Cheapest Dry Fruit Market : भारत में इस जगह आलू प्याज के भाव मिलते हैं काजू बादाम, बोरे भरकर ले जाते हैं लाेग
Cheapest Dry Fruits Market: भारत में सस्ते में ड्राई फ्रूट्स खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो बता दें भारत में एक ऐसी जगह है, जहां ड्राई फ्रूट्स बहुत ही सस्ते में मिलते हैं। भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां ड्राई फ्रूट्स आलू-प्याज के रेट में मिल जाते हैं। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
HR Breaking News (नई दिल्ली)। ये तो हम सभी जानते हैं, सेहत के लिए सूखे मेवे कितने ज्यादा फायदेमंद हैं। कमजोरी से लेकर आंखों की रोशनी तक और तेज दिमाग से लेकर याददाश्त अच्छी करने जैसी परेशानियों तक, ये मेवे हेल्थ के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक होते हैं। हालांकि जब बात काजू-बादाम की आती है, तो यही मेवे सबसे ज्यादा कीमत में बाजारों में मिलते हैं। जिन्हें इंसान अगर मुट्ठीभर भी खरीद लें तो जेब खाली हो जाए।
हालांकि भारत में एक ऐसी जगह भी है, जहां ड्राई फ्रूट्स आलू-प्याज की कीमत में मिल जाते हैं। 1000 रुपए में मिलने वाले बादाम आपको इस बाजार में महज 40 रुपए किलों में आसानी से मिल जाएंगे। तो चलिए फिर ज्यादा देर किए आपको इस लेख के जरिए उस मार्केट के बारे में बताते हैं।
सबसे सस्ती ड्राई फ्रूट्स मार्केट कहां है
सबसे सस्ती ड्राई फ्रूट्स भारत के झारखंड के राज्य में बिकता है। झारखंड के जामताड़ा जिले को काजू नगरी भी कहते हैं। झारखंड में बड़ी मात्रा में काजू की खेती भी की जाती है। हर साल यहां हजारों के टन में काजू की पैदावार होती है। यहां आपको ड्राई फ्रूट्स की कीमत कौड़ियों के भाव में दिखाई देगी।
जामताड़ा में काजू बादाम की क्या है कीमत
भारत के बाजारों में काजू की कीमत करीबन 900 रुपए से एक हजार रुपए किलों है। लेकिन जामताड़ा में सड़क किनारे लोग काजू-बादाम बेचते हुए दिख जाएंगे। आसानी से यहां काजू 30 रुपए किलो 40 रुपए प्रति किलो खरीद सकते हैं।
जामताड़ा में क्यों सस्ता है काजू और बादाम
जामताड़ा के नाला गांव में करीबन 50 एकड़ जमीन पर काजू की खेती की जाती है। यहां काजू के बड़े-बड़े बागान भी हैं। इस वजह से बागान में काम करने वाले लोग भी बेहद सस्ते दाम पर सूखे मेवे बेचते हैं। झारखंड की उपराजधानी दुमका में भी काजू की भरपूर खेती होती है।
किसानों को नहीं मिलता मुनाफा
इसके अलावा संथाल परगना प्रमंडल में भी काजू की खेती होती है। हालांकि किसानों को उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता और यहां प्रोसेसिंग प्लांट भी नहीं है, यही वजह है यहां ग्रामीण खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता।