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Wheat MSP इस बार MSP का नाम नहीं ले रहे किसान, जानिए असली वजह

गेहूं किसानों की इस साल बल्ले बल्ले है। बीते दो दशक में पहली बार किसानों को एमएसपी (Minimum Support Price)से अधिक कीमत मिल रही है। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में उछाल आना है। सरकार जिस एमएसपी पर किसानों से गेहूं खरीद रही है, व्यापार उससे ज्यादा कीमत आॅफर कर रहे हैं।
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Story Highlights
    इस साल गेहूं की जबरदस्त खरीदारी हो रही है, पर MSP की चर्चा तक नहीं
    सभी मंडियों में MSP से ज्यादा कीमत पर बिक रहा है गेहूं
    इस साल सरकारी लक्ष्य की खरीद होना मुश्किल  

HR Breaking News, नई दिल्ली, देश में इन दिनों गेहूं की खरीद चल रही है, लेकिन किसान आंदोलन की धुरी रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP की चर्चा कुछ कम है। किसान इस बार गेहूं पर MSP का नाम तक नहीं ले रहे हैं। गेहूं के किसानों के लिए यह मौका करीब दो दशक बाद आया है।

यह मौका है गेहूं के बढ़े दाम का। दरअसल, गेहूं के बाजार में इस साल बड़े उलटफेर हुए हैं। दुनिया भर के देशों में गेहूं का निर्यात करने वाले बड़े देश रूस और युक्रेन आपस में ही उलझे हैं। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें चढ़ गई हैं।

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इस स्थिति से चाहे दुनिया के अन्य देश भले ही परेशान हों, पर भारत के किसान खुश हैं। तभी तो देश के अधिकतर राज्यों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी से उपर बिक रहा है। गेहूं के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने से पहले गेहूं किसानों को एमएसपी से ज्यादा भाव मिलता था।

क्या है एमएसपी


सरकार ने गेहूं के चालू मार्केटिंग सीजन के लिए गेहूं की एमएसपी 2015 रुपये प्रति क्विटंल तय की गई है। चाहे दिल्ली की बात करें या हरियाणा या पंजाब। सब जगह मंडी में गेहूं एमएसपी से अधिक कीमत पर बिक रहा है। यूं तो सरकारी खरीद एमएसपी पर ही हो रहा है, लेकिन व्यापारी उससे ज्यादा दाम देकर किसानों से गेहूं खरीद रहे हैं।

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कहां मिल रहा है एमएसपी से ज्यादा दाम


दिल्ली की नरेला मंडी में कल गेहूं 2,200 रुपये क्विंटल बिका था। हरियाणा में भी यह 2,050 से 2,100 रुपये क्विंटल तक गेहूं बिक रहा है। हां, पंजाब में अवश्य व्यापारियों ने सांठगांठ कर लिया है। वे एमएसपी से अधिक कीमत पर तो गेहूं खरीद रहे हैं, लेकिन भाव एमएसपी से महज पांच रुपये ज्यादा दे रहे हैं। मतलब कि उन्हें 2,020 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। मध्य प्रदेश में तो शरबती गेहूं का भाव 2,400 से 2,700 रुपये क्विंटल तक चल रहा है।

 

सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल!


एमएसपी से अधिक दाम मिलने की वजह से इस साल सरकारी खरीद का लक्ष्य तय होना मुश्किल लग रहा है। सरकार ने इस साल रिकार्ड 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है। एक अप्रैल से ज्यादातर राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में गेहूं की खरीद 15 जून 2022 तक चलेगी।

इतना बड़ा लक्ष्य पहले नहीं हुआ है निर्धारित

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भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई ने गेहूं की सरकारी खरीद के लिए वर्क प्लान जारी की है। इसमें कहा गया है कि रबी सीजन 2022-23 में 444 लाख टन गेहूं की खरीद की जाएगी। इतना बड़ा लक्ष्य पहले कभी निर्धारित नहीं किया गया था। पिछले साल 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। जब किसान एफसीआई को गेहूं बेचने से बच रहे हैं तो सवाल उठता है कि क्या सरकारी क्रय केंद्रों पर इतनी खरीद संभव हो पाएगी?

17 अप्रैल तक 32 फीसदी घटी है सरकारी खरीद


मौजूदा रबी विपणन वर्ष में 17 अप्रैल तक केंद्र की गेहूं खरीद 32 फीसदी घटकर 69.24 लाख टन रह गई। एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 102 लाख टन का था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक निजी कंपनियां निर्यात के लिए आक्रामक दाम पर गेहूं खरीद रही हैं।

इस वजह से मंडी में खरीद करने वाले व्यापारी एमएसपी से ज्यादा रेट किसानों को दे रहे हैं। इसी वजह से सरकारी खरीद में यह गिरावट देखने को मिल रही है। उल्लेखनीय है कि रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है, लेकिन ज्यादातर खरीद जून तक पूरी हो जाती है।

 

क्या है एमएसपी व्यवस्था


किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू की गई है। अगर कभी फसलों की क़ीमत गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही किसानों से फसल ख़रीदती है। ऐसा इसलिए ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके। किसी फसल की एमएसपी पूरे देश में एक ही होती है।

कौन तय करता है एमएसपी


भारत सरकार का कृषि मंत्रालय एमएसपी तय करता है। इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग (कमिशन फ़ॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस CACP) की अनुशंसाओं को आधार बनाया जाता है। इस समय सरकार 23 फसलों की एमएसपी पर ख़रीद करती है। इन 23 फसलों में धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और कपास जैसी फसलें शामिल हैं।

कितने किसानों को मिलता है एमएसपी का लाभ


एक अनुमान के अनुसार देश में केवल 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। लाभ पाने वालों में सबसे ज्यादा किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। और इस वजह से तीन किसान कानूनों का विरोध भी इन्हीं इलाकों में ज्यादा हो रहा था।