Ancestral Property : दादा-परदादा की प्रोपर्टी में किसी को कम और किसी को ज्यादा क्यों मिलता है हिस्सा, जानिए कानून
Ancestral Property : प्रोपर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है. इसी कड़ी में आज हम आपको अपनी इस खबर में बता दें कि आखिर दादा-परदादा की प्रोपर्टी में किसी को कम और किसी को ज्यादा हिस्सा क्यों मिलता है... आइए नीचे खबर में जान लेते है इससे जुड़ा कानूनी प्रावधान-

HR Breaking News, Digital Desk- (Ancestral property partition) भारत में संयुक्त परिवार की संस्कृति प्रचलित है, जहां कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं. हालांकि, अब न्यूक्लियर फैमिली (nuclear family) का चलन बढ़ रहा है. इस बदलाव के चलते पैतृक संपत्ति के बंटवारे (division of ancestral property) के समय विवाद अक्सर सामने आते हैं.
परदादा के समय में जो ज़मीन एक परिवार के लिए थी, वह आज कई हिस्सों में बांटी जाती है. इस बंटवारे में यह तय करना कि कौन कितना हिस्सा पाएगा, एक महत्वपूर्ण सवाल बन जाता है. आमतौर पर, संपत्ति का अधिकार (Property Rights) पुत्रों तक ही सीमित रहता है, यानी पिता की संपत्ति ही उनके पुत्रों के पास आती है.
चार पीढ़ियों की विरासत में मिली संपत्ति (Inherited property) पर विचार करें, तो यह परदादा से शुरू होती है. मान लेते हैं, परदादा के दो बेटे हैं, जिनमें संपत्ति 50-50 फीसदी बंटती है. यदि परिवार विभाजित नहीं है, तो यह स्थिति अब लागू नहीं होगी. फिर दादा की 2 संतानें और एक भाई हुआ, जिससे संपत्ति तीन हिस्सों में बंटेगी. अब विभाजन समान नहीं रहेगा; पिता और उनके भाई को 50 फीसदी हिस्सा दो भागों में बांटना होगा, जबकि उनके चचेरे भाई को पूरा 50 फीसदी हिस्सा मिलेगा. इस प्रकार, संपत्ति का वितरण परिवार की संरचना पर निर्भर करता है.
आपके पास आएगी कितनी संपत्ति-
आपके पिता के पास 2 भाइयों के बंटवारे के बाद संपत्ति का विभाजन होता है. हर भाई को 25% संपत्ति मिलती है. आपके पिता के भाई का एक बेटा होने पर उसे पूरा 25% मिलेगा. जबकि आप और आपके दो सगे भाई मिलकर 25% संपत्ति को बांटते हैं, जिससे आपको केवल 12.5% हिस्सा मिलेगा. इस प्रकार, गांवों में देखा जाता है कि कुछ पीढ़ियों पहले एक ही परिवार में रहने वाले लोगों के पास संपत्ति का बहुत बड़ा असमानता होती है. कुछ के पास अधिक जमीन होती है, तो कुछ के पास बहुत कम.
वसीयत-
इसमें वसीयत के बड़ा किरदार अदा करती है. अगर किसी पैतृक की वसीयत लिखने के बाद मृत्यु (death) हुई है तो बंटवारे को लेकर विवाद की आशंका बहुत कम रहती है. वसीयत में कई बार एक ही व्यक्ति को बगैर बांटे सबकुछ दे दिया जाता है. यह कानूनी रूप (legal form) से मान्य होता है और इसके बाद कोई अन्य दावेदार संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता है. हालांकि, अगर वसीयत नहीं लिखी गई है तो फिर विरासत के आधार बंटती है. इसमें उत्तराधिकारियों को संपत्ति (property to heirs) दे दी जाती है. उत्तराधिकारी का वर्ण हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) 1956 में है. गौरतलब है कि मुस्लिम समाज में संपत्ति का बंटवारा अलग तरीके से होता है.