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Pakistan Crisis : दाने दाने को तरसा पाकिस्तान, 150 रूपए किलो दूध और 5000 रूपए LPG सिलेंडर ने लोगों का किया बुराहाल

इन दिनों हमारे पडोसी देश पाकिस्तान की हालत बद से बदतर होती जा रही है, यहां पर आम लोगों को भरपेट खाना खाने के लाले पड़ गए हैं , सब चीजों के दाम आस्मां पर पहुंच गए हैं।   
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HR Breaking News, New Delhi : पाकिस्तान में महंगाई का हाहाकार है. बाढ़ की तबाही के बाद उसका ऐसा खतरनाक असर देखने को मिल रहा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हो गया है. रोजमर्रा की चीजें इतनी ज्यादा महंगी हो गई कि अब वे गरीबों की पहुंच से बाहर हैं. आलम ऐसा है कि हर तरह की सब्जी में डलने वाली प्याज की कीमत 500 फीसदी तक बढ़ गई है. वहीं, जिस तरह से चिकन के दाम बढ़े हैं, नॉनवेज खाना भी अब पाकिस्तान में सबके बस की बात नहीं रह गई है.


पाकिस्तान में 6 जनवरी, साल 2022 को जिस प्याज की कीमत 36.7 रुपये प्रति किलोग्राम थी, अब यानी 5 जनवरी 2023 को उसकी कीमत 220.4 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है. इतना ही नहीं, पाकिस्तान में डीजल का दाम 61 फीसदी तो पेट्रोल की कीमत 48 फीसदी तक बढ़ गई है. वहीं हर घर में इस्तेमाल होने वाले आटे-चावल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं. पिछले एक साल में सिर्फ गेहूं के दाम ही 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं.


स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, पाकिस्तान में दिसंबर 2021 के मुकाबले दिसंबर 2022 तक मुद्रास्फीति दर 12.3 फीसदी से बढ़कर 24.5 फीसदी हो गई है. खाद्य सामानों की कीमतों में इजाफे की वजह से यह महंगाई देखने को मिली है. पिछले एक साल में ही पाकिस्तान में खाद्य मुद्रास्फीति 11.7 फीसदी से बढ़कर 32.7 फीसदी तक पहुंच गई है.  
पाकिस्तान का सिर्फ खुदरा बाजार ही नहीं, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था भयंकर स्थिति में है. पिछले कई महीनों से पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम होता जा रहा है. पिछले एक साल के अंतराल में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार आधा हो गया है. दिसंबर 2021 में जो विदेशी मुद्रा भंडार 23.9 अरब डॉलर था, दिसंबर साल 2022 तक वह घटकर 11.2 अरब डॉलर रह गया है.

अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, पाकिस्तान सरकार पर कर्ज भी लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2011 में पाकिस्तान सरकार का आम कर्जा जीडीपी का 52.8 फीसदी था, जो साल 2016 में 60.8 फीसदी पहुंच गया. और अब अनुमान है कि यह बढ़कर 77.8 फीसदी पहुंच गया होगा.
बता दें कि पाकिस्तान को पिछले कुछ दिनों में बाढ़ की वजह से हुई तबाही से उबरने के लिए काफी पैसा मिल चुका है. लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब दिख रही है, इससे साफ है कि आगे भी पाकिस्तान को फंड की जरूरत पड़ने जा रही है.

किसी देश के लिए क्यों जरूरी है विदेशी मुद्रा

किसी देश के लिए विदेशी मुद्रा कई मायनों में अहम है. विदेशी मुद्रा की मदद से देश की घरेलू करेंसी की वेल्यू एक तय दर पर टिकी रहती है. आर्थिक संकट के दौर में जरूरी खर्च के लिए नकदी बनी रहती है. साथ ही किसी भी देश का विदेशी भंडार बना हुआ है तो उसके जरिए देश की परियोजनाओं को भी फंड करने में मदद मिलती है. विदेशी मुद्रा भंडार को दिखाकर विदेशी निवेशकों को आश्वस्त करने में भी आसानी होती है.

पाकिस्तान की करेंसी डॉलर के मुकाबले कमजोर होती जा रही है. दिसंबर 2020 में पाकिस्तान की करेंसी एक डॉलर के मुकाबले 160.1 पाकिस्तानी रुपये बराबर थी. दिसंबर 2021 में डॉलर और मजबूत हो गया और एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी करेंसी 177.2 पर पहुंच गई. वहीं पिछले एक साल में यानी दिसंबर 2022 तक डॉलर और ज्यादा मजबूत हो गया. अब एक डॉलर 224.8 पाकिस्तानी रुपयों के बराबर है.