पंजाब के बाद AAP की हरियाणा पर नजर, भाजपा, कांग्रेस सहित इन पार्टियों का बिगाड़ा गणित
पंजाब जीतने के बाद अब आम आदमी पार्टी हरियाणा में अपनी पैठ जमाने में लगी है। पंजाब में आप के जादू को देख हरियाणा में कई दिग्गज नेता आप का दामन थाम रहे हैं। बीते दिनों कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी निर्मल सिंह और उनकी बेटी आप में शामिल हुई।

HR Breaking News, पंजाब ब्यूरो, पंजाब में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत के बाद अंबाला में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में उथल-पुथल का माहौल है। 4 दिन पहले पूर्व मंत्री एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास चौधरी निर्मल सिंह ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। चौधरी के साथ-साथ उनकी बेटी चित्रा सरवारा और तमाम कार्यकर्ता भी उनके पीछे-पीछे आम आदमी पार्टी में कूद पड़े।
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निर्मल सिंह के अलावा अंबाला शहर में तो मानो आप में कूदने वालों की होड़ सी मच गई है। विभिन्न उद्योगपतियों से लेकर कारोबारियों तक आम आदमी पार्टी में जाने की तैयारियों में जुटे हैं। इससे राजनीतिक पार्टियों का अंबाला में समीकरण बिगड़ चुका है। ऐसी स्थिति खुद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भी है और अब उनकी बेचैनी भी बढ़ने लगी है।
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कैसे बिगड़ा गणित
बेशक जिले में आम आदमी पार्टी का कुनबा बड़ा हो गया है लेकिन इससे खुद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता ही चिंतित हैं। वह कार्यकर्ता जो 2014 के चुनावों से पहले ही पार्टी से जुड़े हुए थे अब उन्हें अपने पांव तले से जमीन खिसकती नजर आ रही है।
क्योंकि निर्मल और चित्रा के आने से अंबाला छावनी विधानसभा और अंबाला शहर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के लिए उनके टिकट की दावेदारी कमजोर पड़ गई है।
ऐसे में इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि आने वाले समय में आम आदमी पार्टी में भी फूट पड़ सकती है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का कुनबा बढ़ने से जिले में अब आप को विपक्ष के रूप में देखा जाने लगा है।
वर्तमान में मैं तो इनेलो और ना ही कांग्रेस कोई भी पार्टी विपक्ष की भूमिका नहीं निभा पा रही है। जैसी स्थिति जननायक जनता पार्टी की भी है।
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विनोद शर्मा नजर आने लगे थे विकल्प
बात करें पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पार्टी हरियाणा जनचेतना की तो नगर निगम मेयर के चुनाव के बाद शहर वासियों को विनोद शर्मा में ही विपक्ष के तौर विकल्प नजर आने लगा था। लेकिन आम आदमी पार्टी ने उनकी दावेदारी को भी जिले में कमजोर कर दिया है।
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हालांकि आम आदमी पार्टी में चल रही उथल-पुथल क्या रंग लाएगी यह तो आने वाला समय ही तय करेगा लेकिन आप सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी साख बचाने के लिए नए सिरे से अपनी जमीन तैयार करनी पड़ेगी और आम आदमी पार्टी को भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जनमुद्दों को भुनाना पड़ेगा वरना पंजाब जीत की खुशी ज्यादा देर नहीं टिक सकेगी।