home page

खास सुविधाओं और स्पीड के मामले में आगे निकली भारतीय रेल

वर्तमान की अनेक सामयिक चुनौतियों और भविष्य की तैयारियों के दृष्टिकोण से भारतीय रेल (Indian Rail) का कायाकल्प करने की तैयारी पिछले लंबे समय से की जा रही है। परंतु इस दिशा में अपेक्षित कामयाबी अब जाकर हासिल हुई है।
 | 
खास सुविधाओं और स्पीड के मामले में आगे निकली भारतीय रेल

HR BREAKING NEWS :नई दिल्लीः  दरअसल भारतीय रेल (Indian Rail) यातायात सेवा, भारतीय रेल (Indian Rail) कार्मिक सेवा, भारतीय रेल (Indian Rail) इंजीनियरिंग सेवा, भारतीय रेल यांत्रिक इंजीनियरिंग सेवा, भारतीय रेल (Indian Rail) विद्युत इंजीनियरिंग सेवा, भारतीय रेल (Indian Rail) सिग्नल और संचार इंजीनियरिंग सेवा, भारतीय रेल (Indian Rail) भंडार सेवा जैसी सेवाएं अतीत में रही हैं, जिनके अधिकारियों का अपना योगदान रहा है।

 

 

फिर भी असली ताकत भारतीय रेल (Indian Rail)  यातायात सेवा के हाथों में रही है। रेल प्रशासन पर अधिकांश समय उनका ही कब्जा रहा है। इन सेवाओं के विलय के साथ इसके सारे रेल अधिकारी अब प्रबंधन सेवा के अधिकारी माने जाएंगे।

 

इस बदलाव का उद्देश्य रेलवे नौकरशाही पर शिकंजा कसना और उसकी कार्यप्रणाली को सरल बनाना है। इसमें यह परिकल्पना की गई है कि इससे निर्णय प्रक्रिया में तेजी आएगी और भारतीय रेल अधिक सक्षम संगठन बनेगा।

Indian Railways ने किया ऑनलाइन बुकिंग काे लेकर यह बड़ा बदलाव


वैसे भारतीय रेल (Indian Rail) की प्रबंधन व्यवस्था में जो बदलाव अब हो रहे हैं, उनकी बुनियाद 2014-15 में ही रख दी गई थी। उस समय डीवी सदानंद गौड़ा रेल मंत्री थे।

वर्ष 2015 में देबराय समिति बनी जिसने भारतीय रेल (Indian Rail)  को कारपोरेट की तरह चलाने की सिफारिश के साथ रेलवे बोर्ड(Railway Board) के संगठनात्मक स्वरूप को बदलने की बात कही थी।

बाद में रेल मंत्री बने सुरेश प्रभु (Suresh Prabhu appointed as Railway Minister) और पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने इस विचार को आगे बढ़ाया, लेकिन यह साकार अश्विनी वैष्णव (ashwini vaishnav) के कार्यकाल में हुआ। इस प्रक्रिया के तहत एक खास बदलाव यह होगा कि रेलवे बोर्ड अध्यक्ष (Railway Board Chairman) और सदस्यों सहित लेवल-16 के उच्चतम अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अलग पैमाना तय किया गया है। इसमें वरिष्ठता की जगह बुद्धि कौशल पर जोर होगा, जिसका एक फायदा यह बताया जा रहा है कि इन पदों के लिए लाबिंग समाप्त हो जाएगी।

Indian Railways ने किया ऑनलाइन बुकिंग काे लेकर यह बड़ा बदलाव


रेलवे में विभागीय खींचतान या कहें कि वर्चस्व का इतिहास अंग्रेजी राज से ही रहा है। तमाम समितियों ने इस बाबत इशारा किया है। वर्ष 1994 में प्रकाश टंडन समिति ने एकीकृत रेल सेवा की सिफारिश की थी और कहा था कि रेलवे की सेवाओं को तकनीकी और गैर तकनीकी दो समूहों में रखा जाए।

वहीं वर्ष 2000 में राकेश मोहन कमेटी ने विभागों की आपसी लड़ाई को रेलवे की कार्यकुशलता में बाधक माना था। लेकिन 2015 में जब बिबेक देबराय कमेटी ने रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन के साथ यह सिफारिश की थी कि रेलवे स्कूल, अस्पताल और आरपीएफ जैसी जिम्मेदारियों से अपने को अलग करे तो रेलवे यूनियनों ने काफी नाराजगी जताई थी। इस मसले पर दिल्ली में दिसंबर, 2019 में आयोजित संगोष्ठी में सहमति बनाने का प्रयास भी किया गया।

Indian Railways ने किया ऑनलाइन बुकिंग काे लेकर यह बड़ा बदलाव


अफसरशाही का असर 


भारतीय रेल (Indian Rail) के कर्मचारी बेहद मेहनती और कर्तव्यनिष्ठ माने जाते हैं। वे सुदूर इलाकों, खतरनाक जगहों, घने जंगलों और तपते रेगिस्तान जैसी जगहों में 24 घंटे सेवाएं देते हैं। लेकिन रेलवे की अफसरशाही कुछ अलग है।

सौ साल पहले यानी 1922 तक जब इस संगठन में सात लाख कर्मचारी थे तो प्रशासन की बागडोर सात हजार ब्रिटिश अधिकारियों के हाथ में थी। अंग्रेज अफसरों ने रेलों को जी भर कर लूटा।

Indian Railways ने किया ऑनलाइन बुकिंग काे लेकर यह बड़ा बदलाव

उस समय के रेल अफसरों की शहंशाही के तमाम किस्से मशहूर रहे थे। लेकिन आजादी के बाद भी यह अलग-अलग रूपों में जारी रहा। अफसर अपनी मानसिकता से उबर नहीं पाए और रेलवे में तमाम सामंती व्यवस्थाएं कायम रहीं। अब सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी, यह सवाल भविष्य पर टिका है।

क्योंकि यह सवाल खुद अधिकारियों ने उठाया था कि अगर वास्तव में विभागीय खींचतान इतनी गहरी थी तो रेलवे का राजस्व कैसे बढ़ता रहा। लेकिन यह बात भी है कि रेलवे में क्षेत्रीय स्तर पर दोहरी नियंत्रण प्रणाली काम करती रही है।

Indian Railways ने किया ऑनलाइन बुकिंग काे लेकर यह बड़ा बदलाव

तमाम विभागों के मुखिया महाप्रबंधक के नियंत्रण में काम करते हैं, लेकिन तकनीकी नियंत्रण रेलवे के संबंधित सदस्यों के हाथ रहा है। उसे लेकर समस्याएं आती रही हैं।


भारतीय रेल (Indian Rail) में संघ लोक सेवा आयोग से चुने हुए सर्वश्रेष्ठ मेधावी शामिल होते रहे हैं, जिन्हें दूसरी शीर्ष सेवाओं के अधिकारियों से कमतर नहीं कहा जा सकता है।

अतीत में बगैर प्रबंधन की डिग्री के इतने बड़े तंत्र को ये अधिकारी संभालते रहे हैं। लेकिन अभी रेलवे कई चुनौतियों से जूझ रहा है। वर्ष 2017 में रेल बजट का आम बजट में विलय करने के बाद कई फैसले हुए, परंतु कोरोना काल ने रेलवे की सेहत पर प्रतिकूल असर डाला है। इसका सामान्य कार्यकारी व्यय बहुत तेजी से बढ़ा है।

रेलवे कर्मचारियों की संख्या में भी गिरावट आई है। वर्ष 1991 में 18.7 लाख रेल कर्मचारी थे, जो अब लगभग 12 लाख ही हैं।

Indian Railways ने किया ऑनलाइन बुकिंग काे लेकर यह बड़ा बदलाव

फिर भी माल ढुलाई के साथ यात्रियों की संख्या में उत्तरोत्तर बढ़ोतरी हुई है। रेलवे में इस समय लगभग तीन लाख अराजपत्रित कर्माचरियों और ढाई हजार अधिकारियों की रिक्तियां हैं। हालांकि रेलवे में स्वीकृत पदों की संख्या 15.06 लाख है।


सड़क यातायात से प्रतिस्पर्धा 


देशभर में सड़कों के विकास के साथ रेलवे का माल ढुलाई में हिस्सा घटा है। वर्ष 1950-51 में भारतीय रेल का माल ढुलाई में 88 प्रतिशत हिस्सा था, जबकि सड़कों से 10 प्रतिशत माल ढुलाई हो रही थी। सड़क का हिस्सा बढ़कर 30 से 33 प्रतिशत के बीच हो गया है।

रेलवे द्वारा ढोये जाने वाले माल में 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा कोयला, इस्पात, खाद्यान्न, उर्वरक, चीनी और कुछ चुनिंदा वस्तुओं का है। साथ ही यात्री सेवा में गुणवत्ता सुधार की उम्मीदें रेलवे पर टिकी हैं। ऐसे में यह बदलाव रेलवे को आगे बढ़ाने और उसके कायाकल्प में कितना कारगर होगा, यह आने वाले वर्षो के समग्र कार्य निष्पादन से ही समझा जा सकेगा।