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Parenting Tips- माता-पिता घर में न रखें ऐसा माहौल, डिप्रेशन में जा सकता है आपका लाड़ला

हर माता-पिता का दायित्व होता है कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें लेकिन संस्कार देते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका रवैया कड़ा ना हो। कड़े रवैए के कुछ अनचाहे परिणाम हो सकते हैं। आपका सख्त रवैया आपको आपके बच्चे से दूर ले जा सकता है।
 
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माता-पिता घर में न रखें ऐसा माहौल, डिप्रेशन में जा सकता है आपका लाड़ला

HR Breaking News, Digital Desk- हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे में अच्छे संस्कार आएं और इसके लिए पैरेंट्स खुद भी काफी मेहनत करते हैं लेकिन कई बार अनजाने में माता-पिता बच्चों की तरफ कड़क रवैया अपनाने लगते हैं, उन्हें लगता है कि उनका सख्त व्यवहार बच्चों में डर पैदा करेगा जिससे बच्चे उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर अच्छी तरह चलेंगे और उन बच्चों में सारे संस्कार और अच्छी आदतें अपने आप आ जाएंगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है।


बच्‍चों पर सख्‍त व्‍यवहार को लेकर किए गए अध्‍ययनों में इसका उल्टा ही पाया गया है। ऐसे बच्चे जो सख्त वातावरण में पलते हैं उनका व्यवहार दूसरे बच्चों की तुलना में बुरा होता है। यहां तक कि ऐसे बच्चों में सहानुभूति की भावना भी कम देखी गई है। पेरेंट्स सोचते हैं कि घर पर बच्चों के साथ सख्ती का व्यवहार करेंगे तो बच्चे उनकी बात सुनेंगे, जबकि सख्त पैरंट्स वाले बच्चे अपने माता-पिता से अपनी निजी बातें शेयर करना भी पसंद नहीं करते।


स्ट्रिक्‍ट पैरेंटिंग के कुछ नुकसान भी होते हैं। ऐसे में पैरेंट्स और बच्चे के बीच में दूरियां आने लगती हैं। ना सिर्फ दूरियां बल्कि बहुत से ऐसे बदलाव बच्चों में देखे जा सकते हैं जो सख्त परवरिश का नतीजा होते हैं। आइए जानते हैं कि बच्चों में कौन-कौन से बदलाव आते हैं जो सिर्फ सख्त वातावरण की वजह से बच्चों के अंदर पनपते हैं।


जिम्मेदारी-


जिम्मेदारी और अनुशासन बच्चों को खुद सीखना होता है लेकिन जब बच्चों पर पाबंदी लगाई जाती है या एक कड़ी सीमाएं और अनुशासन लगाए जाते हैं तब बच्चे अपने आप को कंट्रोल-सा महसूस करते हैं और किसी को भी नियंत्रण में रहना पसंद नहीं होता। ऐसे बच्चे नियंत्रित महसूस करने की वजह से जिम्मेदारियों से दूर भागते हैं।


अवसाद-


जो पेरेंट्स सख्त होते हैं, उनके बच्चों को हमेशा डर लगा रहता है कि उनके माता-पिता उनकी परेशानी नहीं समझेंगे। बच्चों को लगता है कि उनका एक हिस्सा कहीं ना कहीं उनके माता-पिता द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इससे उनके अंदर गुस्से और डिप्रेशन के लक्षण देखे जा सकते हैं। ऐसे बच्चे अवसाद से घिर सकते हैं।


आत्म-सम्मान पर ठेस-


बच्चों के द्वारा गलती हो जाने पर यदि आप उनसे सहानुभूति दिखाने की बजाय चिल्लाकर उन्हें डराना चाहते हैं, तो आपके इस व्यवहार से बच्चों के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है। पैरेंट्स का बच्‍चों पर चिल्‍लाना गलत है। जब आप चिल्लाएंगे, तब बच्चे भी अपने आत्म-सम्मान को बचाए रखने के लिए आपसे चिल्ला कर ही बात करेगें।


​गलत सोच-


सख्त परवरिश वाले घरों में पले बच्चे सोचते हैं कि पॉवर हमेशा सही होती है। ऐसे बच्चे आंख बंद करके पॉवर या सत्ता में बैठे लोगों का विश्वास करने लगते हैं। यहां तक कि सहकर्मी या दोस्तों की भी बातों का आंख बंद करके भरोसा करने लगते हैं और खुद कोई भी जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। यह बच्चे इस गलत सोच के साथ ही अपना जीवन जीने लगते हैं।


विद्रोही-


सख्त माहौल में पले-बड़े बच्चे विद्रोही बन सकते हैं। ऐसे बच्चे माता-पिता द्वारा लगाए गए नियम कानूनों और सीमाओं को तोड़ने के लिए किसी भी हद तक जाने का विचार कर सकते हैं। बच्‍चों का गुस्‍सैल व्‍यवहार हानिकारक होता है। इन बच्चों में दूसरे बच्चों की तुलना में विद्रोह की भावना ज्यादा होती है।


झूठ बोलना-


माता-पिता को एहसास नहीं होता लेकिन कठोर रवैया अपनाने वाले माता-पिता अपने बच्चे में झूठ बोलने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे होते हैं। ऐसे बच्चे झूठ बोलकर अपने माता-पिता के गुस्से से बचना चाहते हैं। किसी भी परिस्थिति में झूठ का सहारा लेना, इन बच्चों के लिए बहुत बड़ी बात नहीं होती है। बच्‍चों में झूठ बोलने की आदत गलत है।