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एजुकेशन लोन से पहले तैयार कर लें पेमेंट प्लान, 8 साल में चुकाना फायदेमंद

HR Breaking News: कोविड के चलते करीब 2 साल एजुकेशन सिस्टम अस्त-व्यस्त था। इसके चलते एजुकेशन लोन का बाजार भी ठंड रहा। लेकिन अब कोरोना का असर कम हो रहा है।
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Prepare payment plan before education loan, it is beneficial to repay in 8 years

कॉलेज और यूनिवर्सिटी खुलने लगे हैं। इस बीच दाखिलों का सीजन शुरू हो गया है। प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेजों और इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूशंस में एडमिशन के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। दिक्कत यह है कि साल-दर-साल शिक्षा महंगी होती जा रही है।


'ऑल इंडिया सर्वे ऑफ हायर एजुकेशन' के मुताबिक आज की तारीख में किसी लीडिंग प्राइवेट बिजनेस स्कूल से एमबीए करने का खर्च करीब 20 लाख रुपए है। पांच साल पहले यह खर्च 10-12 लाख रुपए था। ऐसे में कई परिवारों को एजुकेशन लोन की जरूरत होगी।

हालांकि, इस लोन की मदद से पढ़ाई पूरी करने पर अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी न मिलने का जोखिम और कई साल तक कर्ज में डूबे रहने की आशंका बनी रहती है। लेकिन यदि स्मार्ट तरीके से लोन पेमेंट की प्लानिंग पहले ही कर ली जाए तो इस परेशानी से बचा जा सकता है। आइए पैसाबाजार डॉट कॉम के सीनियर डायरेक्टर साहिल अरोड़ा से जानते हैं कैस.


 लोन की राशि
लोन की राशि इतनी होनी चाहिए कि कोर्स फीस के अलावा पढ़ाई के अन्य बड़े खर्चें भी कवर हो जाएं। हॉस्टल फीस, लैपटॉप और किताबों पर खर्च इसमें शामिल है।

देश-विदेश में पढ़ाई के लिए अधिकतम लोन राशि क्रमशः 10 लाख और 20 लाख रुपए है। हालांकि, आईआईएम, आईआईटी और आईएसबी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई के लिए कुछ बैंक या गैर-बैंकिंग कंपनियां (NBFC) इससे ज्यादा लोन भी मंजूर कर सकती हैं।


 भुगतान की अवधि
जब तक कोर्स पूरा नहीं होता तब तक एजुकेशन लोन चुकाने की जरूरत नहीं होती। पढ़ाई पूरी होने के बाद भी बैंक/एनबीएफसी 1 से 2 साल तक का मोरटोरियम पीरियड देती हैं। लेकिन लोन मिलते ही ब्याज लगना शुरू हो जाता है। किस्तें शुरू होने के बाद 15 वर्षों में लोन चुकाना होता है।


 ब्याज दर
आम तौर पर बैंक/NBFC 4 लाख रुपए तक के एजुकेशन लोन के लिए कोलैटरल या गारंटर की मांग नहीं करते हैं। कुछ बैंक 7.5 लाख तक का लोन भी बिना कोलैटरल के दे देते हैं।

हालांकि, यदि बैंक/NBFC सह-आवेदक की भुगतान क्षमता से संतुष्ट हैं तो तीसरे पक्ष की गारंटी की जरूरत नहीं पड़ेगी। 7.5 लाख से ज्यादा लोन के लिए प्रॉपर्टी, एफडी, म्यूचुअल फंड, आदि के रूप में बैंक अतिरिक्त सिक्युरिटी मांग सकता है।


 मार्जिन मनी
4 लाख रुपए तक के एजुकेशन लोन के लिए मार्जिन मनी की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे ज्यादा राशि का लोन लेने के लिए भारतीय और विदेशी कोर्स के खर्च का क्रमश: 5% और 15% का इंतजाम खुद करना होगा। हालांकि यदि आप आईआईटी जैसे किसी प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान में एडमिशन लेना चाहते हैं तो SBI जैसे कुछ बैंक मार्जिन मनी की शर्त नहीं रखते हैं।


कॉलेज-बैंक पार्टनरशिप
कई संस्थान बैंक/NBFC के साथ पार्टनरशिप कर लेते हैं। इसलिए छात्र पता कर सकते हैं कि वो जिस यूनिवर्सिटी/कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं, क्या उसकी किसी बैंक/NBFC के साथ पार्टनरशिप है? ऐसी पार्टनरशिप के चलते आसानी से और कई बार कम ब्याज दर पर एजुकेशन लोन मिल जाता है।


कमाई का अनुमान लगाएं
पढ़ाई के बाद आपको कितनी सैलरी मिल सकती है, इसका अनुमान लगाएं। फिर लोन पेमेंट प्लान इस तरह तैयार करें कि उम्मीद से कम सैलरी मिलने या नौकरी जाने पर डिफॉल्ट का जोखिम ना हो। आप चाहें तो बिना कोई शुल्क दिए एजुकेशन लोन का प्री-पेमेंट भी कर सकते हैं।


टैक्स लाभ
अगर आप अपने लिए, बच्चों, पति/पत्नी या अभिभावक के तौर पर किसी के लिए एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो आयकर अधिनियम की धारा 80ई के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं। यह छूट लोन के ब्याज भुगतान पर मिलती है और इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है। हालांकि लोन की ईएमआई शुरू होने से 8 सालों तक ही आपको यह टैक्स छूट मिलेगी। इसलिए बेहतर होगा कि 8 सालों में ही पूरा लोन चुका दें।


कोलैटरल या गारंटर
आम तौर पर बैंक/NBFC 4 लाख रुपए तक के एजुकेशन लोन के लिए कोलैटरल या गारंटर की मांग नहीं करते हैं। कुछ बैंक 7.5 लाख तक का लोन भी बिना कोलैटरल के दे देते हैं।

हालांकि, यदि बैंक/NBFC सह-आवेदक की भुगतान क्षमता से संतुष्ट हैं तो तीसरे पक्ष की गारंटी की जरूरत नहीं पड़ेगी। 7.5 लाख से ज्यादा लोन के लिए प्रॉपर्टी, एफडी, म्यूचुअल फंड, आदि के रूप में बैंक अतिरिक्त सिक्युरिटी मांग सकता है।

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