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Income Tax Slab Change: बजट से पहले राहत, इन लोगों को नहीं भरना पड़ेगा 1 भी रुपया टैक्स

बजट से पहले लोगों को बड़ी राहत। अब इन लोगों को नहीं भरना पड़ेगा 1 भी रुपया टैक्स। आइए नीचे खबर में चेक करते है लिस्ट और जानते है सरकार की ओर से आया लेटस्ट अपडेट। 

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HR Breaking News, Digital Desk- Budget 2023: टैक्स एक्सपर्ट्स ने कहा है कि आगामी आम बजट में ऑप्शनल टैक्स रिजीम (Optional Tax Regime) को आकर्षक बनाने के लिए इसमें पीपीएफ (PPF) और अन्य टैक्स सेविंग्स स्कीम्स (Tax Savings Schemes)
के जरिए कटौती की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने अधिकतम 30% टैक्स स्लैब की सीमा को भी 20 लाख रुपये तक बढ़ाने की मांग की है. 

नए टैक्स सिस्टम में टैक्स स्लैब

सरकार ने आम बजट 2020-21 में ऑप्शनल टैक्स रिजीम शुरू की थी जिसमें इंडिविजुअल और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) पर कम दरों के साथ टैक्स लगाया गया. हालांकि, इस रिजीम में हाउस रेंट अलॉयंस (HRA), होम लोन (Home Loan) के ब्याज और 80C, 80D और 80CCD के तहत निवेश जैसी अन्य टैक्स छूट नहीं दी जाती है. इसके तहत 2.5 लाख रुपये तक की कुल आय टैक्स फ्री है.

 

 

इसके बाद 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 5%, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10%, 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15%, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20%, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक आय पर 25% और 15 लाख रुपये से ऊपर आय पर 30% की दर से टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, इस योजना ने टैक्सपेयर्स का अधिक ध्यान नहीं खींचा, क्योंकि कई मामलों में इसे अपनाने पर टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स देना पड़ा. 

ऑप्शनल टैक्स रिजीम में डिडक्शंस हो शामिल 

विशेषज्ञों का मानना है कि Optional Tax Regime को आकर्षक बनाने के लिए वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण को आगामी बजट में टैक्स-फ्री इनकम (Tax Free-Income) और पीक टैक्स रेट की लिमिट बढ़ाने के अलावा कुछ पॉपुलर टैक्स डिडक्शंस को भी शामिल करना चाहिए.

इसके बाद 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 5%, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10%, 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15%, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20%, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक आय पर 25% और 15 लाख रुपये से ऊपर आय पर 30% की दर से टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, इस योजना ने टैक्सपेयर्स का अधिक ध्यान नहीं खींचा, क्योंकि कई मामलों में इसे अपनाने पर टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स देना पड़ा. 

नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि सरकार को ऑप्शनल टैक्स रिजीम में टैक्स रेट्स को अधिक तर्कसंगत बनाना चाहिए. उन्होंने इसे पूर्वगामी कटौतियों या छूटों के अनुरूप बनाने की पैरोकारी की.

दी जा सकती है ये कटौती

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर सुधाकर सेथुरमन ने इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार कुछ कटौतियों की अनुमति देने पर विचार कर सकती है. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को जटिल बनाए बिना ऐसा करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस योजना में भी जीवन बीमा प्रीमियम (Life Insurance Premium), होम लोन रिपेमेंट (Home Loan Repayment) और अन्य कटौती दी जा सकती हैं.

दी जा सकती है ये कटौती-


डेलॉयट इंडिया के पार्टनर सुधाकर सेथुरमन ने इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार कुछ कटौतियों की अनुमति देने पर विचार कर सकती है. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को जटिल बनाए बिना ऐसा करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस योजना में भी जीवन बीमा प्रीमियम (Life Insurance Premium), होम लोन रिपेमेंट (Home Loan Repayment) और अन्य कटौती दी जा सकती हैं.