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Gov Employee News - कर्मचारियों के पक्ष में आया कोर्ट का फैसला, कहा- इन्हें शांति से जीने दो

अगर आप कर्मचारी है तो ये खबर आपको जरूर जान लेनी चाहिए। दरअसल कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। हाल ही में कोर्ट का एक फैसला कर्मचारियों के पक्ष में आया है। जिसके तहत ये कहा गया है कि कर्मचारियों को शांति से जीने दो। 

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HR Breaking News, Digital Desk- कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने बताया कि कर्नाटक सिविल सेवा नियमों (Karnataka Civil Services Rules) के नियम 214 (2) (बी) (ii) के अनुसार एक सेवानिवृत्त व्यक्ति के खिलाफ एक घटना के संबंध में कोई जांच शुरू नहीं की जा सकती है, अगर वह चार साल पहले रिटायर हुआ है।


Karnataka high court का बड़ा फैसला-


न्यायमूर्ति एसजी पंडित (Justice SG Pandit) की एकल न्यायाधीश पीठ ने कर्नाटक हाउसिंग बोर्ड (Karnataka Housing Board) के पूर्व कर्मचारी अनिल कुमार और टी. मल्लन्ना द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दोनों रिटायर्ड कर्मचारियों को राहत देते हुए चार्ज मेमो के साथ-साथ जांच अधिकारी की नियुक्ति (Enquiry Officer) को भी रद्द कर दिया।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत्ति की आयु पूरा करने के बाद क्रमशः 30.06.2018 और 31.08.2020 को सेवानिवृत्त हुए। याचिकाकर्ताओं की सेवानिवृत्ति के बाद चार्ज मेमो दिनांक 21.06.2022 जारी किया गया था। बता दें कि यह आरोप एक घटना के संबंध में है, जो वर्ष 2006 में घटी थी।

फिर KCSR के नियम 214 (2) (बी) (ii) का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, “उपरोक्त नियम जो Karnataka Housing Board के कर्मचारियों पर लागू है, उसमे सेवानिवृत्त कर्मचारी के संबंध में ऐसी संस्था से 4 साल से अधिक समय पहले हुई घटना के संबंध में जांच शुरू करने की अनुमति नहीं देगा।”

KCSR के तहत चार्ज मेमो वर्जित-


याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि चार्ज मेमो KCSR के तहत वर्जित है और इस प्रकार इसे रद्द करने के लिए उत्तरदायी है। हालांकि सरकारी वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि शुरू में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जांच शुरू की गई थी, जब वे सेवा में थे, लेकिन बाद में उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया था। तत्पश्चात् लोक लेखा समिति की अनुशंसा पर वर्तमान कार्यवाही प्रारंभ की गई। इस प्रकार से कार्रवाई में निरंतरता है।

कोर्ट ने कहा, “मामले में जांच शुरू करना और चार्ज मेमो दिनांक 21.06.2022 (Annexure-C) जारी करना एक ऐसी घटना के संबंध में है, जो सेवानिवृत्त याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ऐसी संस्था से 4 साल से अधिक समय पहले हुई थी। इस प्रकार चार्ज मेमो के तहत जांच संस्थान KCSR के नियम 214 (2) (बी) (ii) द्वारा वर्जित है। चार्ज मेमो कानून में टिकाऊ नहीं है।”