Supreme Court ने बताया- सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए किसकी अनुमति लेना जरूरी
Supreme Court decision : सरकारी कर्मचारियों को लेकर कानून में कुछ प्रावधान आम नागरिकों के लिए किए गए प्रावधानों से अलग हैं। सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा (FIR rules) चलाने को लेकर भी विशेष रूप से प्रावधान हैं। ऐसे मामलों में पूर्व अनुमति (FIR permition rules ) भी जरूरी है, लेकिन यह अनुमति किससे ली जाए, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में।

HR Breaking News : (govt employees news)। अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के लिए अहम फैसला सुनाया है, इस निर्णय के अनुसार सरकारी कर्मचारियों (govt employees news) पर मुकदमा चलाने के लिए पूर्व अनुमति लेनी जरूरी है। इसके बिना किसी सरकारी कर्मचारी (case rules for govt employees) पर केस नहीं चलाया जा सकता। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए भी अहम है जिन पर अपने सेवा दायित्व को निभाते हुए कोई आरोप लगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात-
सुप्रीम कोर्ट में (Supreme Court) एक सरकारी कर्मचारी से जुड़े मामले में राजस्थान हाई कोर्ट(rajasthan high court) के फैसले पर सहमति जताते हुए उसे बरकरार रखा है। यह मामला भूमि संबंधित मामले में गबन करने में एक सरकारी क्लर्क के शामिल होने के आरोप से जुड़ा है।
इस पर महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारी या सक्षम प्राधिकार से पूर्व अनुमति लेनी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट (supreme court big decision) की दो जजों की पीठ से यह निर्णय सुनाया है। उन्होंने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 में यह प्रावधान है कि आधिकारिक दायित्व निभाते समय हुए किसी अपराध के आरोप में शामिल सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का अनावश्यक उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए।
इस धारा का दिया हवाला-
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार धारा 197 के अनुसार अदालत अपराध के ऐसे मामले में संज्ञान नहीं ले सकती, जिसमें सक्षम प्राधिकार (case rules for govt employees) की पूर्व अनुमति न ली गई हो। अगर अनुमति ली है तो कोर्ट संज्ञान ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि अगर कोई अपने आधिकारिक दायित्व को निभा रहा है और उस दौरान कथित आपराधिक काम को लेकर मुकदमा चलाए जाने की जरूरत है तो प्राधिकार की पूर्व अनुमति होनी चाहिए। पूर्व अनुमति (permition required for case) वाले मामले में ही अदालत संज्ञान लेगी।
भ्रष्ट अधिकारियों पर की यह टिप्पणी-
सुप्रीम कोर्ट (supreme court news) ने यह भी कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी को दुर्भावनापूर्ण उत्पीड़न के मुकदमे से बचाने के लिए बेशक विशेष श्रेणी में रखने का प्रावधान है लेकिन यह भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि धोखाधड़ी, रिकॉर्ड में छेड़छाड़, रिश्वत लेना या गबन करना गंभीर अपराधों (case procedure against govt employees) में शामिल हैं। इनमें संलिप्त कर्मचारी को आधिकारिक दायित्व निभाते समय किए गए अपराध की श्रेणी में नहीं हो सकते।
अपराध की प्रकृति पर करना होगा विचार-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी (Decision for employees) द्वारा किए गए अपराध को लेकर यह देखना जरूरी है कि इसमें आधिकारिक दायित्व निभाने वाले मानदंडों का अनुपालन किया गया है या नहीं। उस अपराध को आधिकारिक दायित्व से उचित संबंध है या नहीं, ये भी देखना जरूरी है। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत के फैसले को लेकर कहा कि भूमि प्रकरण से जुड़े इस मामले में बड़े अधिकारियों को धारा 197 के प्रावधान (provision in section 197) अनुसार संरक्षण मिल गया, लेकिन क्लर्क को इससे अलग रखा गया।
सरकारी क्लर्क पर यह था आरोप -
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्लर्क इस मामले में दूसरे स्तर का प्रतिवादी है, क्योंकि उसने सिर्फ अधिकारियों के कहने पर सिर्फ कागजी कार्य किया है। बता दें कि यह बात सुप्रीम कोर्ट (SC decision for govt employees) ने राजस्थान की एक महिला की अपील पर सुनवाई करते हुए कही है। महिला का आरोप था कि आरोपियों ने फर्जीवाड़ा व गबन करते हुए उसके बीमार पति और उसके परिवार के सदस्यों को बेघर करने का काम किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया है कि किसी सरकारी कर्मचारी (govt employees news) पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकार की अनुमति लेना जरूरी है।