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MSP : सरकारी केंद्रों में पसरा सन्नाटा, मंडियों में मिल रहा गेहूं का एमएसपी से ज्यादा रेट

खुले बाजार में गेहूं का रेट एमएसपी से ज्‍याद है। यही कारण है कि किसान खुले बाजार की ओर दौड़े आ रहे हैं। इससे अधिकांश सरकारी केंद्रों पर सन्‍नाटा पसरा है। खुले कारोबार को बढ़ावा देने के कई राज्‍यों ने मंडी शुल्क हटा लिया है।
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MSP : सरकारी केंद्रों में पसरा सन्नाटा, मंडियों में मिल रहा गेहूं का एमएसपी से ज्यादा रेट

HR Breaking News : नई दिल्ली। पिछले वर्ष कुछ राज्यों में किसान आंदोलन ने जोर पकड़ा था। 
सरकार द्वारा किसानों को सरकारी मंडियों से मुक्त कर उन्हें खुला बाजार मुहैया कराने और उनकी आय बढ़ाने की कोशिश इसकी मुख्य वजह थी। किसानों के एक वर्ग ने इसे एमएसपी पर खरीद को सीमित करने का प्रयास माना था लेकिन जमीन पर वर्तमान सच्चाई यह है कि किसान खुद खुले बाजार की ओर दौड़े आ रहे हैं।

खुले बाजार में गेहूं का भाव सरकार के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले अधिक मिल रहा है।
खरीद के शुरुआती सप्ताह में मंडियों में कुल 20.83 लाख टन गेहूं की आवक हुई लेकिन सरकारी खरीद केवल 1.99 लाख टन हो सकी है। बाकी गेहूं की खरीद निजी व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने कर ली है। यह स्थिति उस पंजाब और हरियाणा की भी है, जहां कुछ किसान संगठनों ने सरकार की कोशिशों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया था।

चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2022-23) के प्रथम सप्ताह में गेहूं की सरकारी खरीद बहुत धीमी है। गेहूं उत्पादक विभिन्न राज्यों की अनाज मंडियों में गेहूं का निजी कारोबार तेज हो गया है। एमएसपी 2,015 रुपये प्रति ¨क्वटल के मुकाबले खुले बाजार में गेहूं का भाव इससे ऊपर बोला जा रहा है, जिससे किसानों ने गेहूं की बिक्री का रुख निजी कारोबारियों की तरफ मोड़ दिया है।
सरकारी खरीद के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के पहले सप्ताह में देश की विभिन्न अनाज मंडियों में कुल 20.83 लाख टन गेहूं की आवक हुई है, जिसमें से एमएसपी पर सरकारी खरीद मात्र 1.99 लाख टन हो सकी है। यानी 10 प्रतिशत भी सरकारी खरीद नहीं हो पाई। वजह स्पष्ट है कि बाजार में गेहूं की मांग अधिक होने की वजह से कीमतें घोषित एमएसपी से अधिक बोली जा रही हैं।

 

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सरकारी खरीद केंद्रों पर पसरा सन्नाटा

 

गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में सरकारी खरीद केंद्रों पर सन्नाटा छाया हुआ है। मध्य प्रदेश की मंडियों में शुरुआती सप्ताह कुल 18.52 लाख टन गेहूं की आवक हुई है, जिसमें से केवल 1.45 लाख टन गेहूं ही सरकारी खरीद के हिस्से आया। उत्तर प्रदेश की मंडियों में इस दौरान 20,382 टन गेहूं की आवक हुई, जिसमें केवल 385 टन गेहूं ही सरकारी केंद्रों पर पहुंचा। जबकि राजस्थान में मुट्ठीभर अनाज भी सरकारी खरीद केंद्र तक नहीं पहुंचा। राज्य की मंडियों में कुल 47,000 टन से अधिक गेहूं पहुंचा, जिसकी सौ प्रतिशत खरीद व्यापारियों ने कर ली।
हरियाणा की मंडियों में शुरुआती सप्ताह में कुल 1.48 लाख टन गेहूं की आवक हुई, जिसमें से सरकारी खरीद केवल 45,000 टन हुई है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि में शत प्रतिशत सरकारी खरीद हुई थी। पंजाब में अप्रैल के पहले सप्ताह में केवल 13,424 टन गेहूं मंडियों में पहुंचा। इसमें से मात्र 5,941 टन गेहूं सरकारी खरीद केंद्रों तक आया।

मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने अपने यहां खुले कारोबार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गेहूं की खरीद-बिक्री पर लगने वाला मंडी शुल्क हटा लिया है। इसके चलते गेहूं के बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान और व्यापारी इन्हीं राज्यों में बढ़-चढ़कर खरीद करने में जुटे हुए हैं। केंद्रीय भंडार में सर्वाधिक योगदान देने वाले वाले पंजाब व हरियाणा की मंडियों में भी सरकारी खरीद के मामले में हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। वहां खुले बाजार में अच्छा दाम मिलने की वजह से किसान व्यापारियों के हाथों अपनी उपज बेचने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं।