Chanakya Niti: स्त्री- पुरुष इस काम को करने में न करें शर्म, नहीं तो जिंदगी भर रहेगा पछतावा
HR Breaking News (ब्यूरो) : आर्चार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में बड़ों, बुजुर्गों, बच्चों सभी के लिए कोई न कोई सीख दी है। जिस पर अमल कर मानव अपने जीवन में कामयाबी की बुलंदों आसानी से सकता है। आज हम आपको चाणक्य की उन्हीं गूढ़ बातों में से एकपर चर्चा करने जा रहे हैं, जिसपर अमल कर आप भी कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकते हैं और अपने घर को सुख-समृद्धि से भर सकते हैं।
जीवन में कई ऐसे काम है जिसके करते वक्त लोग शर्म करते हैं। और यह एक सभ्य समाज के लिए जरूरी भी है। लेकिन आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया है जिसे करते वक्त मनुष्य को कभी भी शर्म नहीं करना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि कुछ ऐसे काम हैं जिसे करते वक्त मनुष्य को शर्म और लिहाज बिलकुल ही छोड़ देना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता है उसे जीवन भर पछताना पड़ता है।
Chanakya Niti: पति से असंतुष्ट महिला करती है ये इशारे
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र नीति में चार ऐसे कामों का जिक्र किया है जिसे करते समय मनुष्य को बिलकुल ही शर्म नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं वो कौन से कार्य है जिसे करते वक्त पुरुष हों या स्त्री शर्म नहीं करना चाहिए।
शर्म-लिहाज छोड़ जरूर करें ये 4 काम
हर कोई चाहता है कि उसका जीवन सुखमय हो और उसके घर में सुख-शांति का वास हो, लेकिन इसके लिए धन जरूरी है। धन के लिए कमाना जरूरी है। ऐसे में लोग धन कमाने के लिए रास्ते ढूढ़ता है। आचार्य चाणक्य के मुताबिक किसी भी आदमी धन कमाने से जुड़े काम करते वक्त शर्म नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर कोई भी व्यक्ति धन कमाने के लिए काम करते वक्त शर्म करता है तो वह अपने काम को ठीक नहीं सकता। ऐसे में उसे ही नुकसान होता है।
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इसके साथ ही आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि आपने किसी को पैसे उधार में दिए हैं तो उन्हें वापस मांगते वक्त कभी शर्म नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपका पैस डूब सकता है और इसकी वजह से आपको नुकसान हो सकता है।
इसके आगे आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री हों या पुरुष पेट सबके लिए महत्वपूर्ण है। लोग इसीलिए कमाता है कि उनके सामने कभी भी खाने का संकट पैदा न हो। ऐसे में खाने खाते वक्त कभी भी शर्म नहीं करना चाहिए। कई लोग ऐसे होते हैं जो बाहर भोजन करते वक्त शर्मा जाते हैं और शर्म की वजह से कई बार भूखे तक रह जाते हैं। चाणक्य हैं कि कभी भूख को मारना नहीं चाहिए।
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इसके साथ ही आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुरु से शिक्षा लेते वक्त भूलकर भी शर्म नहीं करना चाहिए। दरअसल गुरु हर व्यक्ति के जीवन में मार्गदर्शक की भूमिका में होते हैं और हर समय उनसे मनुष्य को कुछ न कुछ सीखने को ही मिलता है।
ऐसे में गुरु से शिक्षा लेने में कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए। एक अच्छा और सफल छात्र वही होता है जो बिना शर्म गुरु से शिक्षा ग्रहण करता है और गुरु से अपने सवालों के जवाब पूछता है।