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हरियाणा में कर्मचारियों को नहीं मिल रही पीएफ की सुविधा, पीएम मोदी तक पहुंचा मामला

हरियाणा में कर्मचारियों को पीएफ की सुविधा नहीं मिल रही है। यमुनानगर जिले में काफी कर्मचारियों को ईपीएफ व ईएसआइ की सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। नौकरी जाने के भय में कर्मचारी भी आवाज नहीं उठा पाते हैं
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भले ही नगर निगम के दो ठेकेदारों पर ईपीएफ, ईएसआइ व अन्य दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप में केस दर्ज हो गया, लेकिन यह कार्रवाई काफी नहीं है। श्रमिकों को हक दिलवाने के लिए और ज्यादा सख्ती बरतने की जरूरी है।

जिले में काफी कर्मचारियों को ईपीएफ व ईएसआइ की सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। नौकरी जाने के भय में कर्मचारी भी आवाज नहीं उठा पाते हैं।

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लेबर विभाग, कर्मचारी भविष्य निधि व ईएसआइ के अधिकारी भी इस दिशा में गंभीर नहीं है। कोरोना काल के बाद तो विभाग बिलकुल ही सुस्त है। बैकवर्ड मोर्चे के अध्यक्ष दरबारी लाल चौहान ने कर्मचारियों को ईपीएफ व ईएसआइ हड़पने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।

आरोप है कि जिले में पांच हजार के करीब फर्म हैं। जिनमें दो लाख से ज्यादा कर्मचारी कार्य करते हैं, मगर 25 हजार कर्मचारियों को ही सुविधा मिल रही है। यह भी आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत व सुस्ती के कारण कर्मचारियों के हक पर डाका डाला जा रहा है। इसको सहन नहीं किया जाएगा।


दो लाख से ज्यादा श्रमिक सुविधा मिल रही केवल 26 हजार को

जिले में पेपर मिल, सरस्वती शुगर मिल, इस्जैक अलावा बोर्डप्लाईवुड की 1200 यूनिट, मेटल की 1300 छोटी बड़ी इकाइयां, 300 शिक्षण संस्थान, 25 होटल, 90 अस्पताल के अलावा कई बड़ी फैक्ट्रियां है। यमुनानगर में बोर्ड व जगाधरी की मेटल फैक्ट्रियों में दो लाख से ज्यादा लोग नौकरी करते हैं। अधिकतर फैक्ट्री संचालकों का रिकार्ड ठीक नहीं है।

हाजिरी रजिस्टरों में भी हेराफेरी करते हैं। सुुविधा के हिसाब से रजिस्टर लगाए हुए है। कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय में दो हजार इकाइयाें के करीब के नाम दर्ज है। 26 हजार कर्मचारियों को ही ईपीएफ की सुविधा मिल रही है।


रेड के लिए लेनी होती है अनुमति

जिले में प्लाइवुड, मेटल व अन्य तरह की इंडस्ट्री है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक सरकार ने स्थानीय अधिकारियों को रेड की पावर नहीं दी है। कार्रवाई के लिए केंद्रीय कार्यालय से अनुमति लेनी होती है। जिसमें समय लग जाता है। इसका का लाभ ईपीएफ हड़पने वाले उठा रहे हैं।

वहीं भविष्य कर्मचारी निधि के कमिश्नर एसके शर्मा का कहना है कि लगातार ईपीएफ व अन्य सुविधाओं के लिए कर्मचारी व फैक्ट्री संचालकों को जागरूक किया जाता है। यदि किसी कर्मचारी का ईपीएफ व ईएसआई नहीं कट रहा है। वह शिकायत कर सकता है। शिकायकर्ता का नाम गुप्त रखा जाएगा।


जरूरी है ईपीएफ की सुविधा देनी

सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य के लिए यह योजना शुरू की हुई है। फर्म व कंपनी में काम करने पर सैलरी का एक हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि खाता ईपीएफ में जाता है। यह नौकरीदाता की जिम्मेदारी है कि हर कर्मचारी का ईपीएफ खाता हो।

ईपीएफ खाताधारक की मौत होने पर यह रकम परिवार को मिलती है। इसके अलावा उत्तराधिकारी छह लाख रुपए तक का दावा भी कर सकता है। कर्मचारी भविष्य निधि विभाग ने शिकायत do.ynr@epfindia.gov.in पर भेजी जा सकती है।