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हरियाणा के बुजुर्गों को नही मिल रही बुढ़ापा पेंशन, दिसंबर माह की पेंशन अभी भी अटकी

फरवरी माह शुरू होने को है लेकिन हरियाणा के बुजुर्गो को अभी दिसंबर माह की पैंशन का इंतजार है। पैंशन न आने की वजह से बुजुर्ग कार्यालयों के चक्कर लगा रहे है।
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हरियाणा में बुजुर्ग सम्मान भत्ता (बुढ़ापा पेंशन) लेने वाले बुजुर्गों को दिसंबर माह का भत्ता फरवरी शुरू होने के बाद भी नहीं मिला है। इससे बुजुर्गों की परेशानी बढ़ गई है। पिछले कई दिनों से बुजुर्ग कार्यालय में पहुंचकर पेंशन की जानकारी हासिल कर रहे हैं। एक बुजुर्ग मानसिंह ने बताया कि पेंशन नहीं आई है, दवा देने वाला डॉक्टर और सामान देने वाले दुकानदार पैसे के लिए टाकने लगे हैं। पेंशन बिना वे उनके पैसे देने में असमर्थ हैं।

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ऐसा ही हाल प्रदेश के 30.23 लाख सम्मान भत्ता लेने वालों का है। पिछले 6 महीने से बुढ़ापा पेंशन को लेकर प्रदेश में अलग-अलग तरह की चर्चाएं चल रही है। सबसे पहले बुढ़ापा पेंशन के कटने की चर्चाएं चलीं। चर्चाएं झूठ नहीं थी, क्योंकि विभाग ने अलग-अगल कारणों से कुछ पेंशन रोक दी थीं। इसके बाद 4 महीने से पेंशन का समय करीब 10 दिन बढ़ा दिया था। जो पेंशन 6 महीने पहले माह की 15 से 18 तारीख के आसपास आ जाती थी, वह 28-30 के बीच आने लगी।

इस बार तो दिसंबर माह की पेंशन जनवरी का पूरा माह बीतने के बाद भी नहीं आई। ऐसे में उन लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ गई, जो पूरी तरह से पेंशन पर ही निर्भर हैं। करनाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी सत्यवान ढिलोड ने बताया कि खाते में सम्मान पेंशन व अन्य लाभों को डालने का कार्य विभाग की चंडीगढ़ शाखा करती है। पेंशन डलनी शुरू हो चुकी हैं। बैंक वाइज पेंशन डलती है। शुक्रवार तक सभी बैंकों में आ जाएगी।

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विधवा पेंशन से चल रहा परिवार

विधवा संतोष ने बताया कि वह अपने परिवार का गुजारा विधवा पेंशन से चला रही है। साथ में बच्चों की पेंशन भी लगी है। इससे ही वह अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही है। आए महीने पेंशन देने का शेडयूल आगे-पीछे चल रहा है। पहले हर महीने 20 तारीख से पहले पेंशन आ जाती थी। अब पूरा महीना बीतने के बाद भी पेंशन नहीं आई है। सरकार से गुहार है कि पेंशन को समय पर दिया जाए, ताकि उनका परिवार ठीक से चलता रहे।

दवाइयों वाले टोक रहे पैसे के लिए

67 वर्षीय मान सिंह ने बताया कि अपने खर्च पेंशन से ही करता है। इसमें अपनी दवाओं, बीड़ी-तंबाकू और आना-जाना रखते हैं। रुटीन में उसका काम ठीक चल रहा था। अब पेंशन आने का रुटीन ठीक नहीं रहा। उसे अपने खर्चों के लिए दूसरों के मुंह की तरफ देखना पड़ रहा है। दवाई वाले उसको कई बार पैसों के लिए टोक चुके हैं। जब वह विभाग के कार्यालय में पेंशन का पता करने गए तो उन्हाेंने इस बारे में खुद ही पता होने से मना कर दिया।