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Bank Loan Rule : लोन नहीं भरने पर बैंक आपकी प्रोपर्टी करे नीलाम तो ये अधिकार आएंगे काम, जानिये नियम

Loan Recovery Rules : लोन देते समय कई बैंक लोन लेने वाले से गारंटर देने व संपत्ति गिरवी रखने की शर्त भी पूरी करवा लेते हैं। ऐसे में लोन नहीं भरने पर बैंक गिरवी रखी प्रोपर्टी को नीलाम (property auction rules) करके बकाया लोन राशि की रिकवरी करता है। बता दें कि अगर बैंक आपकी प्रोपर्टी को नीलाम करते हैं तो भी आपके पास कई अधिकार (loan borrower's rights) होते हैं, जो आपके लिए कई तरह से मददगार साबित होते हैं। आइये जानते हैं संपत्ति नीलामी से जुड़े नियमों व लोनधारक के अधिकारों के बारे में।
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Bank Loan Rule : लोन नहीं भरने पर बैंक आपकी प्रोपर्टी करे नीलाम तो ये अधिकार आएंगे काम, जानिये नियम

HR Breaking News - (borrower's rights)। आमतौर पर होम लोन लेते समय बैंक गारंटी के रूप में प्रोपर्टी को अपने पास गिरवी रख लेता है। जब लोन (loan repayment) को नहीं चुकाया  जाता यानी लोन डिफॉल्ट हो जाता है तो बैंक इस प्रोपर्टी को नीलाम कर देता है। नीलामी के बाद हासिल राशि से बैंक बकाया पड़ी राशि से अपना घाटा पूरा करता है या रिकवरी करता है। ऐसे में लोन लेने वाले के पास भी कई अधिकार होते हैं।

जब प्रोपर्टी नीलामी (property auction rules) की नौबत आती है या प्रोपर्टी नीलाम की जाती है तो आप अपने अधिकारों का उपयोग करके कई परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। इन अधिकारों के बारे में हर लोन (loan EMI) लेने वाले शख्स को जरूर जान लेना चाहिए। हालांकि, लोन की रकम चुका देने पर यह प्रॉपर्टी वापस मिलने का प्रावधान भी होता है।


नीलामी से पहले लोनधारक के पास विकल्प-


दो महीने तक लोन की ईएमआई (home loan EMI) न चुकाए जाने पर बैंक लोनधारक को रिमाइंडर भेजता है। इसके बाद भी अगर तीसरी किस्‍त जमा नहीं कराई जाए तो लोन लेनदार को लीगल नोटिस भेजकर ईएमआई भरने के लिए कहा जाता है। कानूनी नोटिस मिलने पर भी ईएमआई नहीं भरी जाती तो बैंक लोनधारक की संपत्ति को NPA (non performing asset) घोषित करता है। इसके बाद लोनधारक को डिफॉल्‍टर (loan default) की श्रेणी में डाला जाता है यानी उसे डिफॉल्टर घोषित किया जाता है।

कब आती है नीलामी की नौबत - 


किसी भी लोन की बकाया राशि को वसूलने के लिए नीलामी आमतौर पर बैंक (bank news) की ओर से उठाया गया अंतिम कदम या आखिरी विकल्‍प होता है। ऐसा नहीं होता कि NPA घोषित होते ही प्रॉपर्टी को बैंक आदि की ओर से नीलाम कर दिया जाता है। नीलामी से पहले बैंक पब्लिक नोटिस (bank noitce rules) जारी करता है।

NPA की ये हैं कैटेगरी-


NPA की भी तीन कैटेगरी होती हैं, पहली सबस्टैंडर्ड असेट्स, दूसरी डाउटफुल असेट्स (doubtfull assets) और तीसरी कैटेगरी लॉस असेट्स के रूप में गिनी जाती है। कोई भी लोन अकाउंट एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते में गिना जाता है। इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन रिपेमेंट (loan repayment rules) की कोई उम्मीद नहीं रहती तो उस खाते को लॉस असेट्स  माना जाता है। लॉस असेट बनने के बाद प्रॉपर्टी को नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। 

नीलामी को चुनौती देने का अधिकार -


प्रोपर्टी नीलामी की नौबत आ जाए तो भी लोनधारक (borrower's rights for property) को कई अधिकार प्राप्त होते हैं। संपत्ति की बिक्री कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान सीधे ही बिना रेट व तारीख आदि की जानकारी दिए नहीं कर सकता। इसके लिए जहां से आपने लोन (loan news) लिया है, उस वित्‍तीय संस्‍थान या बैंक को लोन लेनदार की संपत्ति का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस (bank notice for property auction) से सूचना भी देनी पड़ती है। नोटिस में प्रोपर्टी का रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय आदि का विवरण भी होता है। अगर कर्जदार को लगता है कि संपत्ति का रेट (property rates) कम रखा है तो वो नीलामी को चुनौती देने का अधिकार कर्जदार को है।

बकाया राशि पाने का अधिकार -


प्रोपर्टी की नीलामी से बचने का तरीका (property auction) आप नहीं खोज पाए तो कम से कम नीलामी की प्रक्रिया पर जरूर नजर रखें। इससे आप बकाया लोन राशि वसूले जाने के बाद बची रकम पा लेंगे, यह आपका अधिकार (rights during property auction) भी होता है। बैंक बची हुई रकम अपने पास नहीं रख सकता बल्कि लोन लेनदार को यह लौटानी होगी।