लोन नहीं भरने वालों के लिए बड़ी खबर, RBI ने बैंकों को जारी की नई गाइडलाइन
अगर आप भी लोन भरते है तो ये आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। दरअसल लोन नहीं भरने वालों के बड़ी खबर सामने आ रही है। लोन नहीं भरने वालों के लिए आरबीआई ने नई गाइडलाइन जारी की है।
HR Breaking News, Digital Desk- महाराष्ट्र के सांगली जिले में दो भाईयों के परिवार के 9 लोगों के आत्महत्या का मामला सामने आया है। पुलिस रिपोर्ट में सुसाइड का हवाला देते हुए कहा गया है कि आत्महत्या करने की वजह उधार देने वाले एजेंटों द्वारा उत्पीड़न और परेशान करना बताया गया है।
ऐसे में आपको भी यह जानना बेहद जरूरी है कि अगर एजेंट या बैंक आपको परेशान करता है तो आपके पास क्या विकल्प है और आपको क्या करना चाहिए।
कोरोना महामारी के दौरान बहुत से ऐसे मामले सामने आए, जिसमें उधार लेने के बाद आर्थिक संकट के कारण कई लोग लोन नहीं दे पाए। इस कारण से एजेंटों द्वारा इन्हें परेशान किया गया। हालाकि मुकदमे और अदालती कार्रवाई भी हुई थी। इसके अलावा इन एजेंटों पर कर्ज वसूली के लिए उत्पीड़न के लिए पुलिस कार्रवाई भी की गई थी।
किन परिस्थितियों में हो सकती है कार्रवाई-
अगर कोई एजेंट किसी उधार लिए हुए शख्स को परेशान करता है, जिस कारण उस व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली है या फिर मानसिक आघात का सामना किया है तो उस एजेंट पर कार्रवाई की जाएगी।
एजेंटों की ओर से नियमित रूप से बार-बार कॉल करना या नियमित रूप से ग्राहकों के आवास पर पहुंचना, मोबाइल पर या सोशल मीडिया के माध्यम से अश्लील संदेश भेजना, पड़ोसियों को बदनाम करने या यहां तक कि रिश्तेदारों को धमकी देने के लिए कॉल करना या पहुंचना, सार्वजनिक रूप से अपमानित करने, ग्राहकों के मालिकों तक पहुंचने आदि हरकत करता है तो उसपर कार्रवाई की जाएगी।
इन परिस्थितियों में नहीं होगी कार्रवाई-
वहीं अगर एजेंट औपचारिक रूप से जैसे- बार-बार संदेश नहीं भेजता है, नियमित रूप से अपडेट देता है, अवधि पूरा होने पर कॉल करता है तो उत्पीड़न नहीं माना जाएगा।
हालाकि भारतीय अदालतें वसूली एजेंटों के अनौपचारिक रवैये पर सख्त रही हैं, जहां अदालतों ने माना है कि पैसे की वसूली के लिए उत्पीड़न की रणनीति गैरकानूनी है और कानून के अधिकृत उचित व्यवहार का सहारा लिया जाना चाहिए।
लोन को लेकर एजेंट करें परेशान तो क्या करना चाहिए-
पुलिस शिकायत और अदालत का सहारा-
अगर बैंक के एजेंट की ओर से परेशान किया जाता है तो आप पुलिस स्टेशन का सहारा ले सकते हैं और अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर पुलिस स्टेशन से कोई राहत नहीं मिलती है या फिर आपकी शिकायत दर्ज नहीं कराई जाती है तो आप अदालत का सहारा ले सकते हैं।
इस मामले में अदालत आपकी शिकायत सुनकर एजेंट को अवैध आचरण न करने का आदेश दे सकती है। साथ ही इस संबंध में उचित कार्रवाई का आदेश भी दे सकती है।
आरबीआई के पास भी दर्ज करा सकते हैं शिकायत-
इसके अलावा व्यक्ति आरबीआई के पास भी शिकायत दर्ज करा सकता है, जिसके बाद केंद्रीय बैंक एजेंट के खिलाफ सख्त कदम उठा सकती है और अवैध आचरण न करने का आदेश दे सकती है।
आरबीआई द्वारा जारी किए गए परिपत्र के अनुसार, किसी विशेष क्षेत्र में, चाहे वह क्षेत्राधिकार हो या कार्यात्मक, वसूली एजेंटों को नियुक्त करने से किसी बैंक पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकता है। इसके साथ ही प्रतिबंध की अवधि भी बढ़ा सकता है। इसके अलावा एजेंट पर सख्ती और दंड़ लगाने का भी प्रावधान है।
बैंक में भी दर्ज करा सकते हैं शिकायत-
सिर्फ आरबीआई से ही नहीं, ग्राहक भी बैंक से ही शिकायत कर सकते हैं। आम तौर पर, इस बात की संभावना होती है कि बैंक अपने एजेंटों के खिलाफ शिकायत होने पर पूरी सावधानी बरतता है और कानूनी आचरण का विकल्प चुनने के लिए कह सकता है।
एजेंट को वसूली में से कुछ परसेंट देता है बैंक-
बता दें कि ऋण वसूली एजेंट, वे हैं जो बैंकों के लिए ग्राहकों और उन संगठनों से दिए गए कर्ज की वसूली के लिए काम करते हैं। बैंक इन एजेंटों को ग्राहकों से वसूल की गई कुल राशि के तहत एक छोटा प्रतिशत देती है।
एजेंट आमतौर पर तीसरे पक्ष होते हैं जो मुख्य सौदे का हिस्सा नहीं होते हैं। कुछ मामलों में, वसूली एजेंट भी सीधे सौदे में शामिल पक्षों में से एक हो सकता है।