Hisar में मिला ब्लैक फंगस का मामला, महिला आइसोलेशन में
HR BREAKING NEWS. जिले में वीरवार को ब्लैक फंगस का संदिग्ध मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार शहर निवासी एक 60 वर्षीय बुजुर्ग में ब्लैक फंगस के संदिग्ध लक्षण मिले हैं। फिलहाल संक्रमित बुजुर्ग को आइसोलेशन वार्ड में दाखिल कर लिया गया है और उपचार जारी है। अभी तक चिकित्सकों ने भी पूरी तरह ब्लैक फंगस होने की पुष्टि नहीं की है।
चिकित्सकों के मुताबिक संक्रमित बुजुर्गों को आंखों में सूजन पाई गई है और उसे देखने में भी कमी है। वैसे भी यह ब्लैक फंगस आंखों पर बुरा प्रभाव डालता है। कई बार तो लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है। फिलहाल संक्रमित बुजुर्ग का शुगर लेवल ठीक है। मगर इससे पहले बुजुर्गों ने शुगर कंट्रोल करने के लिए वैक्सोना स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया था। कई बार अधिक वैक्सोना स्टेरॉयड लेने से ब्लैक फंगस होने की आशंका रहती है।
यदि चिकित्सकों की मानें तो यह ब्लैक फंगस उन मरीजों में मिलता है, जो कोरोना से ठीक होने के बाद भी महीना या 2 महीने तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहता है। ऐसे में उन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिस कारण यह म्यूकरमाइकोसिस होने के आसार अधिक रहते हैं। यह ज्यादातर शुगर वाले मरीजों में ही मिलता है। मगर वीरवार को मिले केस में बुजुर्ग को शुगर की शिकायत तो है, लेकिन यह लक्षण संक्रमण के साथ ही मिले हैं। कोरोना पॉजिटिव होने के कारण बुजुर्ग का आइसोलेशन वार्ड में उसका चल रहा है। सूत्रों की माने तो अधिकतर लोगों में यह शिकायत आ रही है। मगर वह डर के चलते चिकित्सक के पास आने की बजाय नजदीकी दवा स्टोर से ही उपचार ले रहे हैं, जो गलत है।
आंखों की रोशनी चले जाने का भी डर रहता
यह ब्लैक फंगस एक म्यूकरमाइकोसिस है, जो शुगर के मरीजों में सामान्य होता है। मगर अब यह कोविड-19 मिलने वाले मरीजों में ठीक होने के बाद मिल रहा है। पहले यह नाक के आसपास के हिस्से को प्रभावित करते हुए आंखों पर भी गहरा असर करता है। इसे फंगस इंफेक्शन भी कहते हैं। आंखों की रोशनी चले जाने का भी डर रहता है। ऐसे में नाक और आंखों पर सूजन या सूनापन की शिकायत हो तो इसे हल्के मेें ना लेेंं। इसलिए समय पर चिकित्सक से जांंच करवाएंं।
- डॉक्टर रिपनजीत कौर,आंख रोग विशेषज्ञ।
