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Wheat Crop : एक हेक्टेयर में होगा 45 क्विंटल गेहूं, ऐसे करें खेती

Wheat Crop : अब हल्की ठंड की शुरुआत हो गई है और ऐस में किसान खेती में रबी सीजन की तैयारी शुरू कर रहे हैं। अब इस मौसम में गेहूं ऐसी फसल है, जो सबसे ज्यादा बोई जाती है। अगर किसान कुछ तरीको को अपना लें और कुछ बातों का ध्यान रखें तो एक हेक्टेयर में 45 क्विंटल गेहूं का उत्पादन (wheat production) कर सकते हैं। आइए खबर में जानते हैं कि गेहूं का ज्यादा उत्पादन किन तरीको से हो सकता है। 
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Wheat Crop : एक हेक्टेयर में होगा 45 क्विंटल गेहूं, ऐसे करें खेती

HR Breaking News (Wheat Crop) अब ये हल्का ठंड मौसम गेहूं की फसल के लिए बिल्कुल सही रहता है, इस मौसम में गेहूं की बुवाई (wheat sowing) करने पर गेहूं के दाने मजबूत और अच्छे बनते हैं। अब जैसे-जैसे रबी का मौसम आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे खेतों में हरियाली फिर से लौट आएगी। बता दें कि किसान गेहूं की फसल को सुनहरी कमाई की फसल भी कहते हैं, क्योंकि सही समय पर खेती करने से किसानों को बंपर पैदावार मिलती है।

जानिए कौन सा है गेहूं की खेती का सही समय 


गेहूं की फसल (wheat crop Updates) की अगर समय पर बुवाई की जाए और जलवायु अनुकूल रहे, तो इन फसलों से शानदार पैदावार मिलती है। जानकारो का कहना है कि नवंबर के शुरुआती 20 दिन इस फसल के लिए बेस्ट माने जाते हैं और समय पर बुवाई करने से दानों का आकार अच्छा रहने के साथ ही कीट या रोगों का खतरा भी बेहद कम हो जाता है। कृषि जानकारों का कहना है कि नवंबर के पहले हफ्ते से बुवाई  (wheat farming) शुरू कर 30 नवंबर तक पूरी कर लेने पर बेहतरीन पैदावार मिल सकती है।

किसानों के बीच खूब पॉपुलर है ये किस्में


मझौलिया जिले के अनुभवी किसान का कहना है कि उन्नत किस्मों के बीज अपनाकर किसान प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल तक गेहूं की उपज (wheat yield) पा सकते हैं। उनका कहना है कि किस्में HD-2967 और DBW-187 किसानों के बीच काफी पॉपुलर है, क्योंकि ये मात्र 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती हैं। ये बीज इम्युनिटी वाले हैं और इनके बालियां भरपूर दाने देती हैं।

ऐसे होगा उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत का इजाफा


वैसे तो खेती के कई आधुनिक तरीके है, लेकिन इन तरीको में से एक है जीरो टिलेज विधि है, जिसमें मिट्टी की जुताई किए बिना ही बुवाई की जाती है। हालांकि डीजल और श्रम लागत दोनों में कमी आती है, लेकिन इसके साथ ही मिट्टी की नमी भी बनी रहती है। जानकारो का कहना है कि जो किसान अपने कृषि विज्ञान केंद्र से प्रजो माणित बीज है, उनको लेकर जीरो टिलेज मशीन से बुवाई के प्रोसेस को अपनाते हैं, उन्हें उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिलता है।

गेहूं की इन वैरायटीज का करें चुनाव


कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि किसान (Agriculture News) सिर्फ पारंपरिक बीजों पर ही निर्भर न रहें, बल्कि नई उच्च उपज देने वाली वैरायटीज को भी अपनाएं। HD-2967 और DBW-187 के साथ ही आप DBW-222, HD-3086, HD-3226 और DBW-252 जैसी किस्मों (wheat varieties HD-2967 ) का भी चुनाव कर सकते हैं। इसके लिए आप समय से बुवाई के लिए  सबौर समृद्धि किस्म को चुन सकते हैं और देर से बुवाई के लिए सबौर श्रेष्ठ का चुनाव कर सकते हैं।


बता दें कि सबौर निर्जल इन किस्मों की बड़ी खास बात यह है कि ये अलग-अलग मौसम परिस्थितियों में भी अच्छा रिस्पांस देती हैं।

खरपतवार नियंत्रण के लिए अपनाए ये तरीके


खरपतवार गेहूं की खेती (wheat cultivation ) में सबसे बड़ी परेशानी होती है। एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि बुवाई के 30 दिन बाद खरपतवार कंट्रोल करने के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन और मेटसल्फ्यूरॉन का मिश्रण छिड़कना चाहिए। सल्फोसल्फ्यूरॉन और मेटसल्फ्यूरॉन को 16 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 120-150 लीटर पानी में घोलकर छिड़कना चाहिए। इससे फसल (Agriculture News ) को पोषक तत्वों की आपूर्ति तो मिलेगी ही ओर साथ ही उपज पर कोई असर नहीं पड़ता।

किसान को अपनाना चाहिए वैज्ञानिक तरीके


वैसे तो आज के समय में पारंपरिक खेती (Gehu Ki Kheti) से आगे किसानों को वैज्ञानिक और तकनीकी तरीकों को भी खेती में अपनाना चाहिए। इससे किसान कम लागत में मिट्टी परीक्षण, सही बीज चयन, उर्वरक का संतुलित उपयोग और समय पर सिंचाई का संयोजन करके अच्छी खासी अधिक उपज हासिल कर सकते हैं।