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राजस्थान पुलिस और भाजपा नेता की वजह से डॉ. अर्चना ने की आत्महत्या

doctor  archana sharma death news in hindi : राजस्थान (Rajasthan)के दौसा (Dausa)में महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई है. जिस शिकायत के दबाव में आकर डॉक्टर अर्चना शर्मा (Archana Sharma) ने आत्महत्या की थी, उस शिकायत के बारे में मृतक के पति को कोई जानकारी ही नहीं है. मृतक के पति का कहना है कि वह मजदूर है, पढ़ना लिखना नहीं जानता, FIR में क्या लिखा गया ये उसे नहीं पता है. पूरी मामला जानने के लिए नीचे जाएं
 
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HR BREAKING NEWS इस केस में मृतक डॉक्टर के पति का आरोप है कि कुछ नेताओं ने मृतक के परिवार को मुआवजे का लालच देकर उनकी पत्नी के खिलाफ झूठा केस करवाया है. वहीं इस मामले को गहलोत सरकार ने भी इस मामले में एक्शन लेते हुए दौसा के एसपी को हटा दिया है और पूर्व भाजपा विधायक जितेंद्र गोथवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है.

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शिकायत में क्या लिखा मुझे नहीं पता’


दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, खेमावास निवासी आशा देवी (22) गर्भवती थीं. उनके पति लालूराम बैरवा और उनके परिजन उन्हें लालसोट के सरकारी अस्पताल में दिखाने ले गए. वहां से उन्हें दौसा भेज दिया गया. दौसा वाले डॉक्टरों ने उन्हें जयपुर भेज दिया.

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जयपुर में डॉक्टर ने कहा कि बच्चेदानी निकालनी पड़ेगी, लेकिन इसके लिए आशा तैयार नहीं हुई. इस पर लालूराम ने डॉ. अर्चना शर्मा को फोन किया. लालूराम का कहना है कि 2017 में उनकी जुड़वा बेटियों का जन्म भी अर्चना शर्मा के अस्पताल में हुआ था, इसलिए उनको फोन किया. डॉ अर्चना ने उसे बताया कि बिना बच्चादानी निकाले ऑपरेशन हो जाएगा.


लालूराम ने भास्कर से बातचीत में कहा,


डॉ अर्चना शर्मा के कहने पर मैंने पत्नी को भर्ती करवा दिया, ऑपरेशन के बाद पत्नी की ब्लीडिंग बंद नहीं हुई और मौत हो गई. तभी भीड़ इकट्‌ठी हो गई. मैं उनमें से किसी को नहीं जानता. मैंने शिकायत नहीं दी, मैं मजदूर आदमी हूंं, शिकायत लिखना क्या जानूं.”

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लालूराम का कहना है कि कुछ लोगों ने उससे एक कागज पर साइन करवाए थे, उस कागज पर क्या लिखा था उसने नहीं पढ़ा. लालूराम ने अखबार से बातचीत में आरोप लगाया है कि उसे किसी ने मुकदमे की कॉपी भी नहीं दी. जिन लोगों ने ये शिकायत लिखी थी, उन्होंने इसमें धारा 302 का जिक्र किया था. पुलिस ने भी डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज करते हुए उसमें धारा 302 (हत्या) लगा दी.


भाजपा नेताओं की भूमिका पर उठ रहे सवाल


वहीं इस मामले में मृतक डॉक्टर अर्चना शर्मा के पति डॉ सुनीत उपाध्याय का कहना है कि इस पूरी घटना के पीछे स्थानीय भाजपा नेता शिवशंकर बल्या जोशी का हाथ है. डॉ सुनीत उपाध्याय ने दैनिक भास्कर से कहा,

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सोमवार को डिलीवरी हुई थी, दो घंटे बाद मैसिव अटॉनिक पीपीएच हुआ. (यानी डिलीवरी के समय ब्लीडिंग हुई.) हम जूझते रहे, पर बचा न सके. परिजनों ने ये सब देखा तो हाथ जोड़ते हुए कहा कि साहब आपने तो पूरी कोशिश की थी बचाने की, हमारी तकदीर खराब थी. फिर हमने फ्री में एंबुलेंस से उन्हें घर भी भिजवाया. अंत्येष्टि की तैयारी चल रही थी. शिवशंकर उन्हें मुआवजा दिलाने की बात कहकर ले आया.” 


सुनीत उपाध्याय ने आगे कहा,

 


100- 200 लोगों ने अस्पताल के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया. शिवशंकर ने की भाजपा के हरकेश मटलाना, जितेंद्र गोठवाल को भी बुला लिया. शिवशंकर फिरौती, ब्लैकमेलिंग की कोशिश करता रहा है. हमने रिपोर्ट करना चाहा पर पुलिस ने किरोड़ीलाल मीना के दबाव में आकर केस दर्ज नहीं किया. वह (शिवशंकर) हिस्ट्रीशीटर भी है, पुलिसवालों का सिर फोड़ चुका लेकिन हर बार किरोड़ी उसे बचा लेते हैं.”


डॉ सुनीत जोशी का कहना है कि शिवशंकर जोशी के ही दबाव में आकर पुलिस ने उनकी पत्नी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया. जब ये खबर अखबारों में छपी तो उनकी पत्नी डर गई और आत्महत्या का कदम उठाया.


खबरों के मुताबिक,  मौत के पहले अर्चना शर्मा ने कथित रूप से एक आखिरी संदेश भी दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि PPH (Post Partum Hemorrhage – प्रसव के बाद होने वाली ब्लीडिंग) एक जानीमानी complication है, इसके लिए डॉक्टर को इतना प्रताड़ित करना बंद करो. इसके बाद उन्होंने कहा- Don’t Harass Innocent Doctors. Please.


मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने शिकायत से धारा 302 हटा दी.


प्रशासन ने क्या किया?


इस केस में पुलिस ने पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश मंत्री जितेंद्र गोठवाल को अरेस्ट किया है. गोठवाल पर आरोप है कि उन्होंने ही अर्चना शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया था, जिसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली थी. गोठवाल ने सोशल मीडिया पर इस प्रदर्शन की तस्वीरे भी पोस्ट की. गोठवाल ने ट्वीट कर लिखा,


“लालसोट निवासी आशा बैरवा की ऑपरेशन डिलीवरी के समय चिकित्सा विभाग की लापरवाही के कारण मौके पर ही मौत हो जाने की सूचना प्राप्त होते ही उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए लालसोट पहुंचा व दो घंटे गांव के लोगों के साथ धरने पर बैठकर मृतक परिवार को न्याय दिलाया व 10 लाख की आर्थिक सहायता की”

 

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