Delhi Supreme Court : पिता की प्रोपर्टी में बेटे के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
Delhi Supreme Court : आमतौर पर प्रोपर्टी से जुड़े नियमों और कानूनाें को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको अपनी इस खबर में सुप्रीम कोर्ट की ओर से आए एक ऐतिहासिक फैसले के मुुताबिक बता दें कि आखिर पिता की प्रोपर्टी में बेटे का कितना अधिकार हैं-
HR Breaking News, Digital Desk- (Property Rights in India landmark judgment) संपत्ति पर माता-पिता का पूरा अधिकार होता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में यह साफ कर दिया है कि अगर बच्चे अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार (parental abuse) करते हैं तो उन्हें पैतृक संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है.
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने एक ऐसे ही मामले में फैसला सुनाया, जहाँ एक बेटे ने अपने बुजुर्ग पिता को घर में घुसने नहीं दिया. कोर्ट ने पिता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बेटे को संपत्ति खाली करने का आदेश दिया. (Full rights of parents on property)
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा-
मां-बाप के अधिकार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि परेंट्स और सीनियर सिटीजंस अपनी संपत्ति से बच्चों को कभी भी बेदखल कर सकते हैं. भरण-पोषण एवं कल्याण एक्ट (Maintenance and Welfare Act) 2007 के तहत गठित ट्रिब्यूनल को परेंट्स और सीनियर सिटीजंस को ऐसे बच्चों को संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार देता है जो उन्हें रहने-खाने की जिम्मेदारी देने से भागें. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High court) के इस मामले में बड़े बेटे के खिलाफ बेदखली के आदेश को भी पलट दिया.
क्या है मामला-
बुढ़ापे में देखभाल की जिम्मेदारी नहीं निभाने के कारण एक बुजुर्ग ने अपने बेटे के खिलाफ ट्रिब्यूनल में अपील की. ट्रिब्यूनल ने बेटे को संपत्ति से बेदखल करने का आदेश दिया था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आदेश को अमान्य कर दिया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) के फैसले को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा कि वृद्ध व्यक्तियों की देखभाल और सुरक्षा के लिए 2007 का कानून बनाया गया था ताकि उनकी दुर्दशा को दूर किया जा सके.
