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कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, हरियाणा में अब इन कर्मचारियों को भी मिलेगी पीएफ की सुविधा

EPFO ने 150 फर्मों को भेजा नोटिस। 15 दिन में इसका जवाब देना जरूरी है। हरियाणा में कर्मचारियों को ईपीएफ की सुविधा न देने वाली फर्मों पर कसेगी नकेल। ईपीएफ (EPF) की सुविधा नहीं मिलने की श्रमिक शिकायत कर सकते हैं।
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(EPFO) ने श्रमिकों का नियमित ईपीएफ (EPF) जमा नहीं करने पर 150 फर्म संचालकों को नोटिस किया है। 15 दिन में इसका जवाब देना जरूरी है। निर्धारित समय में जवाब नहीं देने पर धारा सात (ए), धारा 14 व जुर्माना हो सकता है। 150 फर्म संचालकों को नोटिस देने से हडकंप मचा हुआ है।

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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सहायक कमिश्नर एसके शर्मा का कहना है कि ईपीएफ (EPF) के नियमों को ताक पर रखने वालों को नोटिस दिए गए हैं। श्रमिक व कर्मचारियों के हकों का हनन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। ईपीएफ की सुविधा नहीं मिलने की श्रमिक शिकायत कर सकते हैं। शिकायकर्ता का नाम गुप्त रखा जाएगा।


काम करते हैं लाखों रिकार्ड में मात्र 26 हजार श्रमिक

ट्विन सिटी में प्लाईबोर्ड, मेटल, पेपर मिल, सरस्वती शुगर मिल, इस्जैक सहित चार हजार फर्म (फैक्ट्रियां, अस्पताल, होटल, कंपनी, शिक्षण संस्थान व अन्य यूनिट) में तीन लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से मात्र 2100 यूनिट के 26 हजार कर्मचारियों को ईपीएफ की सुविधा मिल रही है।

श्रमिकों को ईपीएफ की सुविधा नहीं मिलने की शिकायत बैकवर्ड मोर्चे के अध्यक्ष दरबारी लाल चौहान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भेज चुके हैं। वहीं इंटक के प्रदेशाध्यक्ष श्रवणदीप सिंह का कहना है कि जो फर्म संचालक श्रमिकों का हक हड़प रहे हैं। उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।


अपने लाभ के लिए करते हैं दूसरे का नुकसान

ईपीएफ का एक हिस्सा कर्मचारी का तो एक हिस्सा कंपनी को अदा करना होता है। इसलिए फैक्ट्री संचालक या फर्म श्रमिकों का ईपीएफ जमा नहीं करती। जिस संस्था या फर्म में 20 कर्मचारी काम करते हैं। उस पर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का नियम लागू होता है।

इसी तरह से ईएसआइ का नियम 10 कर्मचारियों पर लागू हो जाता है। जिन कर्मचारियों को 15 हजार रुपए तक का वेतन मिलता है। वह ईपीएफ के दायरे में आते हैं। ईएसआइ के दायरे में 21 हजार तक वेतन पाने वाले श्रमिक लाभ ले सकते हैं। कुछ फैक्ट्री संचालक श्रमिकों का वेतन 16 हजार बताकर इस स्लैब से उनको बाहर कर देते हैं, जबकि उनका वेतन कम होता है।