Old Pension Scheme : इसलिए लागू नहीं होगी पुरानी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना को लेकर एक नया अपडेट सामने आ रहा है। जिसके तहत ये कहा जा रहा है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू नहीं किया जाएगा। आइए नीचे खबर में जानते है पुरानी पेंशन योजना के लागू न होने का पीछे का कारण।
HR Breaking News, Digital Desk- पुरानी पेंशन योजना (OPS) को गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने खूब हवा दी है. हाल में पूरे हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया था.
लेकिन राज्य सरकारों के लिए भी बड़ी चुनौती फंड की है, क्योंकि इससे लागू करने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ बढ़ेगा. पुरानी पेंशन योजना पर अब योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया (Montek Singh Ahluwalia) ने बड़ा बयान दिया है.
दिवालियापन की रेसिपी-
वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण की मौजूदगी में मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है. उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से इस विचार से सहमत हूं कि यह कदम बेतुका है और वित्तीय दिवालियापन के लिए एक रेसिपी है.
नई और पुरानी पेंशन योजना में अंतर-
देश में 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है. दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं. पुरानी स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है.
पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है. साथ ही. पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है.
नया वेतन आयोग प्रभावी-
पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है. वहीं, रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है. सबसे खास बात पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग (Pay Commission) लागू करती है, तो भी इससे पेंशन (Pension) में बढ़ोतरी होती है.
केंद्र सरकार के साथ-साथ विशेषज्ञों का भी कहना है कि पेंशन सिस्टम सरकार पर भारी बोझ डालती है. यही नहीं, पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा असर पड़ता है. मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी इसी तरफ इशारा किया है.
पुरानी पेंशन योजना के प्रावधान-
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है. पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है.
पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है. क्योंकि पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है. वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है.
NPS पर रिटर्न अच्छा रहा तो प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) और पेंशन (Pension) की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी राशि भी मिल सकती है. क्योंकि ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है. लेकिन कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है.