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बच्चे को थप्पड़ मारा तो अब खैर नहीं,कानून के तहत माना जाएगा जुर्म

HR Breaking News: शैतान बच्चों को सुधारने के लिए अक्सर माता-पिता उनकी पिटाई कर देते हैं. लेकिन अब ऐसा करने जुर्म माना जाएगा और इसके लिए कानून में सजा का प्रावधान भी रखा गया है.
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If you slap a child then it is not good now, it will be considered a crime under the law

नई दिल्ली: HR Breaking News: अब बच्चे को चांटा मारना गैर कानूनी हो गया है और ऐसा करने पर सजा भी मिल सकती है.


बच्चों को भी सुरक्षा का अधिकार
'द सन' की खबर के मुताबिक वेल्स में सोमवार से बच्चों को थप्पड़ मारना गैर कानूनी हो गया है. स्थानीय चिल्ड्रन एक्ट के मुताबिक बच्चे को किसी भी तरह की शारीरिक सजा देना जुर्म है.

बच्चों को भी वयस्कों की तरह अपनी सुरक्षा के लिए बराबर अधिकार दिए गए हैं और ऐसा करने वाले के खिलाफ उचित सजा का भी प्रावधान है.


यह कानून न सिर्फ देश में बसने वाले बल्कि वेल्स में आने वाले हर किसी शख्स पर लागू होगा. वेल्स अब उन 60 देशों की लिस्ट में आ गया है जिसने बच्चों की सुरक्षा के लिए ऐसा कानून बनाया है.

मंत्री मार्क डार्कफोर्ड ने कहा कि अब इसे लेकर एकदम साफ रुख रखने की जरूरत है और अतीत में जो भी हुआ उससे आगे बढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि मॉर्डन वेल्स में शारीरिक सजा के लिए कोई जगह नहीं है. 


माता-पिता पर हो सकता है एक्शन
स्कॉटलैंड ने नवंबर 2020 में ही बच्चों की शारीरिक सजा को पूरी तरह से बैन कर दिया था. इंग्लैड में मां-बाप बच्चे को थप्पड़ तो मार सकते हैं, लेकिन उससे चोट, सूजन या खरोच नहीं आनी चाहिए. अगर बच्चे के शरीर पर कोई भी ऐसा प्रभाव दिखाई देता है तो संबंधित माता-पिता के खिलाफ कानूनी एक्शन लिया जा सकता है.


इस कानून के साथ वेल्स में भी इसी तरह के कुछ अपवाद भी लागू किए गए हैं. इसमें बच्चे को सजा देने के वक्त उसकी उम्र, पीटने का तरीका और शरीर पर चोट के किसी निशान को भी ध्यान में रखा जाएगा.

वेल्स में सोशल सर्विस डिपार्टमेंट के डिप्टी मिनिस्टर ने कहा कि बच्चों और उनके अधिकारों को ध्यान में रखते हुए लिया गया यह फैसला ऐतिहासिक है. 


दुनिया में सबसे पहले साल 1979 में स्वीडन में बच्चों के लिए ऐसा कानून लाया गया था. स्कूलों में शारीरिक सजा देने के खिलाफ भी 117 देशों में कानून लागू है. अमेरिका और अफ्रीकी और एशिया के कई देशों में माता-पिता की ओर से बच्चों को शारीरिक सजा देने के खिलाफ कोई कानून नहीं है.

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