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RBI ने दिए ग्राहकों को 5 अधिकार, बैंकों को की नहीं चलेगी दादागिरी

आजकल बैंकों में खाता सबका है। जिसके हर किसी को किसी न किसी वजह से बैंक में जाना ही पड़ता है. बैंक की सर्विस भी हर दिन बेहतर हो रही है और लोग पहले के मुकाबले अवेयर भी हो रहे है. लेकिन इसके बावजूद भी हम आपको बता दें आरबीआई ने बैंक ग्राहकों को खास अधिकार दिए है। 
 
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RBI ने दिए ग्राहकों को 5 अधिकार, बैंकों को की नहीं चलेगी दादागिरी 

HR Breaking News, Digital Desk- आजकल बैंक में खाता होना आम बात है. हर किसी को किसी न किसी वजह से बैंक में जाना ही पड़ता है. बैंक की सर्विस भी हर दिन बेहतर हो रही है और लोग पहले के मुकाबले जागरूक भी है. इसके बावजूद बैंक में ग्राहकों को कई ऐसे अधिकार मिलते हैं, जिनकी जानकारी आमतौर पर कस्टमर्स को नहीं होती है.

ग्राहकों के इन अधिकारों पर खुद बैंकिंग रेग्युलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की नजर रहती है. RBI ने सभी ग्राहकों को 5 ऐसे खास अधिकार दिए हैं, ​जो बैंक से न मिले तो इसकी शिकायत सीधे आरबीआई से की जा सकती है.

आइए जानते हैं वे 5 अधिकार क्या हैं?

1. सही व्यवहार का अधिकार-


कस्टमर और फाइनेंशियल सर्विसेज देने वालों को हमेशा ग्राहक से शिष्टाचार के साथ पेश आना अनिवार्य है. ग्राहक के साथ लिंग, उम्र, धर्म, जाति और शारीरिक क्षमता आदि के आधार पर सेवाएं देते समय भेदभाव नहीं ​किया जा सकता है.

2. पारदर्शिता और ईमानदारी का अधिकार-


फाइनेंशियल सर्विस देने वाले हर बैंक को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि वह जो भी कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट बनाएं, वह पारदर्शी हो और आम ग्राहक उसे आसानी से समझ सके. प्रोडक्ट की कीमत, उससे जुड़ा रिस्क, नियम और शर्तों का स्पष्ट रूप से खुलासा किया जाना चाहिए.

ग्राहक को गलत बिजनेस या मार्केटिंग प्रेक्टिस का शिकार नहीं बनाया जा सकता है. धमका कर या जबरदस्ती कराया गया कॉन्ट्रैक्ट या फिर गलत तथ्यों के साथ हुआ समझौता मान्य नहीं होगा. कॉन्ट्रैक्ट के दौरान फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर ग्राहक को धमकाना-डराना, कठोर उत्पीड़न या शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.

3. उपयुक्तता का अधिकार-


ग्राहक को दिया गया प्रोडक्ट उसकी जरूरतों के हिसाब से हो, यह सुनिश्चित करना बैंक की जिम्मेदारी है. ग्राहक के आर्थिक हालात और अन्य जानकारी को ध्यान में रखकर ही उसको कोई प्रोडक्ट ऑफर किया जाए.

4. निजता का अधिकार-


ग्राहक की निजी जानकारी को तब तक सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है जब तक कि उसने इसकी सहमति न दी हो. या फिर कानूनी रूप से वह जरूरी न हो. ग्राहक के पास यह अधिकार है कि वह खुद को ऐसी सभी तरह की कम्युनिकेशन से बचाए रख सकता है जो उसकी निजता के साथ छेड़छाड़ करे.

5. शिकायत निवारण का अधिकार-


ग्राहक उसे बेचे गए किसी भी प्रोडक्ट के लिए फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर को जिम्मेदार ठहरा सकता है. इस स्थिति में ग्राहक की शिकायत का हल तय समय में बिना किस परेशानी होना चाहिए. थर्ड पार्टी प्रोडक्ट की बिक्री से संबधित सभी समस्याओं का हल भी सर्विस प्रोवाइडर को करना चाहिए.

बैंक को अपनी सभी नीतियों जैसे क्षतिपूर्ति, काम में देरी आदि की जानकारी ग्राहक को देनी चाहिए. किसी भी तरह की देरी या अन्य परिस्तिति में ग्राहक के क्या अधिकार या दायित्व है इन सभी की जानकारी ग्राहक को देनी जरूरी है.