही नहीं था। जब वह बड़ी हुई तो उनको इसकी पूरी कहानी पता लगी। तब उनके पिता ने इसे एक किताब का रूप देने की ठानी तो उन्होंने भी उनका साथ दिया।
बता दें कि मेजर जनरल राजपाल पूनिया मूल रूप से राजगढ़ के रहने वाले हैं और हिसार आर्मी कैंट में जीओसी रहते हुए इन्होंने सिरसा डेरा खाली करवाने का भी ऑप्रेशन सफलतापूर्वक अंजाम दिया था।