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Delhi Metro : दिल्ली मेट्रो में एक दिन में कितने रुपये की होती है बिजली खपत, आंकड़ा जानकर रह जाओगे हैरान

Delhi Metro : हर दिन लाखों लोगों की यात्रा को आसान बनाने वाली यह मेट्रो, चौंका देने वाली मात्रा में बिजली का उपयोग करती है. क्या आप जानते हैं लाखों लोगों के जीवन को आसान बना रही इस मेट्रो में कितनी बिजली की खपत होती है. अगर आपका जवाब नहीं है तो चलिए आइए आज जान लेते हैं इस खबर में- 

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Delhi Metro : दिल्ली मेट्रो में एक दिन में कितने रुपये की होती है बिजली खपत, आंकड़ा जानकर रह जाओगे हैरान

HR Breaking News, Digital Desk- (Delhi Metro) भारत की राजधानी दिल्ली एक ऐसा शहर है जहां लाखों लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगातार मेहनत करते हैं. इस भागदौड़ भरे शहर में, दिल्ली मेट्रो निवासियों के लिए सबसे पसंदीदा और महत्वपूर्ण परिवहन का साधन है, जिसे शहर की 'लाइफ लाइन' भी कहते हैं. यह न सिर्फ एक उत्कृष्ट परिवहन प्रणाली है, बल्कि एक बेहतरीन प्रबंधन का उदाहरण भी है. 

हर दिन लाखों लोगों की यात्रा को आसान बनाने वाली यह मेट्रो, चौंका देने वाली मात्रा में बिजली का उपयोग करती है. क्या आप जानते हैं लाखों लोगों के जीवन को आसान बना रही इस मेट्रो में कितनी बिजली की खपत होती है (How much electricity is consumed in the metro). चलिए जानते हैं. 

हर दिन कितनी बिजली की खपत-

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro), जो राजधानी और आसपास के इलाकों की लाइफलाइन है, हर दिन लाखों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती है. दिल्ली मेट्रो हर दिन 30 लाख यूनिट बिजली खपत करती है, जो दिल्ली की कुल बिजली खपत का लगभग 2.5% है. यह आंकड़ा वाकई चौंकाने वाला है.

बिजली खपत का खर्च-
दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) अपनी दैनिक बिजली खपत पर लगभग ₹1.83 करोड़ खर्च करती है. इस खर्च में ट्रेनों को चलाने से लेकर स्टेशनों पर रोशनी, लिफ्ट (lift) और एस्केलेटर (Escalator) जैसे सिस्टम शामिल हैं. डीएमआरसी (DMRC) अपनी आधी बिजली दिल्ली, यूपी (UP) और हरियाणा (Haryana) के डिस्कॉम से लेती है. बाकी 50% बिजली वह सौर ऊर्जा से पैदा करती है, जिसमें 99 मेगावाट ऑफ-साइट और 140 मेगावाट रूफटॉप सोलर प्लांट से मिलती है. इस तरह, दिल्ली मेट्रो सौर ऊर्जा का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है.



बैकअप की पर्याप्त सुविधा-
आपातकालीन स्थिति में, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) के ट्रैक्शन सिस्टम को पर्याप्त बैकअप मिलता है। हर लाइन पर औसतन चार सब-स्टेशन होते हैं। यदि कोई एक सब-स्टेशन विफल हो जाता है, तो बिजली (Electricity) अन्य सब-स्टेशनों से ली जा सकती है, जिससे संचालन सुचारू रूप से चलता रहे।