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अब कम समय में होगा कैंसर मरीजों का बेहतर इलाज़, चंडीगढ़ के रेडियोलॉजी डिपार्टर्मेंट में भाभाट्रॉन टेलीथैरेपी स्थापित

चंडीगढ़ PGI के रेडियोलॉजी विभाग में भाभाट्रॉन टेलीथैरेपी स्थापित की गई है। ये टेलीथैरेपी अलग-अलग कैंसर के मरीजों का इलाज़ करेगी। दिन-प्रतिदिन कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए PGI ने इस लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की भाभाट्रॉन-2 TAW कोबाल्ट 60 यूनिट को स्थापित किया है। यहां चंडीगढ़ सहित पूरे नॉर्थ इंडिया से कैंसर का इलाज
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अब कम समय में होगा कैंसर मरीजों का बेहतर इलाज़, चंडीगढ़ के रेडियोलॉजी डिपार्टर्मेंट में भाभाट्रॉन टेलीथैरेपी स्थापित

चंडीगढ़ PGI के रेडियोलॉजी विभाग में भाभाट्रॉन टेलीथैरेपी स्थापित की गई है। ये टेलीथैरेपी अलग-अलग कैंसर के मरीजों का इलाज़ करेगी। दिन-प्रतिदिन कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए PGI ने इस लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की भाभाट्रॉन-2 TAW कोबाल्ट 60 यूनिट को स्थापित किया है।

यहां चंडीगढ़ सहित पूरे नॉर्थ इंडिया से कैंसर का इलाज कराने मरीज आते हैं। भाभाट्रॉन टेलीथैरेपी स्थापित होने से अब मरीजों को कम समय में और बेहतर इलाज मिलेगा। मरीजों की वेटिंग लिस्ट भी कम होगी। रेडियोथैरेपी डिपार्टमैंट की हेड डॉ. सुष्मिता घोषाल के मुताबिक कैंसर के 70% मरीजों को इलाज के लिए रेडियोथैरेपी की जरूरत होती है।

क्या है प्रोजेक्ट की खासियत?
इस प्रोजेक्ट की खासियत ये है इसमें पेपरलेस रिकॉर्ड, बेहतर इलाज और सेफ्टी जैसी सुविधाएं हैं। इसमें 8 घंटे का बैटरी बैकअप है। 60-70 मरीजों को कम वक्त में ही इलाज दे सकता है। कोबाल्ट-60 टैलीथैरेपी यूनिट की तुलना में ये अधिक प्रभावी है और खर्च भी 75% कम है। यह भाभाट्रॉन टैलीथैरेपी मशीन रेडियोलॉजिकल फिजिक्स एंड एडवाइजरी डिवीजन (भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर) और पैनासिया मेडिकल टेक्नोलॉजी का संयुक्त प्रोजेक्ट है।

साल 2011 से 2018 तक PGI चंडीगढ़ रीजनल कैंसर सेंटर में 55,861 कैंसर के मरीज आए जिनमें 24,022 महिलाएं और 27,785 पुरुष शामिल थे। साल 2011 से 2015 में सबसे ज्यादा मरीज पंजाब से थे। पंजाब के बाद दूसरे नंबर पर हरियाणा तो तीसरे पर हिमाचल प्रदेश है।

फ़िलहाल 4 यूनिट है
इस वक्त PGI में 4 फंक्शनल यूनिट हैं जहां मरीजों को रेडियोथैरेपी दी जाती है। इनमें 2 ब्रेकीथैरेपी यूनिट, एक X-RAY सिम्युलेटर, 2 CT सिम्युलेटर (इनमें एक 4 DCT क्षमता का) और एक थेराट्रॉन 780-C (कोबाल्ट 60 यूनिट) है। रोजाना यहां 250 से 300 मरीजों का इलाज और रिसर्च का काम होता है।