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Delhi High Court : 2 करोड़ दिया दहेज तो पत्नी के परिवार की इनकम टैक्स जांच कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा पति

Delhi High Court : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी के परिवार के खिलाफ आयकर जांच की मांग की थी. शख्स का दावा था कि उसकी ससुराल वालों ने शादी में 2 करोड़ रुपये दहेज दिया और भारी खर्च किया.... आइए नीचे खबर में जान लेते है कोर्ट में आए इस मामले को विस्तार से-

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Delhi High Court : 2 करोड़ दिया दहेज तो पत्नी के परिवार की इनकम टैक्स जांच कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा पति

HR Breaking News, Digital Desk- (Delhi High Court) दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने अपनी पत्नी के परिवार के खिलाफ आयकर जांच की मांग की थी. व्यक्ति ने दावा किया था कि उसके ससुराल वालों ने शादी में 2 करोड़ रुपये नकद दिए और शादी पर बहुत खर्च किया, जो आयकर नियमों का उल्लंघन है. 

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आयकर विभाग को निर्देश देने की मांग की थी कि उसकी पत्नी के परिवार की आय और पिछले 10 वर्षों के टैक्स रिकॉर्ड (tax record) की जांच की जाए. साथ ही, उसने दहेज में दिए गए 2 करोड़ रुपये की नकद लेन-देन की भी जांच कराने की मांग की थी.

पत्नी के परिवार की आयकर जांच की मांग-

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) ने पति-पत्नी के आपसी विवाद से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह मामला पति-पत्नी का निजी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि उनके किस मौलिक या कानूनी अधिकार का हनन हुआ है, जिसका जवाब वकील नहीं दे पाए. इसलिए, याचिका को स्वीकार नहीं किया गया.

कोर्ट ने आगे कहा कि आयकर विभाग ऐसे पारिवारिक विवादों को हल करने के लिए नहीं बना है और यह मामला न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने जैसा है. दरअसल साल 2022 में शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्ते बिगड़ गए और पत्नी ने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. 

इसके बाद पति ने आयकर विभाग में शिकायत देकर ससुराल वालों की आय के स्रोतों की जांच की मांग की. लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

 

बिना ठोस आधार के जांच की मांग-

कोर्ट ने एक याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि यह एक रोविंग और फिशिंग इंक्वायरी (Roving and Fishing Inquiry) है, यानी बिना किसी ठोस आधार के जांच की मांग. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं बता सका कि उसने किस कानूनी प्रावधान के तहत शिकायत दर्ज कराई थी. इसी वजह से कोर्ट ने याचिका को पूरी तरह से रद्द कर दिया.