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Home और Auto लोन लेने वालों को राहत, नहीं बढ़ेगा EMI का बोझ, जानें डिटेल्स

 होम और ऑटो लोन (Home and Auto Loan) लेने वाले ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है. दोनों तरह के लोन अप्रैल तक महंगे नहीं होने वाले हैं.
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RBI

इसकी प्रमुख वजह आरबीआई है. दरअसल, लगातार बढ़ रही महंगाई (Inflation) को देखते हुए केंद्रीय बैंक की अप्रैल 2022 तक रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी करने की कोई योजना नहीं है. अगर ऐसा होता है तो कर्ज की दरों में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिलेंगी.


अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज (Bank of America Securities) का कहना है कि आरबीआई 8 फरवरी यानी कल से होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. हालांकि, रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसदी तक इजाफा हो सकता है.
बढ़ सकती है महंगाई


बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने कहा कि आरबीआई वृद्धि केंद्रित और पूंजीगत व्यय संचालित (growth-focused and capex-driven) राजकोषीय विस्तार की दिशा में आगे बढ़ेगा. हालांकि, इससे कीमतों में बढ़ोतरी और बाद में ब्याज दरों का जोखिम पैदा हो सकता है.

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दुनिया के लगभग सभी प्रमुख केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए दरों में बढ़ोतरी करने की तैयारी कर रहे हैं. भारत में मई 2020 के बाद से प्रमुख रेपो रेपो में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह चार फीसदी पर स्थिर है, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है.


फेडरल रिजर्व कर सकता है बढ़ोतरी


बैंक ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद के बावजूद आरबीआई धीरे-धीरे मौद्रिक नीति को सामान्य स्तर पर लाने का रास्ता अपनाएगा. इस समय बॉन्ड यील्ड 6.9 फीसदी पर है, जो 2019 के कोरोना पूर्व स्तर से भी ज्यादा है.

बजट में सरकार ने अगले वित्त वर्ष बाजार से बड़े पैमाने पर कर्ज लेने की घोषणा की है. इस फैसले के बाद डोमेस्टिक और इंटरनेशनल मार्केट में बॉन्ड पर लगने वाला इंट्रेस्ट रेट बढ़ गया है.

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अप्रैल में पहले 0.4 फीसदी बढ़ सकता है रिवर्स रेपो रेट


बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि आरबीआई सबसे पहले रिवर्स रेपो रेट और रेपो रेट के बीच अंतर को कम करेगा. अप्रैल में वह रिवर्स रेपो 0.40 फीसदी बढ़ाकर 3.75 फीसदी कर सकता है.

उसके बाद रेपो और रिवर्स रेपो के बीच फासला 0.25 फीसदी के पूर्व स्तर पर आ जाएगा. जून में पहली बार रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला लिया जा सकता है. दिसंबर तक इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.75 फीसदी तक किया जा सकता है.