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जल संरक्षण आधारित शोध को दें बढ़ावा ताकि किसानों को मिले सीधा लाभ : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार। लगातार गिरते भूमिगत जलस्तर के चलते जल संरक्षण आधारित शोध को बढावा देना समय की मांग है। इससे न केवल जल संरक्षित होगा बल्कि किसानों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। भूमि व जल संरक्षण की समस्या को केवल फसल विविधीकरण व संरक्षित सिंचाई की आधुनिक तकनीकों से ही सुलझाया जा
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जल संरक्षण आधारित शोध को दें बढ़ावा ताकि किसानों को मिले सीधा लाभ : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचआर ब्रेकिंग न्यूज। हिसार। लगातार गिरते भूमिगत जलस्तर के चलते जल संरक्षण आधारित शोध को बढावा देना समय की मांग है। इससे न केवल जल संरक्षित होगा बल्कि किसानों को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। भूमि व जल संरक्षण की समस्या को केवल फसल विविधीकरण व संरक्षित सिंचाई की आधुनिक तकनीकों से ही सुलझाया जा सकता है। ये विचार चौधरी चरण सिहं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय के सस्य विज्ञान विभाग एवं बारानी खेती विभाग के वैज्ञानिकों की समीक्षा बैठक के दौरान संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि मौजूद समय में वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की समस्याओं के अनुरूप ही शोध कार्यों को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने विभाग की शोध गतिविधियों की सराहना करते हुए फसल चक्र, फसल विविधीकरण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों के हित के लिए विश्वविद्यालय में विभिन्न फसलों में उन्नत सिंचाई, उर्वरकों का उपयुक्त उपयोग, टपका सिंचाई, फसल चक्र व फसल विविधीकरण, समन्वित कृषि प्रणाली, धान की सीधी बिजाई, शुष्क क्षेत्रों में पैदावार बढाने के लिए उन्नत तकनीकें, खरीफ फसलों में खरपतवार नियंत्रण व खरपतवार नाशियों द्वारा पर्यावरण पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चल रहे अनुसंधानों के बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जमीन की उत्पादक क्षमता को बनाये रखने के लिए उर्वरकों के प्रयोग में उचित मापदंड अपनाने होंगे। इसके अलावा वर्तमान समय में भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बदलते कृषि परिदृश्य के मद्देनजर अनुसंधान कार्यों में बदलाव की जरूरत है। ऐसा करके भविष्य में किसानों की आमदनी को बढाने के साथ-साथ निर्धारित फसल उत्पादन को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई तकनीकों व आधुनिक प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुंचाया जाना बहुत जरूरी है ताकि किसान को अधिक से अधिक फायदा मिल सके। इसके लिए विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जाने चाहिए और समय-समय पर विभिन्न फसलों के लिए सलाह जारी की जानी चाहिए। इससे किसानों को फसलों संबंधी आने वाली समस्याओं से निजात मिलेगी और उन्हें फसल का बेहतर उत्पादन मिल सकेगा। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस. के. सहरावत ने कहा कि विश्वविद्यालय सदैव किसानों की समस्याओं और समय-समय पर होने वाले जलवायु परिवर्तनों को लेकर शोध कार्य कर रहा है। इसके परिणाम भी बेहतर मिल रहे हैं जो किसानों के लिए बहुत ही लाभप्रद हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. ठकराल ने विभाग में चल रहे विभिन्न अनुसंधान कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। बैठक में अतिरिक्त अनुसंधान निदेशक डॉ. नीरज कुमार, परियोजना निदेशक डॉ. सतीश खोखर सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों और वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया और विभाग में चल रहे शोध कार्यों के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए बहुमूल्य सुझाव दिये।