इस शहर में शुरू हुई वायरलेस चार्जिंग, ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े खड़े कार हो जाएगी चार्ज
इलेक्ट्रिक गाडियों को चार्ज करने के लिए इस शहर में वायरलेस चार्जिंग की शुरुआत हो गयी है , अब गाड़ियां ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े खड़े चार्ज हो जाएँगी। आइये जानते हैं इसके बारे में

HR Breaking News, New Delhi : दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है, साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग को लेकर नित नए प्रयोग भी हो रहे हैं. ताकि लोगों के जेहन में पैबस्त चार्जिंग और रेंज एंजायटी को कम किया जा सके. अब तक आपने स्मार्टफोन को वायरलेस चार्जर से चार्ज करने की तकनीक के बारे में सुना होगा, लेकिन बहुत जल्द ही इलेक्ट्रिक कारों को भी बिना किसी वायर से कनेक्ट किए और सड़क पर चलते हुए वायरलेस चार्जिंग तकनीक से चार्ज किया जा सकेगा.
दरअसल, जापान में एक नई तकनीक को डेवलप किया गया है, जिसके तहत एक जापानी शहर में वायरलेस चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का पायलट प्रोजेक्ट शुरु किया गया है. इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से ट्रैफिक लाइट्स की मदद से सड़क पर दौड़ रही इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने की कवायद हो रही है. तो आइये जानते हैं कि आखिर क्या है ये टेक्नोलॉजी और कैसे काम करती है-
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जापान की राजधानी टोक्यो के पास एक शहर है काशीवानोहा (Kashiwa-no-ha) जिसे स्मार्ट सिटी कहा जाता है. इसी शहर में इस वायरलेस चार्जिंग इंफ्रा का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट को टायर निर्माता ब्रिजस्टोन और ऑटो पार्ट्स निर्माता एनएसके और डेंसो सहित नौ कंपनियों के साथ, टोक्यो और चिबा विश्वविद्यालयों द्वारा चलाया जा रहा है.
कैसे काम करती है वायरलेस चार्जिंग टेक्नोलॉजी:
इस प्रोजेक्ट के तहत टोक्यो विश्वविद्यालय ने इन-मोशन बिजली सप्लाई सिस्टम को डेवलप किया है. रिसचर्र इस सिस्टम के ड्यूरेबिलिटी, एबिलिटी और वाहन को लगातार चार्ज करने की क्षमताओं का परीक्षण करना चाहते हैं. इस सिस्टम में प्रीकास्ट चार्जिंग कॉइल्स को ट्रैफिक लाइट के सामने सड़क की सतह में लगाया गया है. वायरलेस चार्जर से करंट तभी गुजरता है जब सड़क पर किसी इलेक्ट्रिक वाहन की मौजूदगी का पता चलता है.
इस सिस्टम के सुचारू रूप से काम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के टायरों में एक विशेष तरह का डिवाइस लगाया गया है. जो कि ट्रैफिक सिग्नल से निकलने वाले इलेक्ट्रिकसिटी को ऑब्जर्व करते हैं और कार की बैटरी को उर्जा भेजकर उसे चार्ज करने की प्रक्रिया शुरू होती है. हालांकि ये तभी संभव है जब वाहन की रफ्तार धीमी हो, ट्रैफिक सिग्नल पर आमतौर पर वाहनों की रफ्तार धीमी होती है या फिर वाहन थोड़ी देर के लिए रूकते हैं.
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बताया जा रहा है कि, जिन इलेक्ट्रिक कारों (Electric Cars) में बिजली प्राप्त करने के लिए टायरों के पास विशेष उपकरण लगाए गए हैं, वे धीमे होने पर चार्ज हो जाते हैं. इस कॉइल के पास से यदि कार तकरीबन 10 सेकंड तक गुजरती है तो उसकी बैटरी इतनी चार्ज हो जाती है कि उसे लगभग 1 किमी (0.6 मील) की रेंज मिलती है. फिलहाल, इसे कुछ सिग्नल्स पर ही लगाया गया है और यदि सबकुछ सही रहा और प्रोजेक्ट सकारात्मक दिशा में चलता है तो इसे कई अन्य ट्रैफिक सिग्नल्स पर लगाने की योजना है.
टोक्यो विश्वविद्यालय का कहना है कि परिवहन मंत्रालय के निर्देशन में ये प्रयोग अक्टूबर से 10 मार्च तक आयोजित किया जाएगा. इसके बाद इसकी जांच की जाएगी और भविष्य में इस तकनीक के इस्तेमाल पर विचार किया जाएगा. जाहिर है कि, वायरलेस चार्जिंग सिस्टम इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है और यदि इसे इंस्टॉल किया जाता है तो इसका सीधा लाभ इलेक्ट्रिक वाहनों को आसानी से चार्ज करने में मिलेगा.
क्या होगी चार्जिंग की गणित:
जैसा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर बताया गया है कि, यदि इलेक्ट्रिक वाहन ट्रैफिक सिग्नल पर लगे कॉइल के पास से 10 सेकंड में गुजरता है तो कार को तकरीबन 1 किमी (0.6 मील) की रेंज मिलती है. इस कैल्कुलेशन के हिसाब से कार को एक मिनट में तकरीबन 6 किमी की रेंज मिलेगी, और किसी भी बिजी ट्रैफिक वाले शहर में 6 किमी के बीच कम से कम 2 ट्रैफिक सिग्नल का होना आमबात है. ऐसे में ये तकनीक इलेक्ट्रिक वाहन को पर्याप्त रेंज देने में पूरी मदद करेगी जिससे वो डेस्टिनेशन तक पहुंच सके.