property rights : पति के जाने के बाद उसकी प्रॉपर्टी पर पत्नी का कितना अधिकार, हाई कोर्ट ने किया स्पष्ट
Property rights of wife : यूं तो आज के समय में भारत में महिलाओं को बराबर का हक दिया जाता है लेकिन आज भी जब बात संपत्ति के बटवारे की तो उन्हें जुझते दिख जाता है। हाल ही में हाई कोर्ट में एक ऐसा ही मामला सामना आया है। इसमें हाई कोर्ट ने साफ किया है कि पत्नी को पति (wife rights on husband property) की प्रॉपर्टी में कितना हक दिया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।
HR Breaking News - (wife property rights)। आए दिन कोर्ट में संपत्ति के विवादों को लेकर कोई न कोई मामला सामने आ जाता है। हाल ही में हाई कोर्ट में एक मामला सामने आया है। मामले के तहत पत्नी ने पति की प्रॉपर्टी में अपने अधिकारों की मांग की थी। पत्नी के अधिकारों (Property rights for wife) को लेकर हाल ही में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट के इस फैसले ने देशभर के लोगों को दंग करके रख दिया है। खबर में जानिये पूरा मामला।
जस्टिस ने कहीं ये बात-
जस्टिस ने जानकारी देते हुए बताया है कि एक हिंदू महिला, जिसके पास अपनी खुद की कोई भी कमाई नहीं है, तो ऐसे में वो अपने मृत पति (widow women rights) की संपत्ति पर जीवनभर आनंद तो ले सकती है। हालांकि पति की संपत्ति में उनका पूरा अधिकार नहीं होता है। हाल ही में कोर्ट में आया मामला संपत्ति (Property Knowledge) के विवादों से जुड़ा हुआ है। संपत्ति के बंटवारे को लेकर कई भाई-बहनों ने मुकदमे को दर्ज किया था। पहले ये मामला ट्रायल कोर्ट में पहुंचा था। ट्रायल कोर्ट से फैसला आ जाने के बाद इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
जानिये क्या है पूरा मामला-
हाल ही में हाई कोर्ट में संपत्ति बंटवारे को लेकर एक मामला सामने आया था। ये मसला कई भाई-बहनों के बीच था। चार भाई-बहनों (तीन बेटों और एक बेटी) ने बाकी तीन भाई-बहनों और एक पोती के खिलाफ संपत्ति (Daughter's property rights) के बंटवारे का लेकर मुकदमे को दायर किया था।
वसीयत के हिसाब से प्रॉपर्टी का बटवारा-
चार भाई-बहनों (brother sister property rights) ने याचिका में दलील देते हुए बताया था कि पिता ने वसीयत में अपनी संपत्ति को मां के नाम पर कर दिया था। ऐसे में इस संपत्ति पर उनकी मां का पूरा अधिकार है। उनका मानना था कि मां की मृत्यु हो जाने के बाद पिता जो वसीयत लिखकर गए थे, उसी के हिसाब से ही प्रॉपर्टी (property owner rights) का बटवारा होना चाहिए।
ट्रायल कोर्ट ने सुनाया ये फैसला-
ट्रायल कोर्ट (trail court decision on property rights) द्वारा तीन भाई-बहनों और पोती के पक्ष में फैसला सुनाया गया था। कोर्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि वसीयत के आधार पर मौत से पहले उनके पिता ने सारी संपत्ति को पत्नी (wife's property rights) के नाम पर कर दिया था। ऐसे में वहीं इस संपत्ति की असली मालिक है। महिला की अपनी कोई संपत्ति नहीं थी, इसलिए पिता की वसीयत के आधार पर ही संपत्ति का ट्रांसफर किया जाएगा।
जानिये क्या था वसीयत में-
जनवरी 1989 में दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने वसीयत के आधार पर अपनी सारी संपत्ति को अपनी पत्नी (husband wife property rights) के नाम पर कर दिया था। इस वसीयत में उन्होंने ये भी लिखा था कि उसकी पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद संपत्ति किसे दी जानी चाहिए।
इन लोगों को दिया संपत्ति में अधिकार-
उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी मृत्यु हो जाने के बाद उनकी सारी संपत्ति को उनकी पत्नी के नाम पर कर दिया जाए। उनकी पत्नी के पास इस संपत्ति (property rights in law) से किराया वसूलने का अधिकार तो था लेकिन उनकी पत्नी इस संपत्ति को बिक्री नहीं कर सकती है। उनकी पत्नी के पास संपत्ति का यूज करने का पूरा अधिकार होगा। उन्होंने अपनी वसीयत में इस बात को भी बताया था कि अगर पत्नी की मृत्यु हो जाता हैं तो ऐसे में सारी संपत्ति चार बेटों (Son's property rights) को छोड़कर बाकी सभी में बंट दी जाएगी।
दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंचा मामला-
ट्रायल कोर्ट के फैसले के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) में चुनौती दे दी गई थी। हाई कोर्ट के जस्टिस ने बताया कि पति की मृत्यु होने से पहले उन्होंने वो वसीयत लिखी थी, उसकी के अधार पर ही कोर्ट ने फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने बताया कि संपत्ति में पत्नी को अधिकार वसीयत से ही मिलता है। पति की मृत्यु हो जाने से पहले तक संपत्ति में उनका कोई अधिकार नहीं था। ऐसे में पत्नी (patni ke adhikar) को मृत पति की संपत्ति से हुई कमाई का लाभ लेने का अधिकार था, लेकिन इसे 'पूरा अधिकार' नहीं कहा जा सकता है।
कोर्ट ने कहीं ये बड़ी बात-
जस्टिस ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू महिलाओं के मामले में जिनके पास अपनी कोई खुद की कमाई का विक्लप नहीं हैं तो ऐसे में उनके पति की मृत्यु हो जाने के पर उनकी संपत्ति (legal rights on property) का अधिकार वित्तीय सुरक्षा के लिए काफी ज्यादा जरूरी है। जानकारी के लिए बता दें कि ये उनके पति के निधन के बाद बच्चों पर निर्भर न रहना पड़े।
संपत्ति का लाभ उठाने का पूरा अधिकार-
उन्होंने बताया कि ऐसी परिस्थिति में पत्नी को अपने जीवनकाल के दौरान संपत्ति का लाभ पाने का पूरा अधिकार होता है। वो उस संपत्ति से होने वाली कमाई का भी सीधे तरीके से ही लाभ उठा सकती है। कोर्ट ने कहा कि पति की मृत्यु हो जाने के बाद पूरी संपत्ति (property ke kanuni adhikar) को गुजारा भत्ता के रूप में माना जाता है। इससे ये नहीं माना जा सकता कि पत्नी को संपत्ति पर 'पूरा अधिकार' मिल गया है।
जानिये क्या हैं कानूनी प्रावधान-
हिंदुओं में संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर 1956 से हिंदू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Law) को बनाया गया है। इस कानून के तहत पत्नी का अपने पति या ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता है। वहीं पति (rights on ancestral property) की मृत्यु हो जाने के बाद पत्नी को उतना ही हिस्सा दिया जाता है। इस पर भी उसका पूरी तरह से अधिकार नहीं होता, बल्कि उसके बच्चों का होता है।
वसीयत के समय ये होता है नियम-
अगर किसी व्यक्ति ने वसीयत को बनाया हुआ है तो ऐसे में नॉमिनी (Property nominee rules) में पत्नी का नाम लिखा है, तो उसकी संपत्ति पत्नी को मिल जाती है। वहीं अगर पति की मृत्यु बगैर वसीयत लिखे ही हो जाती हैं तो ऐसे में पति के घरवालों और पत्नी में बराबर का बंटवारा किया जाता है।
पत्नी इतने हिस्से की होती हैं हकदार-
ऐसे में पति जब तक जीवित होता हैं तब तक उसकी संपत्ति पर पत्नी (patni ke property right) को कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। पति अपनी मौत से पहले वसीयत में संपत्ति के बंटवारे में पत्नी का नाम लिखकर गया है, तो उसको संपत्ति दे दी जाती है। पति की मौत के बाद पत्नी उसकी पैतृक संपत्ति (ancestral property rights) में भी सिर्फ उतना ही हिस्सा मांग सकती है, जितना उसके पति का बनता था।
