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Railway Station - गुलाम भारत के दौर में बना था ये रेलवे स्टेशन, आजादी के बाद भी है पहले जैसा

आज हम आपको अपनी इस खबर में देश के एक ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे है जो अंग्रेजों के जमाने का है। लेकिन भारत का ये रेलवे स्टेशन आजादी के बाद भी वैसे का वैसा ही है। आइए जानते है इस स्टेशन के बारे में विस्तार से। 
 
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Railway Station - गुलाम भारत के दौर में बना था ये रेलवे स्टेशन, आजादी के बाद भी है पहले जैसा 

HR Breaking News, Digital Desk- भारत अपना 64वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। यह दिन भारत के राष्ट्रीय पर्वों में से एक महत्वपूर्ण दिन है। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान अपनाया गया था और भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बन गया था। तब से अब तक देश में बहुत कुछ बदला। भारत ने आजादी के बाद से बहुत विकास किया। कई क्षेत्रों में विकास देखा गया और परिवर्तन देखने को मिले।

ब्रिटिश ही भारत में ट्रेन लेकर आए। आजादी से पहले ही भारत में ट्रेन चलने लगी थी और कई रेलवे स्टेशन भी थे। लेकिन आजादी के बाद हुए विकास के बाद भी कई रेलवे स्टेशन हैं जो ऐतिहासिकता को अपने में समाये हुए हैं। फिलहाल भारत में लगभग सात हजार से अधिक रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से कुछ रेलवे स्टेशन ऐतिहासिकता की कहानी समेटे हुए हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के सबसे पुराने और आखिरी रेलवे स्टेशन के बारे में बता रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने का यह रेलवे स्टेशन आज भी वैसा ही है, जैसा आजादी से पहले था। आइए जानते हैं देश के सबसे पुराने और ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन के बारे में।

सबसे पुराना रेलवे स्टेशन-

भारत के सबसे पुराने रेलवे स्टेशन का नाम सिंहाबाद है। यह भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन है, जो कि बांग्लादेश की सीमा से सटा है। इस रेलवे स्टेशन का उपयोग मालगाड़ियों के ट्रांजिट के लिए होता है।

कहां स्थित है सिंहाबाद रेलवे स्टेशन?

सिंहाबाद रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में स्थित है। इस रेलवे स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही बांग्लादेश की सीमा है, जहां लोग पैदल ही घूमने चले जाते हैं। सिंहाबाद रेलवे स्टेशन के आगे भारत का कोई और रेलवे स्टेशन नहीं है। सिंहाबाद बहुत ही छोटा रेलवे स्टेशन है। यहां ज्यादा चहल-पहल नहीं होती, क्योंकि इस रेलवे स्टेशन पर यात्री कम और मालगाड़ियों का आवागमन अधिक होता है।

गुलाम भारत के दौर में बना था ये स्टेशन-

जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था, तब यह रेलवे स्टेशन बना था। बाद में आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया और यह रेलवे स्टेशन बंद हो गया। लंबे अरसे से सिंहाबाद रेलवे स्टेशन वीरान पड़ा था। 1978 में इस रूट पर मालगाड़ियां फिर चलना शुरू हुईं। उस दौर में भारत से बांग्लादेश के लिए मालगाड़ियों का आवागमन होता था।


सिंहाबाद रेलवे स्टेशन जैसे का तैसा-

आजादी के बाद से सिंहाबाद रेलवे स्टेशन में कोई बदलाव नहीं हुआ। साल 2011 नवंबर महीने में एक पुराने समझौते में संशोधन हुआ और नेपाल को इस रूट में शामिल कर लिया गया। भारत से बांग्लादेश के अलावा नेपाल जाने वाली ट्रेनें भी इस रेलवे स्टेशन से होकर गुजरने लगीं। भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन सिंहाबाद ह और बांग्लादेश का पहला रेलवे स्टेशन रोहनपुर है। भारत और बांग्लादेश के बीच मालगाड़ियों का खेप रोहनपुर-सिंहाबाद ट्रांजिट प्वाइंट से ही निकलता है।

सिंहाबाद रेलवे स्टेशन की कहानी-

कोलकाता से ढाका जाने के लिए यह रेलवे स्टेशन संपर्क माध्यम था। आजादी से पहले कई बार महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस ढाका जाने के लिए इस रेलवे स्टेशन से गुजरे। दार्जिलिंग मेल जैसी ट्रेनें भी इस रेलवे स्टेशन से गुजरा करती थीं। लेकिन अब यहां सिर्फ मालगाड़ियों की निकासी होती है। इस रेलवे स्टेशन पर आज भी अंग्रेजों के जमाने के ही सिग्रल, संचार और अन्य उपकरण लगे हुए हैं।

इस स्टेशन पर पहले ही तरह ही कार्डबोर्ड के टिकट रखे हैं। इस तरह के टिकट अब कहीं देखने को नहीं मिलते। हालांकि यात्री यहां से नहीं निकलते, इसलिए टिकट काउंटर बंद कर दिया गया है। सिग्नलों के लिए हाथ के गियरों का उपयोग किया जाता है और पुराने जमाने के टेलीफोन का उपयोग होता है।