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Chanakya Niti : जिनके पास होती है ये चीजें, उनका जीवन बन जाता है स्वर्ग , इन में से आपके पास क्या है

हमारे धर्मों में जीवन को बेहतर तरीके से जीने का जरिया बताया गया है और बताया है के जिनके पास ये चीजें होती है उनका जीवन इसी धरती पर स्वर्ग जैसा बन जाता है।  आइये जानते हैं कौनसी है ये चीजें।  

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HR Breaking News, New Delhi : जीवन में हर व्यक्ति सुख पाने की लालसा रखता है. मानसिक और शारीरिक दोनों ही सुख मनुष्य जीवन में रत्न के समान माने जाते हैं लेकिन इस भागदौड़ भरे जीवन और तमाम मोहमाया को पाने के चक्कर में व्यक्ति इसे प्राप्त करने से वंचित रह जाता है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में 14वें अध्याय के पहले श्लोक में धरती पर मौजूद तीन बहुमूल्य रत्नों की बात की है. इन तीन सुख के बिना जीवन की कल्पना असंभव है. जिन लोगों के पास ये तीनों होते हैं उनके लिए धरती स्वर्ग समान होती है. आइए जानते हैं चाणक्य ने कौन से तीन अमूल्य सुखों का वर्णन किया है.

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् ।
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ॥

पहला सुख
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हीरा, मोती, पन्ना, स्वर्ण एक पत्थर के टुकड़े के समान हैं, जो इन्हें रत्न मानता है और इसे पाने की चाहत में वह अपना असली सुख खो बैठता है. असल जिंदगी में पहला सुख है अन्न और जल. जो थोड़ा पैसा कमाने के बाद भी चैन से दो वक्त की रोटी और जलपान कर पाते हैं चाणक्य के अनुसार उनसे बड़ा सुखी कोई नहीं. पापी पेट को पालने के लिए हर इंसान धन कमाता है लेकिन सबको खुशी के माहौल में भोजन नसीब नहीं होता. वह अन्न ग्रहण तो करता है लेकिन उसका मन तमाम दुविधाओं से परिपूर्ण होता है जो उसे मानसिक तौर पर परेशान करता है.

दूसरा सुख

चाणक्य के अनुसार जिनकी वाणी में मधुरता होती है तो वह दुश्मन को भी अपना मुरीद बना लेता है. वाणी के लेकर एक कहावत है - एक चुप सौ सुख. यानी कि गलत बोलने से अच्छा है चुप रहना. तोलमोल कर बोलने वालों की हर जगह प्रशंसा होती है. वहीं कड़वे वचन बोलने वालों से हर कोई दूरी बनाकर रखता है. ये ऐसा रत्न है जो न सिर्फ मनुष्य की छवि में चार चांद लगाता है बल्कि उसके मान-सम्मान में कई गुना वृद्धि करते हैं.

तीसरा सुख

चाणक्य कहते है कि मन की शांति सबसे बड़ा धन है, क्योंकि जब तक इंसान का मन पूरी तरह शांत नहीं रहेगा, तब तक वो अपनी जिंदगी में कभी खुश नहीं रह सकता है. धन के लालच में मनुष्य इस सुख के कोसों दूर रह जाता है. जिसके कारण कई शारीरिक बीमारी और रिश्तों में खटास आने लगती है. मन शांत और संतुष्ट होगा तो हर कदम पर सफलता मिलेगी नहीं तो सब कुछ हाथ से छूट जाएगा.