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Bank Charges : आपके बैंक खाते से भी कट रहे है अपने आप पैसे, तो जान लें ये जरूरी बात

अगर आपके बैंक से अपने आप पैसे कट रहे है तो यह खबर आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं। इस खबर के माध्यम से हम आपको बताएंगे क्यों कटते है बैंक से पैसे। जान लें ये जरूरी बातें।
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HR Breaking News, Digital Desk-
हर किसी के लिए बैंकिंग सर्विस (Bank Charges) आज की जरूरत बन गयी है. लेकिन, क्या आपको पता है कि बैंक आपका खाता चलाने के एवज में कई तरह की फीस वसूलते हैं? मोबाइल अलर्ट, डेबिट कार्ड पिन, अकाउंट स्टेटमेंट, न्यूनतम बैलेंस, ट्रांजेक्शन डिकलाइन या एटीएम का पिन रिजनरेट करने पर भी बैंक आपसे फीस चार्ज करते हैं. ये चार्ज आपके बैंक अकाउंट से ही लिये जाते हैं. ज्यादातर बैंक सेफ्टी और फ्रॉड से बचने के लिए मोबाइल अलर्ट भेजते हैं,

 

 

लेकिन इन मोबाइल अलर्ट के लिए भी बैंक फीस चार्ज करते हैं. इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सर्विस चार्ज की जानकारी ग्राहकों को तो होती है, लेकिन छोटे-छोटे चार्ज पर लोग अक्सर ध्यान नहीं देते. हालांकि, बैंक की वेबसाइट पर सभी सर्विस चार्ज की जानकारी उपलब्ध है. इस खबर का उद्देश्य आपको ऐसे ही छोटे-छोटे चार्ज के बारे में बताना है, ताकि आप अपना पैस बचा सकें. पेश है सुबोध कुमार नंदन की रिपोर्ट.


बैंकिंग सर्विस की जानकारी है जरूरी-

आमतौर पर बैंक अपने खाताधारकों को नकद निकासी, जमा जैसी वित्तीय सर्विसेज के साथ बैंक स्टेटमेंट, लॉकर जैसी गैर वित्तीय सर्विस देते हैं. इन सर्विसेज के बदले बैंक खाताधारकों से चार्ज वसूलते हैं. ये चार्ज अलग-अलग सर्विस के लिए अलग-अलग तरह की होती हैं. लेकिन अक्सर खाताधारकों को यह शिकायत होती है कि उनका बैंक बिना किसी कारण उनके खाते से पैसे काट लेते हैं. यह सच भी है कि बैंक अपने ग्राहकों को बैंक सर्विस पर लगने वाले शुल्क के बारे में न तो कोई एसएमएस से जानकारी देता है और न ही मेल करता है.

इसके कारण लोगों में अविश्वास की भावना पैदा होती है. इनमें से कई चार्ज तो हिडेन होते हैं. यह हाल केवल सार्वजनिक बैंकों का ही नहीं बल्कि कई निजी बैंकों का भी है. इसलिए हर बैंक खाताधारकों को इस दुविधा से बचने के लिए बैंकिंग सर्विसेज के लिए लगने वाले शुल्क की जानकारी से अवगत होना जरूरी है.


जेब पर भारी होते हैं ये चार्ज: ऐसे कई चार्ज हैं, जिसकी जानकारी बैंक की ओर से ग्राहकों को नहीं दी जाती है़ भले ही इस तरह के चार्ज छोटे दिखते हैं, लेकिन आपकी जेब में सुराख बड़ा कर सकते हैं. ग्राहकों की जेब से थोड़े-थोड़े पैसे इन चार्जेज के जरिये निकलते रहते हैं और बैंक अपनी कमाई लगातार बढ़ाते रहते हैं. नया कार्ड लेने, खाते में पैसे जमा कराने के लिए भी आपको पैसे देने पड़ते हैं. जीएसटी के साथ यह रकम ग्राहकों को और भी ज्यादा पड़ती है.

मिनी स्टेटमेंट निकालने पर चार्ज: एसएमएस अलर्ट के लिए 15-25 रुपये तिमाही चार्ज : बैंक एसएमएस अलर्ट सुविधा भी मुहैया कराते हैं. जिसमें बैंक ये सर्विस फ्री में नहीं देते हैं. बल्कि इसके लिए भी 15-25 रुपये प्रति तिमाही चार्ज करते हैं.
एटीएम ट्रांजेक्शन: रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार एक माह में एटीएम से पांच ट्रांजेक्शन से अधिक ट्रांजेक्शन पर बैंक ग्राहकों से शुल्क वसूल सकते हैं. यह शुल्क ट्रांजेक्शन के प्रकारों के आधार पर आठ से 20 रुपये तक हो सकता है. स्टेट बैंक की बात करें, तो यह अपने बचत खाताधारकों को आठ फ्री ट्रांजेक्शन की अनुमति देता है. इसमें पांच स्टेट बैंक एटीएम और तीन दूसरे बैंक के एटीएम से है.

नया एटीएम कार्ड-

 यदि आप अपना कार्ड कहीं खो देते हैं, तो आपका बैंक नये कार्ड के लिए 50-500 रुपये तक का चार्ज करते हैं. वहीं यदि आप एटीएम पिन भूल जाते हैं, तो आपको इसे रीसेट करने पर हर बार शुल्क भी लिया जा सकता है. रिजर्व बैंक के मेंडेट में यह भी कहा गया है कि बैंक ट्रांजेक्शन फेल होने पर ग्राहकों से चार्ज नहीं ले सकते हैं.


चेक स्टेट्स-

अगर आप अपने चेक का स्टेट्स जानना चाहते हैं, तो कई निजी बैंक इसके लिए भी आपकी ही जेब से चार्ज वसूलते हैं. इस सर्विस के लिए बैंक 25 रुपए तक वसूलते हैं. बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार एक लाख से अधिक के चेक की स्पीड क्लियरिंग के लिए बैंकों को 150 रुपये प्रति चेक से अधिक चार्ज करने की अनुमति नहीं देता है. एक लाख तक के मूल्यों के लिए कोई शुल्क नहीं है. चेक बाउंस होते पर 100-150 रुपये का चार्ज लगता है.


स्टेट बैंक-
ट्राजेक्शन चार्ज : 25 हजार जमा पर प्रति माह दो बार फ्री, इसके ऊपर 50 हजार से एक लाख तक दस बार तथा एक लाख से ऊपर 15 बार तक फ्री निकासी कर सकते हैं. इसके ऊपर निकालने पर 50 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन.

किसी बैंक में खाता होना और उसकी सेवाओं का उपयोग करने पर चार्ज तो लगता ही है. पर हां, बैंकों द्वारा ग्राहकों से लिया जा रहा चार्ज सही होना चाहिए. इसमें मुनाफा कमाने का उद्देश्य नहीं होना चाहिए. क्योंकि ग्राहकों से ही बैंक का अस्तित्व है.

- डीएन त्रिवेदी, संयुक्त सचिव, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर एसोसिएशन