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Train Ticket Booking: आम आदमी दो मिनट में बुक कर पाता है ट्रेन की टिकट, दलाल चंद सेंकेंड में, जानिए पूरा खेल

 आम लोगों के मुकाबले दलाल चंद सेकेंड में टिकट बुक कर लेते हैं, जिससे आपको कंफर्म टिकट के लिए मारामारी करनी पड़ती है. इस खबर में जानिए आखिर कैसे होता है टिकट बुकिंग का ये खेल.
 
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HR Breaking News, Digital Desk- आईआरसीटीसी की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर आपको टिकट बुक करने में औसतन दो मिनट का समय लगता है. कई बार इंटरनेट की स्पीड या तत्काल बुकिंग की प्रक्रिया की वजह से इससे ज्‍यादा समय भी लग जाता है. नतीजतन जब तक आपकी बुकिंग प्रोसेस कंप्लीट होती है, उससे पहले ही संबंधित ट्रेन की कंफर्म सीटें बुक हो चुकी होती हैं. आपके हाथ में बस वेटिंग टिकट ही रह जाता है. वहीं टिकट बुक करने वाले दलाल चंद सेकेंड में ही अपनी टिकटें कंफर्म करा लेते हैं. हाल ही में आरपीएफ ने कुछ दलालों और साफ्टवेयर डेवलपरों को दबोचा तो इस खेल का राजफाश हुआ. आइए जानें पूरा खेल.

आम व्‍यक्ति जब निर्धारित समय में आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक कराना चाहता है तो यूजर आईडी और पासवर्ड डालने के बाद लॉगिन कैप्‍चा डालना होता है. इसके बाद यात्रियों की डिटेल भरते हैं. एक यूजर आईडी से एक से लेकर छह यात्रियों की टिकट बुक हो सकती है. इसे सबमिट करने के लिए भी एक कैप्‍चा भरना होता है. पेमेंट करने के लिए आपके मोबाइल में ओटीपी आता है, उसे डालने के बाद पेमेंट होता है और तब जाकर टिकट मिल पाता है. इसमें औसतन 2 मिनट का समय लग जाता है.

दलाल इसलिए सेकेंड में चुरा लेते हैं टिकट-


दलाल टिकट बुकिंग के लिए सॉफ्टवेयर का इस्‍तेमाल करते हैं. इस सॉफ्टवेयर की मदद से दोनों कैप्‍चा भरने की जरूरत नहीं पड़ती है, सॉफ्टवेयर इसे बायपास करा देता है. वहीं, पेमेंट के लिए भी ओटीपी की जरूरत नहीं होती है, सीधा पेमेंट हो जाता है. इस तरह कुछ सेकेंड में दलाल कंफर्म टिकट बुक करा लेते हैं.

दलाल एक आईडी से 144 यात्रियों का टिकट बुक करा रहा था-


एक आईडी से छह यात्रियों का टिकट बुक हो सकता है. यानी बुकिंग की कतार में वर्चुअल छह लोग लगा सकते हैं, जबकि दलाल एक आईडी से 144 लोगों की टिकट बुक करा सकता था. इस वजह से आम लोगों को टिकट नहीं मिल पाता है. पहला तो कुछ सेकेंड में टिकट बुक होता है और दूसरा 144 लोगों का टिकट एक साथ बुक कराता है. इतना ही नहीं सॉफ्टवेयर की मदद से 144 यात्रियों की डिटेल पहले से तैयार रहती थी, जिसे निर्धारित समय होते ही एड कर दिया जाता है. इस तरह डिटेल भरने में लगने वाला समय भी बच जाता है.

रूस से डेवलप कराया गया था सॉफ्टवेयर-


आरपीएफ के अनुसार पकड़े गए दलालों और सॉफ्टवेयर डेवलपर ने बताया कि इस तरह के सॉफ्टवेयर रूस में डेवलप कराए थे. इनका किराया भी अलग-अलग होता है. मसलन एक आईडी में दो वर्चुअल यात्रियों वाले सॉफ्टवेयर का किराया 600 रुपये प्रतिमाह और 24 वर्चुअल वाले यात्रियों वाले सॉफ्टवेयर का किराया 10000 रुपये प्रति माह होता है. वर्चुअल यात्रियों की संख्‍या छह गुना बढ़ाई जा सकती है, क्‍योंकि एक आईडी में छह लोगों का टिकट बुक हो सकता है. आरपीएफ ने बताया कि दलालों और सॉफ्टवेयर डेवलपरों के खिलाफ अभियान लगातार चलाया जा रहा है.