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Chanakya Niti इन बातों को हमेशा रखना याद, जिंदगी में कभी नहीं आएगा दुख

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya)  द्वारा बताएं गए कदमों पर चलने से न केवल हमारे जीवन की परेशानियां कम होती है बल्कि परेशानी के आने से पहले ही हमें उसके समाधान को लेकर तैयार रहते है। आचार्य चाणक्य द्वारा चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातों को जिक्र किया गया है जिन्हें हमेशा याद रखना चाहिए। जिससे हमारी जिंदगी में दुख कभी प्रवेश नहीं कर सकेगा।
 
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Chanakya Niti इन बातों को हमेशा रखना याद, जिंदगी में कभी नहीं आएगा दुख

HR Breaking News, डिटिजल डेस्क नई दिल्ली, आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में कई तरह की उपयोगी बातें लोगों के हित को ध्यान रखते हुए कहीं हैं. यहां आज हम आपको आचार्य की कही कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातों के विषय में बताएंगे, जो कदम-कदम पर आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं.

 

आचार्य ने कहा है कि किसी भी दुख का मूल कारण अत्यधिक लगाव है. यदि दुख से बचना है तो लगाव का त्याग बहुत जरूरी है. वो व्यक्ति जो अपने परिवार से अति लगाव रखता है, वो हमेशा भय और दुख में जीता है. लेकिन जिसने हर क्षण को महोत्सव बनाया हो यानी आनंद के साथ जीया हो, जिसकी शिकायतें कम की हों और हर छोटी उपलब्धि के लिए भी ईश्वर का धन्यवाद किया हो, ऐसे व्यक्ति से दुख भी घबराता है. वो उसके आसपास भी नहीं आता.


आचार्य ने नीति शास्त्र में बताया है कि एक राजा की ताकत उसकी शक्तिशाली भुजाओं में होती है, ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में और एक औरत की ताकत उसकी खूबसूरती, यौवन और मधुर वाणी में होती है. यदि ये लोग अपनी शक्ति का सही इस्तेमाल करें, तो कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं.

 

आचार्य चाणक्य भी पहला सुख निरोगी काया को ही मानते थे और हमेशा शरीर और सेहत का खयाल रखने की नसीहत देते थे. आचार्य ने बताया है कि दौलत, दोस्त, पत्नी और राज्य सब कुछ दोबारा हासिल किया जा सकता है, लेकिन ये शरीर दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता. इसलिए इसकी देखभाल करें और इससे अच्छे कर्म करें, ताकि आपके जाने के बाद भी लोग आपको याद करें.
जब भी जीवन के बारे में चिंतन करें तो एक बार ये जरूर समझें कि पछतावा अतीत कभी नहीं बदल सकता और आपकी चिंता कभी भविष्य को बेहतर नहीं कर सकती. जो भी परिवर्तन संभव है, वो वर्तमान में ही किया जा सकता है. इसलिए वर्तमान में एकाग्रता के साथ परिश्रम करें.


आचार्य का मानना था कि समझदारी की बात केवल दो लोग ही कर सकते हैं एक वो जिनकी उम्र अधिक है और दूसरे वो जिसने कम उम्र में बहुत सी ठोकरें खाई हैं. उम्र बढ़ने के साथ और ठोकरें खाने से, दोनों तरह से इंसान को अनुभव प्राप्त होता है.