Gautam Adani - बैंक ग्राहकों के लिए जरूरी खबर, जानिए अडानी ने कौन-कौन से बैंक से कितना-कितना लिया है पैसा
बैंक ग्राहकों के लिए जरूरी खबर। दरअसल एक रिपोर्ट के मुताबिक ये बताया जा रहा है कि अडानी ने कौन-कौन से बैंक से कितना-कितना पैसा लिया है।
HR Breaking News, Digital Desk- अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले समूह पर खुले तौर पर शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. कंपनी के इस आरोप के बाद ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है. पिछले 10 दिनों में अडानी के शेयरों में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
इस बीच संकट में फंसे अडानी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों से कहा है कि उन्होंने अडानी की कंपनियों को जितना भी कर्ज दिया है, उनकी जानकारी शेयर करें. ऐसे में आपको बताते हैं कि अडानी ने कहां से कितना पैसा लिया है.
अडानी ने कहां से कितना फंड लिया?
- अडानी के 2 लाख करोड़ के कर्ज में 80 हजार करोड़ कर्ज बैंकों ने दिया है. यानी बैंकों की इसमें 40 फीसदी की हिस्सेदारी है.
- एसबीआई ने अडानी को 21 हजार करोड़ का कर्ज दिया है.
- एसबीआई द्वारा दिए गए पैसों में इसकी विदेशी इकाइयों से 200 मिलियन डॉलर भी शामिल है.
- एलआईसी ने अडानी की चार कंपनियों में 30 हजार करोड़ का निवेश किया है.
ये 4 स्टॉक्स हैं अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी ट्रांसमिशन. इस बीच बताया जा रहा है कि 2फरवरी तक एलआईसी 5 हजार करोड़ मुनाफे में थी. वहीं एलआईसी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि उसने कंपनियों में 1 फीसदी से भी कम निवेश किया है.
क्या कहती है अडानी ग्रुप की बैलेंस शीट?
बता दें, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों से अडाणी समूह को दिए गए कर्ज का ब्योरा मांगने से एक दिन पहले शेयर की कीमतों में भारी गिरावट के बीच समूह की प्रमुख फर्म अडाणी एंटरप्राइजेज के 20,000 करोड़ रुपये के एफपीओ को वापस ले लिया गया था. स्विटजरलैंड के लोनदाता क्रेडिट स्विस ने बुधवार को मार्जिन कर्ज देने के लिए अडाणी समूह की कंपनियों के बॉन्ड को गारंटी के रूप में स्वीकार करना बंद कर दिया था.
विविध क्षेत्रों में काम करने वाले समूह को पिछले एक हफ्ते से मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है। इसकी शुरुआत अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के साथ हुई, जिसमें समूह के संचालन के बारे में कई आरोप लगाए हैं.