Delhi High Court : मकान मालिकों के हक में हाईकोर्ट ने दिया अहम फैसला, किराएदारों को तगड़ा झटका
Delhi High Court : मकान मालिक-किरायेदार विवादों के बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी किरायेदार मकान मालिक को यह निर्देश नहीं दे सकता कि वह अपनी संपत्ति को... कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ लें-
HR Breaking News, Digital Desk- मकान मालिक-किरायेदार विवादों के बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी किरायेदार मकान मालिक को यह निर्देश नहीं दे सकता कि वह अपनी संपत्ति (property) का उपयोग कैसे करें.
यह टिप्पणी एक दुकान खाली कराने के मामले में सामने आई, जहां कोर्ट ने मकान मालिक के अधिकारों (landlord rights) की रक्षा पर जोर दिया. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इस तरह के विवादों को लेकर कोर्ट पहले भी कई दिशानिर्देश जारी कर चुका है.
कोर्ट ने कहा, मकान मालिकों को अपनी जमीन के अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट भी किसी मकान मालिक को उसकी जमीन कैसे इस्तेमाल की जाए, इसपर कोई आदेश दे सकता है. दुकान के मालिक द्वारा दायर की गई याचिका पर उच्च न्यायालय (High court) ने कहा कि दुकान के मालिक को यह पूरा अधिकार है कि वह अपने परिसर को पूरी तरह खाली करवा सकता है.
दुकान खाली कराने का मामला-
किरायेदार ने दुकान खाली करने के मामले के लिए पहले निचली अदालत (lower court) का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन, वहां राहत न मिलने के बाद मामला हाईकोर्ट (highcourt) पहुंचा. जिसके बाद कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी. दुकान के मालिक ने कोर्ट से बताया कि वह और उसका बेटा, दोनों की इस प्रॉपर्टी के ज्वाइंट ओनर (joint owner) हैं. उनका बेटे उसी जगह बिजनेस (business) करना चाहता है, जिसके लिए उन्होंने किरायेदार से दुकान खाली करने के लिए कहा था.
किरायेादार का क्या है पक्ष-
किरायेदार ने अपनी दलील में कहा कि मकान मालिक (landlord) ने दुकान का क्षेत्रफल नहीं बताया और 14 किरायेदारों का उस पर कब्जा है. किरायेदार ने मकान मालिक (tenant to landlord) पर पैसे के लालच में याचिका दायर करने का आरोप लगाया, क्योंकि क्षेत्र में संपत्ति के दाम बढ़ गए थे और वह अधिक किराया चाहता था. हालांकि, कोर्ट (court) ने किरायेदार के इस तर्क को खारिज कर दिया.
