Car Accessories : भूलकर भी ना लगवाएं कार या गाड़ी में ये चीजें, नहीं तो फंस जाओगे बड़ी मुसीबत में
HR Breaking News, New Delhi: यदि आपने कार या गाड़ी की गुड लुकिंग के लिए एसेसरीज(Car accessories) का प्रयोग किया है तो आपको भारी जुर्माना भी देना पड़ सकता है. दरअसल, वाहन निर्माता कंपनियां अपने वाहनों में दिए जाने वाले सभी फीचर्स को सरकार द्वारा निर्देशित मानकों और वाहन मालिक के साथ-साथ अन्य लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर शामिल करते हैं. इसलिए वाहनों में किसी भी तरह के अवैध एक्सेसरीज का इस्तेमाल करने से बचें. आज हम आपको ऐसे ही कुछ एक्सेसरीज के बारे में बताएंगे, जिनके इस्तेमाल से आपको बचना चाहिएं-
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तेज हेडलाइट्स(Bright Headlights)
कंपनियां गाड़ियों में जो हेडलाइट्स देती हैं वो सरकार द्वारा निर्देशित मानकों के अनुसार होती हैं, इसमें आप हेडलाइट के कलर में भी बदलाव नहीं कर सकते हैं. ऐसा आमतौर पर देखा जाता है कि लोग वाहनों हैवी और ज्यादा रोशनी वाली हाइलोजन लैंप और HD हेडलाइट्स का इस्तेमाल करते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा रोशनी में ड्राइविंग की जा सके. ऐसा सोचना आपके लिए मुफीद होगा लेकिन इससे सड़क पर विपरित दिशा से आने वाले वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसलिए जरूरत से ज्यादा रोशनी करने वाले मॉडिफाइड हेलाइट्स और टेललाइट्स का इस्तेमाल करने से बचें.
नंबर प्लेट के साथ एक्सपेरिमेंट(Experiment with number plates)
व्हीकल रजिस्ट्र्रेशन नंबर प्लेट्स को लेकर किए जाने वाले प्रयोग भी वाहन मालिक की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. आए दिन ट्रैफिक पुलिस ऐसे वाहन चालकों का चालान काटती नज़र आती है जो मानकों के विपरित फैंसी नंबर प्लेट्स का इस्तेमाल करते हैं. नियमानुसार प्राइवेट वाहनों के लिए सफेद बैकग्राउंड पर काले अक्षर में नंबर लिखे होने चाहिएं और व्यवसायिक प्रयोग में आने वाले वाहनों पर पीले बैकग्राउंड पर काले अक्षरों का इस्तेमाल किया जाना चाहिएं. इसके अलावा नंबर पूरी तरह से स्पष्ट होने चाहिएं, ताकि इन्हें पढ़ने में कोई दिक्कत न हो. हाल ही में एक वाहन का चालान काटा गया था, जिसने अपने रजिस्ट्रेशन नंबर के आखिरी के अंकों (4141) को कुछ इस तरह से लिखवाया था, जिससे वो हिंदी में शब्द (पापा) जैस प्रतीत होता था.
तेज ध्वनि वाले प्रेशर हॉर्न(Loud sound pressure horn)
सड़क पर चलने वाले वाहनों में इस्तेमाल किए जाने वाले हॉर्न को लेकर भी सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसके अनुसार आप 100 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि उत्पन्न करने वाले हॉर्न का इस्तेमाल अपने वाहन में नहीं कर सकते हैं. वाहन में दिए जाने वाला हॉर्न मानकों अनुसार होता है, यदि आपको लगता है कि इसकी ध्वनि कम है तो आप अधिकृत डीलरशिप पर उपलब्ध हॉर्न खरीदें और उसी का इस्तेमाल वाहन में करें.
तेज ध्वनि वाले प्रेसर हॉर्न या हूटर इत्यादि के इस्तेमाल पर भी भारी चालान का प्रावधान है. मोटर व्हीकल एक्ट 2019(motor vehicle act 2019) में जोड़े गए नए प्रावधानों के मुताबिक किसी भी वाहन में अलग से प्रेशर हॉर्न लगाना गैरकानूनी है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि, साल 1930 से लंदन और पेरिस जैसे शहरों में रात में हॉर्न बजाना प्रतिबंधित है.
बंपर पर गार्ड्स(Guards on Bumpers)
ऐसा देखा जाता है कि लोग अपने वाहनों को यूनिक लुक देने और ज्यादा सुरक्षित बनाने के चक्कर में बाजार में मिलने वाले हैवी गार्डस का इस्तेमाल करते हैं. भारत सरकार ने सभी यात्री वाहनों के आगे और पीछे बुल बार और क्रैश गार्ड लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यदि कोई वाहन इस तरह के गार्ड्स का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा जाता है तो ये अपराध की श्रेणी में आता है जिसके उपरांत उक्त वाहन चालक पर 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. बता दें कि, ये गार्ड्स सड़क पर चलने वाले दूसरे वाहनों के लिए परेशानी तो खड़ी करते ही हैं साथ ही कई बार इसे जिस वाहन में लगाया जाता है उसके सेंसर को भी ठीक ढंग से कार्य करने से रोकते हैं.
वाहनों में हैवी टायर(Heavy Tyres in Vehicles)
कुछ वाहन मालिक अपने गाड़ियों में हैवी और ज्यादा चौड़े दिखने वाले टायरों का इस्तेमाल करते हैं. यहां भी आपको सजग रहने की जरूरत है, वाहन में दिए जाने वाले टायर मानकों के अनुसार आते हैं यदि आप मॉडिफाइड और चौड़े टायर का इस्तेमाल करते हैं तो ये अपराध की श्रेणी में आता है. इसके अलावा यदि आप बजट वाहन के मालिक है तो कारों में टायर बदल सकते हैं. क्योंकि निर्माता आमतौर पर बेस और टॉप वेरिएंट के लिए अलग-अलग स्पेक टायर पेश करते हैं. (जैसे) मारुति सुजुकी स्विफ्ट एलएक्सआई 160 सेक्शन टायर के साथ आती है जबकि जेडएक्सआई यानी कि टॉप वेरिएंट 180 सेक्शन टायर के साथ आती है. तो एक एलएक्सआई मालिक 180 सेक्शन टायर का विकल्प चुन सकता है, क्योंकि वाहन एक ही है.
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ब्लैक फिल्म(Black Film)
मोटर वाहन अधिनियम 1988(Motor Vehicles Act 1988) के अनुसार वाहन के विंडो या शीशे पर ब्लैक फिल्म लगाना प्रतिबंधित किया गया है. अधिनियम में उल्लेख किया गया है कि विंडस्क्रीन सहित कार के शीशों में 70 प्रतिशत से अधिक दृश्य प्रकाश संचरण होना चाहिए. भारत में टिंटेड ग्लास की अनुमति नहीं है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 में फैसला सुनाया कि कारों में ब्लैक फिल्म और सन-फिल्मों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए. कारों के अंदर किए गए अपराधों के कारण ब्लैक फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया. इसलिए अपने वाहन में इस तरह के प्रयोग न करें जिससे आपको जुर्माने का सामना करना पड़े.