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Odisha Train Accident : कैसे एक ही पटरी पर दौड़ सकती है 2 ट्रेनें, ओडिशा ट्रेन हादसे का ज़िम्मेवार कौन

Breaking News : बहनागा बाजार स्टेशन पर पहले बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और फिर उससे टकराकर कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां पटरी से उतर गईं। इसके बाद एक मालगाड़ी भी उनसे टकरा गई। तो इससे बहुत सारे सवाल दिमाग में आते हैं, के क्या एक ही पटरी पर एक ही समय इतनी ट्रेनें दौड़ सकती है, इस हादसे का असली जिम्मेवार कौन ? 

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HR Breaking News, New Delhi : ओडिशा के बालासोर में बहनागा बाजार स्टेशन के पास तीन ट्रेनें इस तरह टकराईं मानो देश में कोई युद्ध छिड़ गया हो और गोलाबारी और बमबारी से सब अस्त-व्यस्त हो गया है. इस ट्रेन हादसे में एक के बाद एक ट्रेनें बेपटरी होकर दूसरे ट्रैक पर जा गिरीं और अन्य ट्रेनों को चपेट में लेती गईं. 

इस हादसे में मरने वालों की तादाद 280 हो गई है और 900 लोग घायल हैं. मौके पर बड़े पैमाने पर बचाव और राहत का अभियान चल रहा है. सेना भी बचाव के काम में जुटी हुई है. वायुसेना के हेलीकॉप्टर भी मौके पर मौजूद हैं और 50 से ज्यादा एंबुलेंस तैनात हैं.

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शनिवार सुबह अंधेरा छंटा तो इस हादसे की तस्वीर और साफ हुई और हादसे की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. एनडीआरएफ को बोगियों के बीच चिपके शवों को निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल करना पड़ा. अब भी कई घायल ऐसे हैं जो क्षतिग्रस्त बोगियों में फंसे हुए हैं.

बहनागा बाजार स्टेशन पर पहले बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और फिर उससे टकराकर कोरोमंडल एक्सप्रेस की बोगियां पटरी से उतर गईं। इसके बाद एक मालगाड़ी भी उनसे टकरा गई। इस दिल दहला देने वाले हादसे में अब तक 207 यात्रियों की मौत हो चुकी है। वहीं, 900 से अधिक घायल हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजे का ऐलान किया है।

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रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि हादसा शाम 7:20 बजे बहनागा बाजार स्टेशन पर हुआ। हावड़ा जा रही सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए और दूसरी लाइन पर गिर गए। पटरी से उतरे ये डिब्बे उसी समय चेन्नई जा रही शालीमार चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए। इससे दूसरी ट्रेन की बोगियां भी पलट गईं। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसा दो ट्रेन टकराती है।

कैसे दो ट्रेन एक ही पटरी पर आ जती है?
दो ट्रेन एक ही समय पर एक ही पटरी पर कैसे आ जाती हैं, इसके दो कारण हो सकता हैं। एक मानवीय भूल और दूसरा तकनीकी खराबी। ओडिशा में ट्रेन हादसे के पीछे तकनीक में खराबी को अब तक वजह माना जा रहा है। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबकि सिग्नल की खराबी की वजह से दो ट्रेन एक ही पटरी पर आ गईं और उनमें टक्कर हो गई। दरअसल, चालक ट्रेन को कंट्रोल रूम के निर्देश पर चलाता है और कंट्रोल रूम से निर्देश पटरियों पर ट्रैफिक को देख कर दिया जाता है।

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इसे ऐसे समझिए कि हर रेलवे कंट्रोल रूम में एक बड़ी सी डिस्प्ले लगी होती है, जिस पर दिख रहा होता है कि कौन सी पटरी पर ट्रेन है और कौन सी पटरी खाली है। ये हरे और लाल रंग की लाइटों के माध्यम से दिखाया जाता है। जैसे कि अगर किसी पटरी पर कोई ट्रेन है या चल रही है तो वो लाल दिखाएगा और जो पटरी यानी रेलने ट्रैक खाली है, वह हरी लाइट दिखाता है। इसी को देख कर कंट्रोल रूम से लोकोपायलट को निर्देश दिए जाते हैं। लेकिन इस बार जैसे हादसा हुआ, उसे देख कर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि डिस्प्ले पर ट्रेन का सिग्नल सही नहीं दिखाई दिया और इसकी वजह से यह हादसा हुआ।

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हादसा ऐसा था कि एक बार में कुछ समझ ही भी नहीं आ सका. पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर की खबर आई. इसके बाद हावड़ा एक्सप्रेस के टकराने की भी बात सामने आई.

फिर साफ हुआ कि पहले गाड़ी संख्या 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए और दूसरी पटरी पर जा गिरे.  पटरी से उतरे ये डिब्बे गाड़ी संख्या 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए.

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