Supreme Court : कितने साल में किराएदार बन जाएगा प्रोपर्टी का मालिक, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला
HR Breaking News - (tenancy law)। कोई भी प्रोपर्टी जब तक खुद की निगरानी में होती है तो ही सही रहता है। आजकल प्रोपर्टी (property possession rules) पर किराएदार भी कब्जा करते देर नहीं लगाते और एक समय बाद उस प्रोपर्टी का मालिक (property owner rights) होने का दावा तक ठोक देते हैं।
प्रोपर्टी पर किराएदार के कब्जे से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसमें कोर्ट ने क्लियर किया है कितने साल बाद कोई किराएदार (kirayedar ke adhikar) किसी प्रोपर्टी का मालिक बन सकता है। शीर्ष अदालत का यह फैसला हर प्रोपर्टी मालिक के लिए जानना जरूरी है।
जानिये क्या कहता है एडवर्स पजेशन रूल-
लिमिटेशन एक्ट में प्रतिकूल कब्जे (adverse Possession) को लेकर प्रावधान बताया गया है। इसके अनुसार कोई किराएदार 12 साल तक किसी प्रोपर्टी पर बिना किसी दखलंदाजी के रहता है तो वह उस प्रोपर्टी (tenant's property rights) पर अपना मालिकाना हक कानूनी रूप से प्राप्त कर सकता है। हालांकि इसके लिए उसे कई सबूत पेश करने होंगे।
पुराने फैसले में यह कहा था कोर्ट ने -
साल 2014 में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court news) ने कहा था कि प्रतिकूल कब्जा (adverse possession) करने वाला व्यक्ति किसी की प्रोपर्टी पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। असल प्रोपर्टी मालिक के कहने पर प्रोपर्टी से कब्जाधारी को हटना होगा। इस फैसले को अब कोर्ट ने पलट दिया है।
लिमिटेशन एक्ट में यह है प्रावधान -
लिमिटेशन एक्ट 1963 (Limitation Act 1963) के अनुसार किसी निजी संपत्ति (private property) पर मालिकाना हक का दावा जताने के लिए 12 साल तक बेरोकटोक कब्जा होना जरूरी होता है। प्रोपर्टी मालिक (landlord's property rights) को अपनी प्रोपर्टी गंवाने से बचाने के लिए 12 साल के अंदर शिकायत करनी जरूरी है।
कब्जाधारी को होता है यह अधिकार-
सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property) की तीन जजों की पीठ की ओर से जमीन पर कब्जा करने के मामले में सुनाए गए इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कोई किराएदार (kirayedar ke adhikar) लगातार 12 साल तक जमीन पर कब्जा बनाए रखता है और मकान मालिक उसे रोकता या टोकता भी नहीं है तो किराएदार ही उस प्रोपर्टी का मालिक (property woner's rights) बन सकता है। उस प्रोपर्टी पर वह अपना दावा जता सकता है। इसके बाद अगर कब्जाधारी को वहां से जबरदस्ती निकाला जाता है तो वह मुकदमा दर्ज करवाने का अधिकार रखता है।
इन कागजातों से नहीं बन सकते प्रोपर्टी मालिक-
कोर्ट ने यह भी कहा है कि प्रोपर्टी की वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी (Will or power of attorney) के जरिये कोई किसी संपत्ति का मालिकाना हक नहीं पा सकता।
रेंट एग्रीमेंट बनवाने का फायदा-
मकान या प्रोपर्टी को रेंट पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट (rent agreement rules) बनवाना किराएदार व प्रोपर्टी मालिक दोनों के लिए फायदेमंद रहता है। इसके लिए 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) काफी होता है। इसे जरूरत पड़ने पर बाद में रिन्यू (how to renew rent agreement ) करा लेना चाहिए। रेंट बनवाने से बीच में ब्रेक आ जाता है और प्रोपर्टी पर कोई किराएदार कब्जा करने का दावा नहीं कर सकता।
