Railway Project - अंग्रेजों ने शुरू किया था रेलवे का ये प्राजेक्ट, अब तक नहीं हुआ पूरा
HR Breaking News, Digital Desk- दूसरे विश्वयुद्ध के समय साल 1935-36 में ब्रिटिश हुकूमत में शुरू हुआ बरवाडीह-चिरमिरी रेल प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार अबतक झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोग कर रहे हैं. अंग्रेज चले गये, सरकारें आती-जाती रहीं, लेकिन इस प्रोजेक्ट की किस्मत नहीं बदली. तीन-चार बार सर्वे होने के बावजूद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जमीन पर उतारने काम शुरू नहीं हो पाया है.
अंग्रेजों ने 1940-41 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू किया. काम 1946 तक चला. 1947 में देश आजाद होने के बाद इस प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया. उसके बाद सरकारें आईं-गईं, पर इस पर काम नहीं हुआ. अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए अधूरे पुल और मकान के अवशेष भंडरिया में आज मौजूद है.
अंग्रेजों ने बरवाडीह से छत्तीसगढ़ के सरनाडीह तक अर्थवर्क का काम पूरा करा लिया था. रेलवे लाइन के रास्ते में पड़ने वाली चनान और कनहर नदी पर पुल निर्माण का काम शुरू किया गया. उसके लिए पिलर भी खड़ा कर दिए गए थे. लेकिन आजादी के बाद इस रेल प्रोजेक्ट की फाइल ऐसी दबी कि कभी बाहर नहीं निकली. अब इस प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित भूमि पर लोगों ने कब्जा जमा लिया है.
इस रेल लाइन के बिछ जाने से झारखंड से मुंबई की दूरी कम हो जाएगी. साथ ही छत्तीसगढ़ के तातापानी, रामकोला, भैयाथान के विशाल कोयला भंडार के अलावा समारीपाठ, लहसुनपाठ, जमीरापाठ और जोकापाठ सहित अन्य क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध बाक्साइट का उत्खनन भी हो सकेगा. लोगों का कहना है कि इस रेलवे लाइन के बन जाने से व्यापार के साथ-साथ झारखंड और छतीसगढ़ के लोगो के लिए आवाजाही की सुविधा बहाल हो जाएगी.
बरवाडीह-चिरमिरी सहित अन्य रेल प्रोजेक्ट को पूरा कराने को लेकर झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार और समीर उरांव के अलावा छत्तीसगढ़ के सांसद रामविचार नेताम ने रेलमंत्री पीयुष गोयल से मुलाकात की है. पलामू सांसद बीडी राम ने पिछले 15 दिसंबर को लोकसभा में बरवाडीह-चिरमिरी रेल परियोजना का मामला उठाया था.