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Haryana News खेतों में इन बीज का इस्तेमाल करे किसान, बढ़ेगी उर्वरा शक्ति और उत्पादन

Haryana farmer News हरियाणा कृषि विभाग भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक कर रहा है। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए ताकत देगा ढेंचा। अनुदान पर बीज उपलब्ध करवाएगा कृषि विभाग। हर जिले में बीज को बांटा जाएगा।
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today haryana news भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से ढेंचा वितरित किया जाएगा। अलग-अलग जिलों में 35000 क्विंटल बीज वितरित होगा। यह बीज 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध होगा। एक किसान को 10 एकड़ का बीज मिल सकेगा। जोकि फसल को ताकत देने का काम करेगी।

 

गेहूं की कटाई के बाद किसान खाली खेतों में इसकी बिजाई कर सकेंगे और धान की फसल की रोपाई से पहले खेत में इसकी जुताई करने से हरी खाद की आपूर्ति हो सकेगी। भूमि में पौषक तत्वों की कमी हो देखते हुए विशेषज्ञ हरी खाद के इस्तेमाल पर विशेष रूप से जोर दे रहे हैं।

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किस जिले में कितना वितरित होगा

अंबाला 1200 क्विंटल

भिवानी 1000

चरखी दादरी 500

फरीदाबाद 300

फतेहाबाद 3500

गुरुग्राम 600

हिसार 1600

झज्जर 1200

जींद 2500

कैथल 1500


करनाल 2200

कुरुक्षेत्र 2400

नूह 600

महेंद्रगढ़ 300

पलवल 1200

पंचकुला 300

पानीपत 2200

रेवाड़ी 2200

रोहतक 2500

सिरसा 2600

सोनीपत 3000

यमुनानगर 1600 क्विंटल


यह होगा फायदा

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से जहां लगातार मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। उर्वरता शक्ति के ह्रास होने के कारण फसलों के उत्पादन पर इसका विपरीत प्रभाव पर रहा है। जबकि ढैंचा 16 पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए पर्याप्त है। हरी खाद के प्रयोग से न केवल अच्छी पैदावार मिलती है बल्कि रासायनिक उर्वरकों का खर्चा भी कम किया जा सकता है। एक एकड़ में ढैचा की फसल बोने के लगभग 55 दिनों बाद इसकी जुताई करने से 25 से 30 टन हरी खाद तैयार होती है।

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इसके साथ ही 80 से 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 12 से 15 किलोग्राम फास्फोरस, 08 से 10 किलोग्राम पोटाश की आपूर्ति होती है। जबकि बंजर व उर्वरा खो चुकी भूमि के लिए भी यह वरदान साबित होता है। ढैंचा कार्बनिक अम्ल पैदा करती है, जो लवणीय और क्षारीय भूमि को भी उपजाऊ बना देती है। ढैंचा की विकसित जड़े मिट्टी में वायु का संचार बढ़ाती है।

मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव इसे खाद्य पदार्थ के तौर पर प्रयोग करते हैं। इससे उत्पादन बढ़ता है। ढैंचा की खेती 15 अप्रैल के बाद की जाती है। एक हेक्टेयर में महज 15 से 20 किलोग्राम ढैंचा के बीज की आवश्यकता होती है।

अमूमन ढैचा धान लगाने के लगभग दो माह पूर्व लगाया जाता है।
हरी खाद के प्रयोग से भूमि को कई तरह के पौषक तत्व मिल जाते हैं। इसलिए किसानों को ढेंचे का बीज वितरित करने का निर्णय लिया है। यह बीज किसानों को एचएसआइडीसी के सेल काउंटर से ढेंचे का बीच उपलब्ध हो सकेगा। जल्द ही बीज वितरण की प्रक्रिया शुरू करवाई जाएगी।

डा. जसविंद्र सैनी, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।