हरियाणा की बेटी कल्पना चावला का क्या था खास मिशन, आज ही के दिन रचा ये इतिहास
वह 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया हादसे की शिकार बनी थीं लेकिन उनकी स्मृतियां आज भी अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वाले बच्चों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। इसी सोच के साथ नेशनल एयरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानि नासा की ओर से ऐसे होनहारों को प्रतिवर्ष विशेष शैक्षिक भ्रमण कराया जाता है वहीं कल्पना के अपने स्कूल टैगोर बाल निकेतन के मेधावी बच्चों को नासा 1998 से यह टूर करा रहा है।
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कल्पना चावला (Kalpana Chawla) ने 19 नवंबर 1997 को अपना पहला स्पेस मिशन शुरू किया था। इसके बाद (Kalpana Chawla) इस क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां दर्ज कीं।
इसी क्रम में वह कोलंबिया मिशन का हिस्सा बनीं तो तमाम भारतवासियों के साथ उसके अपने शहर करनाल के बाशिंदों ने भी अलग ही गर्व की अनुभूति हासिल की।
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परंतु इसी बीच वह 1 फरवरी 2003 का कभी नहीं भुलाए जाने वाला दिन भी आया, जब कल्पना (Kalpana Chawla) मिशन में शामिल अन्य अंतरिक्ष यात्रियों का यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया व कल्पना (Kalpana Chawla) अंतरिक्ष में ही रह गईं। इस हादसे को 19 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन कल्पना की यादों से आज भी अनेक होनहार प्रेरणा ले रहे हैं।
- शैक्षिक भ्रमण पर नासा जाते हैं बच्चे
हरियाणा के करनाल जैसे छोटे शहर से निकलकर अंतरिक्ष परी की पहचान हासिल करने वाली कल्पना चावला (Kalpana Chawla) के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने वाले बच्चों की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है।
ये वजह है कि नेशनल एयरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानि नासा की ओर से ऐसे बच्चों को प्रतिवर्ष विशेष एजुकेशनल टूर करवाया जाता है। इसमें देश विदेश के अन्य स्थानों के साथ ही करनाल से भी प्रतिवर्ष चयनित होनहारों को भाग लेने का मौका मिलता है वहीं कल्पना (Kalpana Chawla) के अपने स्कूल टैगोर बाल निकेतन के मेधावी बच्चों को नासा 1998 से प्रतिवर्ष यह टूर कराता है।
हालांकि, अब कोरोना काल की परिवर्तित परिस्थितयों के कारण यह टूर नहीं हो पा रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल डा. राजन लांबा कहते हैं कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य बच्चों को न केवल अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नासा की उपलब्धियों से अवगत कराना है दूसरी ओर, इससे बच्चे खुद को आने वाले दौर की चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास से लबरेज भी होते हैं।
पूरी दुनिया में अंतरिक्ष परी की पहचान हासिल करने वाली अपनी बेटी कल्पना (Kalpana Chawla) की प्रेरक स्मृतियों को करनाल के बाशिंदे सदा संजोए रखना चाहते हैं।
इसी सोच के साथ जहां कल्पना के स्कूल टैगोर बाल निकेतन के हाल को उनकी यादगार तस्वीरों और इबारत से सजाने के साथ ही कल्पना की शख्सियत को समर्पित किया गया है तो वहीं शहर के प्रमुख प्रेक्षागृह डा. मंगलसेन आडिटोरियम की करीब 35 फुट ऊंची दीवार पर भी कल्पना चावला (Kalpana Chawla) के विशाल चित्र को कुशल कलाकारों ने बखूबी उकेरा है।